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विश्रामपुर : शक्कर कारखाना में ढाई करोड़ की शक्कर की हेरा-फेरी हुई उजागर

गोपाल सिंह "विद्रोही" प्रदेश ब्यूरो चीफ छत्तीसगढ़

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शक्कर कारखाना में ढाई करोड़ की शक्कर की हेरा-फेरी हुई उजागर
, संचालक मंडल के निर्देश पर गोदाम की जांच में हुआ खुलासा, पुराने स्टॉक की कमी की भरपाई के लिए किया जा रहा था प्रयास, चीफ केमिस्ट और महाप्रबंधक शक के दायरे में*

प्रदेश खबर बिश्रामपुर – सूरजपुर जिले का मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना केरता में पदस्थ मुख्य रसायनज्ञ व अन्य सहयोगियों द्वारा 2 वर्ष पूर्व गोदाम में भंडारित शक्कर की मात्रा में हुई कमी की भरपाई इस सत्र के शक्कर उत्पादन से करने की हेरा-फेरी पर कारखाना संचालक मंडल ने मुख्य रसायनज्ञ को बर्खास्त करने की अनुशंसा करते हुए पूरे मामले में संस्था को होने वाली क्षतिपूर्ति हेतु एवं अपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिए न्यायालय उपपंजीयक सूरजपुर को पत्र प्रेषित कर दिया है। पूरे मामले में 8434 क्विंटल शक्कर के बोरे गायब मिले है, जिसकी कीमत आज के बाजार भाव के अनुसार लगभग ढाई करोड़ रुपये है। कारखाना द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार संचालक मंडल को इसकी भनक फरवरी माह में लगी थी, जिसके बाद बैठक में इसकी गणना के लिए गठित जांच दल द्वारा शक्कर बोरे की गिनती कराई गई तो दो अलग-अलग गोदाम में कुल 8434 क्विंटल शक्कर की कमी पाई गई।  पूरे मामले में संचालक मंडल ने कारखाना में ही पदस्थ महाप्रबंधक जो कि पदेन गोदाम प्रभारी भी है, उनकी भूमिका पर भी संदेह जाहिर किया है। इस पूरे मामले में कारखाना से शुगर फेडरेशन दिल्ली के सदस्य कुमार सिंहदेव, अध्यक्ष विद्यासागर सिंह आयाम व उपाध्यक्ष जितेंद्र दुबे ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस पूरे मामले में संबंधित दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना केरता में शक्कर के बोरे गायब होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मिली जानकारी के अनुसार इस सत्र उत्पादन की जा रही शक्कर और इसे गोदाम में भंडारित करने के दौरान हेरा-फेरी करने की जानकारी संचालक मंडल को पिछले कुछ दिनों से मिल रही थी। इसी को संज्ञान में लेते हुए दिनांक 8 फरवरी 21 को संचालक मंडल ने अपनी 47 वीं बैठक में मामले की जांच कराने के लिए प्रस्ताव पारित किया, जिसके अनुशरण में  गोदामों में भंडारित शक्कर की बोरी की गणना के लिए एक दल का गठन किया गया। इस दल में सीआर नायक सहायक अभियंता, रोहित सोनी मैनुफैक्चरिंग केमिस्ट, राजेश शर्मा केन यार्ड सुपरवाईजर, नंदू राम सेक्यूरिटी गार्ड ने दो अलग अलग गोदाम में शक्कर की बोरियों की गणना करते हुए भौतिक सत्यापन किया तो पुराने भंडारण में 5026 क्विंटल व स्थाई गोदाम में 7546.50 कुल 12572.50  क्विंटल शक्कर की बोरी कम पाई गई। इसमें जब पूरे मामले को खंगाला गया तो यह भी चौकाने वाला तथ्य सामने आया कि इसमें मुख्य रसायनज्ञ मनोज कुमार पाढ़ी द्वारा लगभग 4138.50 क्विंटल शक्कर को रिप्रोसेसिंग के लिए लाना बताया गया है, जिसका सही तरीके से न तो लेखा- जोखा है और न ही संतोषजनक दस्तावेज तैयार किया गया है। यदि उक्त मात्रा को रिप्रोसेसिंग के लिए लाना मान भी लिया जाए तो दोनों गोदाम में कुल 8434 क्विंटल शक्कर की बोरी कम पाई गई है।

