
छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप: विकास, नक्सलवाद और शराब नीति पर संघर्ष
छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप: विकास, नक्सलवाद और शराब नीति पर संघर्ष
रायपुर, 1 अप्रैल 2025 – छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट देखने को मिली है, जब पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल ने भाजपा सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने सरकार की नीतियों और उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों पर सवाल उठाए और राज्य की सत्ता के बीच जारी संघर्ष को एक नई दिशा दी।
भूपेश बघेल ने भाजपा सरकार द्वारा कोरबा में विद्युत मंडल के दो पावर प्लांट्स के शिलान्यास पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उनका कहना था कि ये पावर प्लांट्स पहले कांग्रेस सरकार के समय में शुरू किए गए थे और उनका भूमि पूजन भी कांग्रेस सरकार ने किया था। बघेल ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय को अंधेरे में रखकर इन परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जबकि यह काम पहले ही कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में पूरा किया जा चुका था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस सरकार ने इन पावर प्लांट्स के लिए केंद्र से स्वीकृति प्राप्त की थी और उनके टेंडर भी पास किए गए थे। उनका यह भी कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी से शिलान्यास करवाना, न केवल कांग्रेस के कार्यों का श्रेय लेना था, बल्कि यह प्रधानमंत्री मोदी जैसे उच्च पद की गरिमा को गिराने वाला कदम था।
भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर भी भाजपा सरकार को निशाने पर लिया। उनका कहना था कि भाजपा सरकार ने इस योजना का श्रेय लेने की कोशिश की है, लेकिन असलियत यह है कि कांग्रेस सरकार के समय ही इस योजना की पहली किश्त बिलासपुर में डाली गई थी। बघेल ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने अभी तक इस योजना के तहत कोई नया घर स्वीकृत नहीं किया है, और केवल आंकड़ों में झूठी सफलता का प्रचार किया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने नक्सलवाद की स्थिति पर भी बयान दिया। उनका कहना था कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में नक्सलवादी घटनाओं में 80 प्रतिशत कमी आई थी। उन्होंने यह बताया कि कांग्रेस शासन के दौरान 600 से अधिक गांव नक्सल मुक्त हुए थे, और सरकार ने दूरस्थ क्षेत्रों में रोजगार, सड़कों, पुलों और अस्पतालों जैसी सुविधाओं को बढ़ावा दिया था, जिससे लोगों का विश्वास जीतने में मदद मिली थी।
बघेल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के कम होने की बात कही थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के 15 वर्षों के कार्यकाल में नक्सली घटनाओं का सिलसिला बढ़ा था, और भाजपा कार्यालयों में भी नक्सलियों द्वारा वसूली की घटनाएं सामने आई थीं।
भूपेश बघेल ने राज्य सरकार की शराब नीति पर भी आलोचना की। उनका कहना था कि भाजपा सरकार ने शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाकर लोगों को शराबी बनाने की कोशिश की है। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने नए 67 शराब की दुकानों का उद्घाटन किया है, जबकि असल में इनकी संख्या कहीं अधिक है। उनका कहना था कि जहां देशी शराब की दुकानें थीं, वहां अंग्रेजी शराब बेची जा रही है, और प्रीमियम शराब के लिए अलग दुकानें खोली जा रही हैं।
इसके अलावा, बघेल ने यह आरोप भी लगाया कि शराब की दुकानों के लिए सरपंचों पर दबाव डाला जा रहा है। उनका कहना था कि नए और पुराने सरपंचों को जबरिया शराब की दुकानों के प्रस्तावों पर दस्तखत करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह आरोप राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
भूपेश बघेल ने भाजपा सरकार के खिलाफ कई अन्य आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पहले नक्सलवाद और हिंसा के मुद्दे को राजनीतिक रूप से भड़काया था, लेकिन अब कांग्रेस सरकार के शासन में यह स्थिति सुधरी है। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस के शासन में पत्रकारों के लिए नक्सलवाद का सवाल अब पहले की तरह प्रमुख नहीं था, जबकि भाजपा के शासन में यह सवाल हमेशा चर्चा में रहता था।
उनके मुताबिक, भाजपा सरकार के कार्यकाल में नक्सली घटनाओं के बढ़ने के साथ-साथ इनसे जुड़ी राजनीति भी उभरकर सामने आई थी। बघेल ने इस दौरान भाजपा के नेताओं के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए, जो उनके विचार में राज्य की सुरक्षा और प्रशासन के साथ खिलवाड़ कर रहे थे।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूमिका और प्रदेश के विकास की दिशा पर बघेल ने जोर दिया। उनका कहना था कि कांग्रेस के शासन में राज्य में विकास के कार्य तेज़ी से हुए हैं, जबकि भाजपा सरकार सिर्फ अपनी नीतियों और योजनाओं को श्रेय लेने में व्यस्त है। बघेल ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार ने किसानों, मजदूरों और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए कई योजनाएं लागू की थीं, जिनसे प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे में सुधार हुआ था।
भूपेश बघेल के बयान ने भाजपा और कांग्रेस के बीच की राजनीतिक खाई को और गहरा किया है। उनके आरोपों ने भाजपा सरकार की नीतियों और उनके कार्यों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इस समय विकास, नक्सलवाद और शराब नीति जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से उठ रहे हैं, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
राज्य में अगले चुनावों को लेकर जो राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है, वह इस बात का संकेत देती है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के बीच आगामी चुनावी संघर्ष तेज होने वाला है। भाजपा सरकार को लेकर उठ रहे सवालों और आरोपों ने छत्तीसगढ़ की राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना दिया है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य के लोग किस पार्टी को अपने समर्थन के लिए चुनते हैं।
यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में आने वाले दिनों में कई नए मोड़ आ सकते हैं, और यह राजनीतिक संघर्ष राज्य के भविष्य की दिशा तय करेगा।