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अम्बिकापुर मे निजी स्कूलो की मनमानी और अडियल रवैया अभिभावको के लिए परेशानी का कारण बन गया है…


अम्बिकापुर मे निजी स्कूलो की मनमानी और अडियल रवैया अभिभावको के लिए परेशानी का कारण बन गया है निजी स्कूल प्रबंधन हाई कोर्ट के निर्देशो को दरकिनार कर फीस वृद्धि कर अभिवावको से रूपयो ऐंठने मे लगे है। ऐसे मे कई शिकवा शिकायत के बाद अब अभिवावको ने अभिभावको संघ के बैनर तले निजी स्कूल प्रबंधन औऱ प्रशासन के खिलाफ सडको पर उतर गए हैं

अम्बिकापुर मे एक दो शासकीय स्कूल स्कूलो को छोड दिया जाए.. तो समूचे शहर मे निजी स्कूलो का जाल बिझ गया है लेकिन ये निजी स्कूल प्रबंधन बच्चो और अभिवावको के लिए किसी विलेन के तरह व्यवहार कर रहे है हाई कोर्ट के निर्देश के बाद निजी स्कूल प्रबंधन कोरोना काल मे फीस मे बेतहासा वृद्धि किए जा रहे है इतना ही नही जनरल प्रमोशन के बाद कई स्कूल प्रबंधन अभिभावको पर ये दबाव बना रहे हैं कि वो अपने बच्चो का किसी दूसरे स्कूल मे एडमिशन करा ले। इन सभी मांगो को लेकर आज अभिवावको, अभिभावक संघ के बैनर तले सडक पर उतर कर आंदोलन के लिए बाध्य नजर आ रहे हैं।

अम्बिकापुर मे निजी स्कूल की मनमानी का ये आलम है कि अगर बच्चो की एक माह की फीस भी बची है।तो वो बच्चो के टेस्ट के रिजल्ट नहीं दिखाते हैं इतना ही कई स्कूल प्रबंधन तो नेटवर्क प्राब्लम के कारण टेस्ट मे लेटलतीफी को अभिभावको की गलती बता कर उनको बेईज्जत भी करते है। इन सब कारणो से अपने बच्चो को निजी स्कूल मे पढाने वाले अभिभावक काफी परेशान हो चुके हैं। अभिवावक ये मानते है कि हर अभिभावक अपने बच्चो के लिए क्षमता से अधिक करने की कोशिश करता है। जिसका फायदा निजी स्कूल प्रबंधन उठाते है। इतना ही नहीं अभिवावको का मानना है कि जिस तरह निजी स्कूल प्रबंधन हाई कोर्ट के निर्देशो की धज्जियां उडा रहा है। उससे निजी स्कूल प्रबंधन और जिला प्रशासन की मिली भगत की बात नजर आती है।

जानकारी के मुताबिक मनमानी फीस वसूलने वाले अम्बिकापुर के निजी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ प्रशासन ने जांच के निर्देश दिए थे। लेकिन आज तक ना उस जांच का पता है। औऱ ना ही जांच रिपोर्ट का। जिसको लेकर अभिभावक संघ को ये शंका है कि ये सब मिली भगत का खेल है।बहरहाल बच्चो औऱ अभिभावको को मानषिक रूप से प्रताडित करने वाले निजी स्कूल प्रबंधन पर प्रशासन की अगली कार्यवाही क्या होती है। ये कह पाना तो मुश्किल है। लेकिन इतना जरूर है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर अभिभावको का ये आंदोलन औऱ बडा स्वरूप ले सकता है।

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Ashish Sinha

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