*पुरानी कमी की भरपाई ? क्या है मामला ?*
मिली जानकारी के अनुसार दरअसल मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना केरता में पिछले कुछ वर्षों से पूर्व गोदाम से शक्कर की चोरी का मामला काफी सुर्खियों में आता रहा है। उस दौरान कारखाना प्रबंधन पर गोदाम से शक्कर चोरी कराये जाने के आरोप लगे थे। ऐसा माना जा रहा है कि उस दौरान गोदाम से चोरी की गई शक्कर की कमी की भरपाई के लिए इस वर्ष प्रबंधन में जमे कुछ उस दौरान के अधिकारियों द्वारा हेरा-फेरी का प्रयास किया गया, लेकिन अंदरूनी तौर पर इसकी जानकारी नवनिर्वाचित संचालक मंडल को हो गई। संचालक मंडल ने इसकी जानकारी होने पर तत्काल इसे संज्ञान में लेते हुए गोदामों का भौतिक सत्यापन कराये जाने का प्रस्ताव लेते हुए एक दल का गठन कर दिया और लगातार गणना के बाद अंततः गणना दल ने अपना प्रतिवेदन संचालक मंडल के समक्ष प्रस्तुत कर दिया, जिसके अनुसार लगभग ढाई करोड़ की शक्कर गोदाम से गायब थी, जिसको देखकर संचालक मंडल ने 20 मार्च को आकस्मिक बैठक करते हुए मुख्य रसायनज्ञ मनोज कुमार पाढ़ी को बर्खास्त करने का प्रस्ताव पारित करते हुए न्यायालय उपपंजीयक सहकारी सेवाएं सूरजपुर को पत्र प्रेषित करते हुए संस्था को होने वाली आर्थिक क्षति की भरपाई और अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।

*आखिर समायोजन क्यों ? महाप्रबंधक पर भी संदेह ?*
इस पूरे मामले में यह बात ध्यान देने योग्य है कि आखिर पुराने सत्र में हुई शक्कर बोरों की कमी को इस सत्र में हेरा-फेरी करते हुए समायोजित करने का प्रयास क्यों किया गया ? दरअसल इसके पीछे यह अहम कारण बताया जा रहा है कि शक्कर कारखाना में मुख्य रसायनज्ञ मनोज कुमार पाढ़ी व प्रबंधन के कुछ अन्य अधिकारी पिछले कई वर्षों से जमे हुए है, उस दौरान से ही कारखाना प्रबंधन पर शक्कर की चोरी सहित अन्य कई मामलों पर गंभीर आरोप लगते रहे है। इसी बीच कारखाना में किसानों के बीच से नया संचालक मंडल निर्वाचित होकर यहां पर आसीन हुआ है। तब से संचालक मंडल लगातार कारखाना की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है। बताया जा रहा है कि संचालक मंडल की चौकसी को देखते हुए मुख्य रसायनज्ञ सहित कुछ पुराने लोगों ने गोदाम में शक्कर की बोरी की कमी का भंडाफोड़ होने के डर से इस सत्र इसको पूरी तरह से समायोजित करने का प्रयास किया और मामला गोदामों के भौतिक सत्यापन से पकड़ में आ गया। दरअसल इस पूरे मामले में मुख्य रसायनज्ञ सहित एक महाप्रबंधक की भूमिका को संदेह के नजरों से देखा जा रहा है, जो कि पिछले कई वर्षों से पदेन गोदाम प्रभारी है और उस महाप्रबंधक एवं मुख्य रसायनज्ञ मनोज कुमार पाढ़ी के संयुक्त हस्ताक्षर से ही गोदाम के स्टॉक का पूरा लेखा-जोखा रखा जाता रहा है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि उनके द्वारा पिछले वर्षों में हुई शक्कर की अफरातफरी से स्टॉक की कमी की भरपाई इस सत्र शक्कर उत्पादन से करने का प्रयास किया जा रहा था।

*कैसे पकड़ में आया मामला ?*
दरअसल प्रत्येक सहकारी शक्कर कारखाना में प्रत्येक सत्र की एक प्रमाणित पंजी संधारित की जाती है, जिसे आरजे 1 कहा जाता है। मिली जानकारी के अनुसार इस महत्त्वपूर्ण पंजी में सत्र 2020-21 के आरंभ होने के दौरान ओपनिंग स्टॉक 58 हजार 290 क्विंटल शक्कर का स्टॉक था। इस सत्र के 16 मार्च 21 तक कुल 01 लाख 87 हजार 825 क्विंटल शक्कर का उत्पादन किया गया। इस प्रकार इस सत्र के 16 मार्च तक कुल 2 लाख 46 हजार 115 क्विंटल शक्कर का भंडारण किया गया, जिसमें बीच-बीच में शक्कर की बिक्री के बाद 16 मार्च तक गोदामों में कुल 2 लाख 3 हजार 95 क्विंटल शक्कर का भंडारण शेष बचा, जिसकी पुष्टि डेली मैनुफैक्चरिंग रिकॉर्ड व मुख्य रसायनज्ञ के जवाब से भी होती है। यह आंकड़े राज्य शासन को प्रतिदिन भेजे भी जाते है और वहां से इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार तक भी होती है। उक्त भंडारित शक्कर का जब भौतिक सत्यापन किया गया तो स्थाई गोदाम से 7546.50 क्विंटल व पुराने भंडारण में 887.50 क्विंटल कुल 8434 क्विंटल शक्कर कम पाया गया।

