छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिराज्यरायपुर

पशुओं से फसलों को बचाने इस वर्ष भी आयोजित होगा ‘रोका-छेका’ कार्यक्रम

रायपुर : पशुओं से फसलों को बचाने इस वर्ष भी आयोजित होगा ‘रोका-छेका’ कार्यक्रम

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर वर्ष 2021 से पुनर्जीवित की गई है ‘‘रोका-छेका’’ की प्रथा

कृषि उत्पादन आयुक्त ने कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को जारी किए निर्देश

ग्राम स्तर पर 20 जून तक रोका-छेका के संबंध में बैठकें आयोजित करने के निर्देश

गौठानों में पशुओं के प्रबंधन और रख-रखाव की होगी उचित व्यवस्था

गांवों में की जाएगी चरवाहा की व्यवस्था

पशुओं को गौठानों में लाने मुनादी कराने के निर्देश

फसल बुआई के पूर्व छत्तीसगढ़ के गांवों में प्रचलित रही है ‘‘रोका-छेका’’ की प्रथा

रायपुर 07 जून 2022

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ के गांवों में आगामी फसल बुआई के पूर्व खुले में चराई करने वाले पशुओं से फसलों को बचाने के लिए इस वर्ष भी ‘‘रोका-छेका’’ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। प्रदेश के सभी कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को छत्तीसगढ़ की रोका-छेका प्रथा के अनुरूप गौठानों में पशुओं के प्रबंधन व रख-रखाव की उचित व्यवस्था करने, पशुपालकों और किसानों को अपने पशुओं को घरों में बांधकर रखने के लिए प्रोत्साहित करने तथा गांवों में पहटिया (चरवाहा) की व्यवस्था करने के संबंध में 20 जून तक ग्राम स्तर पर बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर गांवों में ‘‘रोका-छेका’’ प्रथा को फिर से पुनर्जीवित किया गया है। इस वर्ष रोका-छेका कार्यक्रम का दूसरा वर्ष है। कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह द्वारा कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को रोका-छेका कार्यक्रम के आयोजन के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करते हुए सभी व्यवस्थाएं प्राथमिकता के साथ सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

छत्तीसगढ़ में आगामी फसल बुआई कार्य के पूर्व खुले में चराई कर रहे पशुओं के नियंत्रण हेतु ‘‘रोका-छेका’’ प्रथा प्रचलित है, जिसमें फसल बुआई को बढ़ावा देने तथा पशुओं के चरने से फसल को होने वाली हानि से बचाने के लिये पशुपालक तथा ग्रामवासियों द्वारा पशुओं को बांधकर रखने अथवा पहटिया (चरवाहा) की व्यवस्था इत्यादि कार्य किया जाता है। इस प्रयास से न सिर्फ कृषक शीघ्र बुआई कार्य संपादित कर पाते है अपितु द्वितीय फसल लेने हेतु प्रेरित होते है। कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा जारी निर्देशों में कहा गया है कि विगत वर्ष के भांति इस वर्ष भी रोका-छेका प्रथा के अनुसार सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए 20 जून तक ग्राम स्तर पर ग्राम सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीणजन की बैठक आयोजित की जाए। जिसमें पशुओं के नियंत्रण से फसल बचाव का निर्णय ग्राम सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों के द्वारा लिया जाए। फसल को चराई से बचाने हेतु पशुओं को गौठान में नियमित रूप से लाये जाने के संबंध में प्रत्येक गौठान ग्राम में मुनादी करायी जाये।

‘‘रोका-छेका’’ प्रथा अंतर्गत गौठानों में पशुओं के प्रबंधन व रखरखाव की उचित व्यवस्था हेतु गौठान प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की जाए। ऐसे गौठान जो सकिय परिलक्षित नहीं हो रहे है, वहां आवश्यकतानुसार जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से समिति में संशोधन कर सदस्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

इसके साथ ही साथ पहटिया (चरवाहे) की व्यवस्था से पशुओं का गौठानों में व्यवस्थापन सुनिश्चित करायें। गौठानों में पशु चिकित्सा तथा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कराया जाए तथा वर्षा के मौसम में गौठानों में पशुओं के सुरक्षा हेतु व्यापक प्रबंध किया जाए। वर्षा से जल भराव की समस्या दूर करने के लिये गौठानों में जल निकास की समुचित व्यवस्था की जाए तथा गौठान परिसर में पशुओं के बैठने हेतु कीचड़ आदि से मुक्त स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

कृषि उत्पादन आयुक्त ने वर्षा, बाढ़ से गोधन न्याय योजना अंतर्गत गौठानों में क्रय किए गए गोबर, उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट को सुरक्षित रखने के प्रबंध करने, जैविक खेती की महत्ता का व्यापक प्रचार-प्रसार करने और गोधन न्याय योजना अंतर्गत उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट के खेती में उपयोग हेतु कृषकों को प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं।
कलेक्टरों और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को गौठान में पर्याप्त चारा, पैरा आदि की व्यवस्था करने, ग्रीष्मकालीन धान की फसल के पैरादान हेतु कृषको को प्रेरित करने, समस्त निर्मित गौठानों में 30 जुलाई से पहले चारागाह की स्थापना कर चारा उत्पादन कराने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टरों से रोका-छेका कार्यक्रम का स्थानीय स्तर पर प्रचार-प्रसार सुनिश्चित कर ग्रामीणजनों की सहभागिता सुनिश्चित करने को कहा गया है।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!