छत्तीसगढ़राज्यरायपुर

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत और मुख्यमंत्री बघेल ने ‘चंदैनी गोंदा-एक सांस्कृतिक यात्रा‘ पुस्तक का किया विमोचन

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत और मुख्यमंत्री बघेल ने ‘चंदैनी गोंदा-एक सांस्कृतिक यात्रा‘ पुस्तक का किया विमोचन

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रायपुर, 29 जुलाई 2021छत्तीसगढ़ विधानसभा परिसर स्थित विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में आज विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत और मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने डॉ. सुरेश देशमुख द्वारा लिखित ‘चंदैनी गोंदा- एक सांस्कृतिक यात्रा‘ पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने डॉ. देशमुख को पुस्तक के प्रकाशन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

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इस अवसर पर गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी मंत्री गुरू रुद्र कुमार तथा राजगामी संपदा न्यास के अध्यक्ष श्री विवेक वासनिक एवं न्यास के सदस्यगण उपस्थित थे।
डॉ. देशमुख ने बताया कि छत्तीसगढ़ में दाऊ रामचन्द्र देशमुख ने सांस्कृतिक क्रांति का शंखनाद कर राज्य निर्माण के लिए एक वातावरण निर्मित किया था। इस ग्रंथ में वस्तुतः नयी पीढ़ी को दाऊ रामचंद्र देशमुख के व्यक्तित्व और कृतित्व से समग्र रूप से परिचित कराने का प्रयास किया गया है। ज्ञातव्य है कि ‘चंदैनी गोंदा छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक यात्रा‘ स्मारिका का प्रकाशन 7 दिसंबर सन 1976 को चंदैनी गोंदा के 25वें प्रदर्शन के अवसर पर हुआ था। इसके संपादक धमतरी के साहित्यकारद्वय सर्वश्री नारायण लाल परमार और त्रिभुवन पांडे थे। इस स्मारिका के प्रकाशन के 45 वर्षों के उपरांत उन्होंने द्वितीय संस्करण को संशोधित और परिवर्धित रूप में प्रकाशित किया है। उन्होंने बताया कि इस संस्करण में दाऊ रामचंद्र देशमुख द्वारा सृजित देहाती कला विकास मण्डल से लेकर चंदैनी गोंदा की निर्माण प्रक्रिया और उसके विसर्जन तथा कारी की सर्जना तक की सांस्कृतिक यात्रा को उन्होंने 488 पृष्ठों के अपने इस ग्रंथ में समाहित किया है । उन्होंने अपने इस शोधपूर्ण ग्रंथ में दाऊ जी और उनकी कृतियों से जुड़े छोटे-बड़े सभी कलाकारों और साहित्यकारों का वर्णन कर उनके अवदानों को भी रेखांकित किया है। साथ ही छत्तीसगढ़ में लोककला, संगीत और लोक संस्कृति को जानने और समझने का प्रयास करने वालों को अनुपम उपहार दिया है। यह ग्रंथ न केवल पठनीय अपितु संग्रहणीय भी है, जिससे भविष्य में लोककला के शोधार्थियों के लिये यह संदर्भ ग्रंथ का काम करेगा।

Ashish Sinha

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