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*घालमेल की आशंका पर नए चीफ केमिस्ट को भी लाया गया*
मिली जानकारी के अनुसार इस सत्र संचालक मंडल को कारखाना में शक्कर उत्पादन में घालमेल की आशंका बीच में हो गई थी, परंतु इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही थी। इसी कोशिश में संचालक मंडल ने उच्चाधिकारियों से निवेदन करते हुए यहां पर बालोद शक्कर कारखाना में पदस्थ चीफ केमिस्ट की कुछ दिनों के लिए नियुक्ति भी कराई। इस दौरान जब नए चीफ केमिस्ट ने गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की तो संचालक मंडल के निर्देश पर एमडी अनिल तिर्की ने पहले से पदस्थ चीफ केमिस्ट मनोज कुमार पाढ़ी को पूरी प्रक्रिया से हटाते हुए बालोद से आये चीफ केमिस्ट को जिम्मेदारी सौपी। ऐसा भी माना जा रहा है कि बालोद के चीफ केमिस्ट के आने के बाद इस सत्र में शक्कर उत्पादन से जो पहले की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा था, वह मंशा पूरी नहीं हो सकी और पूरा मामला पकड़ में आ गया।

*रिप्रोसेसिंग व गोदामीकरण में भी घालमेल*
मिली जानकारी के अनुसार गठित दल द्वारा जब गोदामों का निरीक्षण किया गया तो गोदामों में भारी अनियमितता देखने को मिली। गोदाम में वर्षवार लॉट अनुसार शक्कर का भंडारण नहीं किया गया था। इतना ही नहीं गोदाम भंडारण के अनुसार प्रत्येक वर्ष उत्पादन व विक्रय का पृथक-पृथक पंजी का संधारण भी नहीं कराया गया है और न ही प्रत्येक वर्ष का भंडारण व लॉट अंकित है। यह गोदाम में भंडारण में घोर अनियमितता है। मिली जानकारी के अनुसार इसके अलावा नियमानुसार पुराने गोदाम से रिप्रोसेसिंग के लिए शक्कर को लाने में मुख्य रसायनज्ञ द्वारा घोर अनियमितता बरती गई है। नियमानुसार मुख्य रसायनज्ञ को संचालक मंडल की अनुमति से ही पुराने शक्कर को रिप्रोसेसिंग के लिए लाना था, जिसका पालन मुख्य रसायनज्ञ द्वारा नहीं किया गया। इस अनियमितता के बाद इस शक्कर को बगैर वजन कराये गोदाम से निकालते हुए रिप्रोसेसिंग किया गया, जिसमें सिर्फ बोरे का नंबर प्रमाणिक पंजी में अंकित न करते हुए अनियमित पंजी में करते हुए दर्ज किया गया, जो नियम विरुद्ध है। मुख्य रसायनज्ञ द्वारा पंजी में दिखाए गए आंकड़ों के अनुसार माह दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 तक कुल 4138.50 क्विंटल शक्कर को पुराने गोदाम से लाना बताया गया है, जो संदेह उत्पन्न करता है। इसके अलावा संचालक मंडल को मिली जानकारी के अनुसार पिछले सत्रों के दौरान शक्कर की हेरा-फेरी को समायोजित करने के लिए मुख्य रसायनज्ञ ने रिप्रोसेसिंग से उत्पादित शक्कर को इस वर्ष के उत्पादित शक्कर से कम नहीं किया और इसे नए उत्पादन में शामिल कर दिया।

इस पूरे घालमेल के बाद अब संचालक मंडल ने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का मन बना लिया है। उन्होनें पूरी जानकारी न्यायालय उपपंजीयक सूरजपुर को प्रेषित करते हुए क्षति की भरपाई व अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।

*दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा-कुमार सिंहदेव*
शुगर फेडरेशन दिल्ली के सदस्य कुमार सिंहदेव ने एक चर्चा में कहा कि गोदामों में शक्कर की कमी की संभावना को लेकर जानकारी संचालक मंडल को मिली, इसी पर संचालक मंडल द्वारा गणना के लिए दल का गठन किया गया। जिसमें यह बात उजागर हुई कि प्रमाणिक पंजी के अनुसार गोदामों में शक्कर की मात्रा कम है। इसपर तत्काल संचालक मंडल की बैठक आहूत करते हुए चीफ केमिस्ट को बर्खास्त करने व न्यायालय उपपंजीयक को पत्र प्रेषित किया गया है, जिससे जिम्मेदार लोगों से क्षति की पूर्ति के साथ उनके खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई है। इसमें संलिप्त लोगों को बिल्कुल भी नहीं बख्शा जाएगा।

