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आरक्षण विवाद: राज्यपाल सचिवालय को जारी नोटिस की वैधानिकता पर सुनवाई पूरी, हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

आरक्षण विधेयक बिल को राजभवन में रोके जाने को लेकर राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें राज्यपाल पर अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल सिर्फ सहमति या असहमति दे सकते हैं, लेकिन बिना किसी वजह के बिल को लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता.मामले में सुनवाई के दौरान राजभवन को नोटिस जारी हुआ, तो राज्यपाल सचिवालय की तरफ से हाईकोर्ट में आवेदन पेश किया गया है, जिसमें राजभवन को पक्षकार बनाने और हाईकोर्ट की नोटिस को चुनौती दी गई है। राज्यपाल सचिवालय की तरफ से पूर्व असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल और सीबीआई व एनआईए के विशेष लोक अभियोजक बी गोपा कुमार ने तर्क देते दिया है कि संविधान की अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल किसी भी न्यायालय में जवाबदेह नहीं है।

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