
CG High Court News: पत्नी की क्रूरता माफ की तो नहीं मिलेगा तलाक—पति की अपील हाईकोर्ट ने की खारिज
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पति क्रूरता को माफ कर दे, तो हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार तलाक का आधार नहीं बनता। जांजगीर के पति की तलाक अपील सबूतों के अभाव में खारिज।
CG News : हाईकोर्ट ने पति की तलाक अपील खारिज की, कहा—जब क्रूरता माफ कर दी जाए तो तलाक का आधार नहीं बनता
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जांजगीर निवासी एक दंपती के विवाद से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि सबूतों के अभाव में क्रूरता साबित नहीं होती, और यदि कोई घटना हुई भी थी, पति ने पत्नी को बाद में क्षमा कर दिया था, इसलिए तलाक का आधार नहीं बनता।
क्या है मामला?
जांजगीर निवासी युवक की शादी 11 दिसंबर 2020 को सरगांव की युवती से हुई थी। अक्टूबर 2022 में बेटी के जन्म के बाद दंपती के बीच तनाव बढ़ने लगा। पति ने आरोप लगाया कि—
- तीन अज्ञात मोबाइल नंबरों से उसे गालियां दी गईं
- पत्नी के कथित अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दी गई
पत्नी 29 मार्च 2023 को घर छोड़कर मायके चली गईं। इसके बाद पति ने 4 अप्रैल 2023 को हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक की याचिका फैमिली कोर्ट, जांजगीर में दाखिल की।
फैमिली कोर्ट का फैसला
20 अगस्त 2024 को जांजगीर फैमिली कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि—
- पति क्रूरता के आरोप साबित नहीं कर पाया
- आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किए गए
इस आदेश को चुनौती देते हुए पति ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा—
- सबूतों के अभाव में क्रूरता सिद्ध नहीं होती
- यदि मान भी लिया जाए कि पत्नी से कोई गलती हुई थी, तो भी पति ने उसे “condone” (माफ) कर दिया था
- हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 23(1)(b) के तहत यदि पति-पत्नी एक-दूसरे को माफ कर दें, तो क्रूरता तलाक का आधार नहीं माना जा सकता
अदालत ने कहा कि पति का आचरण इस बात की पुष्टि करता है कि उसने पत्नी को वापस स्वीकार किया था, इसलिए क्रूरता का आधार मान्य नहीं रहेगा। इस प्रकार हाईकोर्ट ने तलाक की अपील खारिज कर दी।