*कारखाना के हित से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं- विद्यासागर सिंह आयाम*
कारखाना के अध्यक्ष विद्यासागर सिंह आयाम ने कहा कि संचालक मंडल किसी भी प्रकार से कारखाना के हित से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा। संचालक मंडल को जैसे ही गोदामों में शक्कर की कमी की जानकारी मिली वैसे ही संचालक मंडल ने तत्काल टीम का गठन कर अविलंब इसका भौतिक सत्यापन कराया, ताकि वास्तविकता की जानकारी मिल सके। जब भौतिक सत्यापन से यह स्पष्ट हो गया कि गोदामों में शक्कर कम है और दोषी लोगों द्वारा पिछले सत्र में शक्कर की कमी को इस सत्र के उत्पादन से पूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा था, तो इसकी सूचना संबंधित उच्चाधिकारियों को देते हुए तत्काल न्यायालय उपपंजीयक को सूचना देते हुए इसमें न्यायालयीन कार्रवाई की मांग की गई है।

*संचालक मंडल की चौकसी कारखाना को कई लाभ हुए- जितेंद्र दुबे*
कारखाना के उपाध्यक्ष जितेंद्र दुबे ने कहा कि निर्वाचित संचालक मंडल की चौकसी का ही परिणाम है कि आज कारखाना में कई वर्षों से पदस्थ अधिकारी व कर्मचारी द्वारा पिछले कई वर्षों में की गई गड़बड़ी उजागर हो रही है। गोदाम में गड़बड़ी होने की जानकारी मिलने के बाद संचालक मंडल ने इस पर तत्काल कदम उठाया, नहीं तो दोषियों को सुरक्षित करने के प्रयास में मामले को टाला भी जा सकता था। इसके अलावा कारखाना के संचालन में भी संचालक मंडल की चौकसी का ही परिणाम है कि पिछले कई पेराई सत्र में पहला अवसर है कि इस सत्र कारखाना बिना ब्रेकडाउन के पूरे सत्र निर्बाध रूप से संचालित रहा। शक्कर हेराफेरी की संभावना संचालक मंडल को थी, लेकिन गोदाम में शक्कर के अत्यधिक भंडारण से इसका सत्यापन नहीं हो पा रहा था। बीच में माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद जब बड़ी मात्रा में शक्कर की बिक्री हुई तब गोदाम का सत्यापन कराया जाना संभव हुआ। शक्कर की हेरा-फेरी को छुपाने के लिए गोदाम में शक्कर का बेतरतीब भंडारण, पुराने गोदाम से रिप्रोसेसिंग के लिए शक्कर के उठाव में निर्धारित नियमों की अनदेखी से ही यह स्पष्ट हो गया कि कुछ लोगों द्वारा पिछले सत्र में शक्कर की मात्रा की कमी को इस सत्र के उत्पादन से पूरा करने की कोशिश की जा रही है और नियम विपरीत कार्य करते हुए पूरे मामले को उलझाने का प्रयास किया है। गड़बड़ी की संभावना को देखते हुए भी संचालक मंडल ने पेराई सत्र के बीच में ही पुराने चीफ केमिस्ट को हटाते हुए बालोद शक्कर कारख़ाना के चीफ केमिस्ट को यहां नियुक्त कराया था, जिससे अफरातफरी की स्थिति स्पष्ट हो सके, और इससे कई मामले स्पष्ट भी हुए।फिलहाल मामले को उच्चाधिकारियों के संज्ञान में ला दिया गया है।

*निर्धारित पंजी, नियमों की अनदेखी से मंशा संदिग्ध- एमडी*
कारखाना के प्रबंध संचालक ने कहा कि गठित जांच दल ने गोदामों के भौतिक सत्यापन में 8434 क्विंटल शक्कर कम मिलने का प्रतिवेदन दिया है। जिसके लिए न्यायालय उपपंजीयक सूरजपुर को पत्र प्रेषित कर अग्रिम कार्रवाई की मांग की गई। पूरे मामले में गोदामों में शक्कर के भंडारण में अनियमितता के साथ नियमानुसार निर्धारित पंजी का संधारण नहीं किये जाने का भी प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है। इसमें रिप्रोसेसिंग के लिए गोदाम से शक्कर उठाव भी निर्धारित नियम व प्रामाणिक पंजी से नहीं किया गया है, जो घोर अनियमितता है। पूरे मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, आगे जैसा निर्देश होगा उसके अनुरूप कार्य किया जाएगा।

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Haresh pradhan

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