
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम सरगुजाके तहत पांच दिवसीय प्रशिक्षण सत्र संपन्न
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम सरगुजाके तहत पांच दिवसीय प्रशिक्षण सत्र संपन्न

P.S.YADAV/ब्यूरो चीफ/सरगुजा// स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव के दिशा निर्देशानुसार राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 18 वर्ष तक के बच्चों और किशोरों में किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर पूरा उपचार शासकीय अथवा निजी चिकित्सालय में निशुल्क करवाया जाना है। जिसके क्रियान्वयन को लेकर पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के मंथन हाल में किया गया थाI इस वर्ग के बच्चों एवं किशोरों की बीमारी को 4 वर्गों में वर्गीकृत किया गया हैI

पहला जन्मजात विकृति दूसरा कुपोषण के कारण से होने वाली बीमारी तीसरा इस उम्र में होने वाली सामान्य बीमारी जैसे दांत में गड्डे बनने की शिकायत,श्वसन, चर्म रोग से संबंधित बीमारी और चौथा शारीरिक विकास और मानसिक विकास में हो रही देरी से संबंधित समस्त बीमारी का इलाज शामिल हैI कोरोना महामारी के दौरान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत करते हुए संयुक्त संचालक एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.पी एस सिसोदिया ने बताया कि कोविड-19 बीमारी नियंत्रण में होने के पश्चात सभी स्वास्थ्य कार्यक्रम को रफ्तार दी जा रही है।

जन्मजात रोग के कारण 10 फीसदी मौत- शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जे के रेलवानी ने बताया कि डब्लूएचओ के आंकड़े के मुताबिक 100 में से 6-7 बच्चों जन्म संबंधी विकार से ग्रस्त होते हैं। नवजातों में दस फीसद बच्चों की मृत्यु इस कारण से हो जाती है।
समय पर पहचान से इस बीमारी में मौत की दर को काफी कम किया जा सकता है। इसके साथ ही विकलांगता से भी बचाव संभव है। बच्चों में कुछ रोग बेहद आम होते हैं। दांत, ह्रदय और श्वसन संबंधी रोग की पहचान समय पर कर ली जाए तो इलाज संभव है। आंकड़े के मुताबिक आरबीएसके दलों के द्वारा 33002 बच्चों का स्वास्थ्य जांच किया गया था और 1853 बच्चों को रेफर किया गया। जिला से बाहर चिकित्सा के लिए 3 बच्चों को जन्मजात हृदय में छेद के ऑपरेशन के लिए रायपुर रेफर किया गया था। यह आंकड़ा पिछले वर्ष के दिसंबर माह में जारी किया गया था। इस वर्ष में कोरोना महामारी के कारण यह प्रक्रिया धीमी हो गई थी। कुछ समय ओपीडी का संचालन भी बंद रहा है।

आरबीएसके दल भी क्षेत्र में भ्रमण नहीं कर रहे थे। सिविल सर्जन डॉ अनिल प्रसाद ने बताया कि अतिकुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रघुनाथ जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में भेजने का निर्देश दिये गया हैI प्रशिक्षण में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला प्रभारी डॉ अमीन फिरदौसी ने जानकारी दिया कि सरगुजा के 585 गांव के 2094 शासकीय स्कूलों व 2400 आंगनबाड़ी केंद्र में आ रहे जीरो से 18 वर्ष के बच्चों व किशोरों की कुल संख्या 327368 बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण की जिम्मेदारी आरबीएसके के 28 चिकित्सकों पर रहती है गत वर्ष तक 14355 बच्चे बीमार पाए गए जिनमें से 13953 बच्चों का उपचार आरबीएसके के माध्यम से कराया गया हृदय रोग से संबंधित 234 मरीज में 152 का ऑपरेशन हुआ क्लब फुट विकृति 158 बच्चों में मिला जिसमें 153 बच्चों को शल्य क्रिया द्वारा लाभान्वित किया गया दंत रोग के 1937 मरीज में 1812 मरीज का उपचार कराया गया व नेत्र संबंधी विकार के 46 बच्चों में 35 बच्चों की सर्जरी कराई जा चुकी हैI

जन्मजात बीमारी से पीड़ित बच्चों की नियमित स्क्रीनिग, पहचान, फोलोअप, उपचार और आवश्यकता हुई तो रेफर भी किया जाता है।पहचान के लिए नवजात शिशु के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में नवजातों की जांच की सुविधा उपलब्ध रहती है। जन्म के छह सप्ताह तक के बच्चों के लिए मितानिन कार्यकर्ता घर-घर जाकर जांच करती हैं। 6 सप्ताह से 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए आरबीएसके दल के मोबाइल स्वास्थ्य टीम आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंच कर जांच करती है। 6 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए यही टीम सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में जांच करती है। प्रशिक्षण सत्र में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के के अंतर्गत कार्य करने वाले समस्त चिकित्सक, फार्मासिस्ट व डा शाजिली कुरेशी डा निकिता डा अनामिका डॉक्टर मयंक डॉआकांक्षा तिवारी डॉ निखिल रेलवानी डॉ नेहा, प्रशिक्षण समन्वयक यशवंत खूंटे व संदीप उपस्थित रहेI












