
बस्तर में नक्सलवाद का आखिरी अध्याय! 40 लाख के इनामी 11 नक्सलियों ने डाली हथियार
बस्तर में नक्सलवाद का आखिरी अध्याय! 40 लाख के इनामी 11 नक्सलियों ने डाली हथियार
नारायणपुर। बस्तर संभाग में नक्सलवाद का अंत अब समीप दिख रहा है। नक्सल विचारधारा से क्षुब्ध होकर और छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नारायणपुर जिले में 40 लाख के इनामी 11 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। यह न केवल नक्सलवाद के पतन की ओर एक बड़ा संकेत है बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार की रणनीतियां प्रभावी साबित हो रही हैं।
डबल इंजन सरकार की रणनीति रंग लाई
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार हो रहे आत्मसमर्पण यह सिद्ध कर रहे हैं कि बस्तर में दशकों से फैले नक्सलवाद के ताबूत में अंतिम कील ठोंकने का कार्य केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त रणनीतियों से हो रहा है।
विष्णुदेव साय ने इस आत्मसमर्पण को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संकल्प के अनुरूप है। मार्च 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद का पूर्णतः सफाया करने की जो योजना बनाई गई है, वह अब मूर्त रूप लेती दिख रही है।
सुरक्षा कैंप और विकास योजनाओं का असर
बस्तर संभाग के सुदूर इलाकों में सरकार द्वारा निरंतर सुरक्षा कैंपों की स्थापना, नियद नेल्ला नार योजना के तहत सड़क निर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार से जनता का सरकार पर विश्वास मजबूत हुआ है। लोग अब यह महसूस कर रहे हैं कि सरकार उनके लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर सकती है, जिससे नक्सली संगठन कमजोर पड़ रहे हैं।
नक्सली भी समझ रहे, हिंसा का अंत तय
जो नक्सली कभी सरकार और प्रशासन के खिलाफ बंदूकें उठाते थे, वे अब आत्मसमर्पण कर रहे हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली नेताओं ने भी माना कि नक्सली संगठनों में फूट और अविश्वास बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर, सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया है।
आत्मसमर्पण के बाद सरकार की पुनर्वास योजना
सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए तत्पर है। आत्मसमर्पण नीति के तहत उन्हें आर्थिक सहायता, सुरक्षा और पुनर्वास योजनाओं का लाभ मिलेगा, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में लौटकर एक सामान्य जीवन जी सकें।
बस्तर की धरती पर अब नक्सलवाद का अंत नजदीक है। आने वाले समय में और भी नक्सली मुख्यधारा में लौटेंगे, जिससे छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने का सपना जल्द ही साकार होगा।