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‘‘जनजातीय वाचिकोत्सव 2023’’ : तीन दिवसीय आयोजन 25 से 27 मई तक नवा रायपुर में

रायपुर : ‘‘जनजातीय वाचिकोत्सव 2023’’ : तीन दिवसीय आयोजन 25 से 27 मई तक नवा रायपुर में

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तीन दिवसीय आयोजन 25 से 27 मई तक नवा रायपुर में

जनजातीय वाचिक परंपरा के संरक्षण एवं अभिलेखीकरण में मिलेगी मदद

जनजातीय वाचिकोत्सव में 240 जनजातीय वाचकों की सहभागिता संभावित

नौ विधाओं का किया जाएगा वाचन

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आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (ज्त्ज्प्) द्वारा भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय एवं राज्य शासन के सहयोग से आदिवासी जीवन से संबंधित वाचिक परंपरा के संरक्षण, संवर्द्धन एवं उनके अभिलेखीकरण के उद्देश्य से 25 से 27 मई 2023 तक तीन दिवसीय ‘‘जनजातीय वाचिकोत्सव 2023’’ का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के जनजातीय वाचकों द्वारा जनजातीय वाचिक परंपरा की विभिन्न विधाओं के अंतर्गत अपनी प्रस्तुति दी जाएगी।
‘‘जनजातीय वाचिकोत्सव 2023’’ के आयोजन के उपरांत संस्थान द्वारा जनजातीय वाचिक परंपरा के संरक्षण एवं अभिलेखीकरण के दृष्टिगत पुस्तक का प्रकाशन भी किया जाएगा। जिसमें कार्यक्रम में प्रस्तुत किए गए विषयों के साथ-साथ राज्य के अन्य जनजातीय समुदाय के व्यक्तियों से भी जनजातीय वाचिक परंपरा के क्षेत्र में प्रकाशन हेतु आलेख आमंत्रित किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि यह आयोजन टी.आर.टी.आई. संस्थान के नवनिर्मित भवन में होगा। कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता संसदीय सचिव श्री द्वारिकाधीश यादव द्वारा की जाएगी।
‘‘जनजातीय वाचिकोत्सव 2023’’ के अंतर्गत लगभग 240 जनजातीय वाचकों की सहभागिता संभावित है। इनमें प्रमुख रूप से जनजातीय साहित्यकार श्री अश्वनी कुमार पंकज (रांची झारखण्ड) एवं श्री पंकज चतुर्वेदी (नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली) भी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।
जनजातीय वाचिकोत्सव में 09 विधाओं का वाचन किया जाएगा। ‘‘जनजातीय देवी-देवता एवं मड़ई मेला के संबंध में वाचिक ज्ञान, जनजातियों में प्रचलित लोक कहानियाँ, जनजातियों में प्रचलित कहावतें एवं लोकोक्तियां, जनजातीय लोकगीत, उनका अभिप्राय एवं भावार्थ, जनजातीय तीज-त्यौहार से संबंधित वाचिक ज्ञान, जनजातीय जीवन संस्कार (जन्म, विवाह, मृत्यु इत्यादि) संबंधी वाचिक परम्परा, जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति संबंधी धारणा एवं वाचिक ज्ञान, जनजातीय समुदाय में गोत्र व्यवसाय एवं गोत्र चिन्हों की अवधारणा संबंधी वाचिक ज्ञान, जनजातियों में प्रचलित विशिष्ट परम्परा (गोदना, लाल बंगला, घोटूल, धनकूल, जगार, जात्रा, धुमकुरिया आदि) रीति रिवाज एवं परम्परागत ज्ञान एवं विश्वास’’ पर वाचन किया जाएगा। यह कार्यक्रम प्रतिदिन 8 सत्रों में विभाजित किया गया है। कार्यक्रम के समापन अवसर पर शामिल सभी जनजातीय वाचकों को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

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