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छत्तीसगढ़ में खनन क्षेत्र की डिजिटल क्रांति: पारदर्शिता, नवाचार और आर्थिक प्रगति का नया युग

छत्तीसगढ़ में खनन क्षेत्र की डिजिटल क्रांति: पारदर्शिता, नवाचार और आर्थिक प्रगति का नया युग

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अंबिकापुर, 18 मार्च 2025 – छत्तीसगढ़ सरकार के नेतृत्व में खनन क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव हो रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के कुशल मार्गदर्शन में प्रदेश ने पारदर्शी खनन नीति, ई-नीलामी, डिजिटल निगरानी और पर्यावरण-संवेदनशील खनन रणनीतियों को अपनाकर खनिज संपदा का सुव्यवस्थित उपयोग सुनिश्चित किया है। इन नवाचारों के चलते छत्तीसगढ़ का खनिज राजस्व अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है।

खनिज राजस्व में ऐतिहासिक वृद्धि

राज्य के गठन के समय की तुलना में छत्तीसगढ़ के खनिज राजस्व में 30 गुना वृद्धि हुई है। 2023-24 में यह आँकड़ा 13,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गया था, और 2024-25 में अप्रैल से फरवरी के बीच ही 11,581 करोड़ रुपये का खनिज राजस्व अर्जित किया जा चुका है। यह पारदर्शी नीतियों और डिजिटल प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग का परिणाम है।

ई-नीलामी की सफलता और क्रिटिकल मिनरल्स पर फोकस

राज्य में अब तक 44 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक ई-नीलामी हो चुकी है। इनमें चूना पत्थर के 14, लौह अयस्क के 9, बॉक्साइट के 11, स्वर्ण के 3, निकल और क्रोमियम के 2-2, ग्रेफाइट के 2, ग्लूकोनाइट के 2 और लिथियम के 1 खनिज ब्लॉक शामिल हैं।

भारत सरकार ने जनवरी 2025 में राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन की घोषणा की थी, जिसके तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने 56 अन्वेषण परियोजनाओं में से 31 को क्रिटिकल और डीप सीटेड मिनरल्स के लिए समर्पित किया है। प्रदेश में अब तक 10 क्रिटिकल मिनरल्स ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी हो चुकी है, जिनमें लिथियम, स्वर्ण, निकल, क्रोमियम, ग्रेफाइट और ग्लूकोनाइट शामिल हैं।

देश में पहली बार लिथियम ब्लॉक की नीलामी

भारत सरकार द्वारा देश में पहली बार छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा लिथियम ब्लॉक की नीलामी की गई। यह ब्लॉक 76% प्रीमियम राशि पर मेसर्स साउथ मायकी माइनिंग कंपनी को आबंटित किया गया। इसके अतिरिक्त, सुकमा और कोरबा जिलों में भी लिथियम अन्वेषण कार्य चल रहा है, जिससे यहाँ लिथियम भंडार पाए जाने की पूरी संभावना है।

बैलाडीला लौह अयस्क क्षेत्र: देश के खनन उद्योग की रीढ़

बैलाडीला क्षेत्र भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क भंडारों में से एक है। वर्तमान में यहाँ तीन नए लौह अयस्क ब्लॉकों की ई-नीलामी प्रक्रिया जारी है, जिसे मार्च 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा, कांकेर जिले के हाहालद्दी लौह अयस्क ब्लॉक की नीलामी भी अंतिम चरण में है।

पर्यावरणीय संतुलन और डिजिटल निगरानी

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खनन क्षेत्र को अधिक पारदर्शी और वैज्ञानिक बनाने के लिए सरकार ने सैटेलाइट इमेजरी और माइनिंग सर्विलांस सिस्टम लागू किया है। इससे अवैध खनन की निगरानी की जा रही है। गौण खनिज खानों में वैज्ञानिक पद्धति से खनन को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिल रही है। बेहतर कार्य करने वाले पट्टेधारियों को ‘स्टार रेटिंग’ प्रणाली के तहत प्रोत्साहित किया जा रहा है।

खनिज राजस्व से सामाजिक विकास

खनिज राजस्व का बड़ा हिस्सा प्रदेश के सामाजिक विकास में निवेश किया जा रहा है। 2024-25 में जिला खनिज संस्थान न्यास के अंतर्गत अब तक 1,673 करोड़ रुपये की निधि प्राप्त हुई है। इस राशि से शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल और कौशल विकास सहित 9,362 विकास कार्यों को मंजूरी दी गई। यह खनन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार ला रहा है।

खनिज अन्वेषण और भविष्य की योजनाएँ

राज्य सरकार ने चूना पत्थर, बॉक्साइट, लौह अयस्क और ग्रेफाइट सहित 13 खनिज परियोजनाओं में अन्वेषण कार्य प्रारंभ किया है। प्रारंभिक सर्वेक्षणों के अनुसार, राज्य में चूना पत्थर के 283 मिलियन टन, लौह अयस्क के 67 मिलियन टन और बॉक्साइट के 3 लाख टन भंडार का अनुमान लगाया गया है।

इसके अलावा, सूरजपुर जिले के जाजावल क्षेत्र में यूरेनियम ब्लॉक के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। पूर्ववर्ती कोरिया जिले में कोल बेड मीथेन के लिए वेदांता लिमिटेड और ऑईलमैक्स को पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस स्वीकृत किया गया है। मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (MOIL) द्वारा बलरामपुर क्षेत्र में खनिज मैंगनीज का भंडार चिन्हित किया गया है।

राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की स्थापना की योजना

राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET) की तर्ज पर राज्य सरकार ने गौण खनिजों के व्यवस्थित विकास और अन्वेषण के लिए राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट स्थापित करने की योजना बनाई है।

छत्तीसगढ़: भारत के माइनिंग हब के रूप में उभरता राज्य

प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से छत्तीसगढ़ देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है। यहाँ कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर, बॉक्साइट, स्वर्ण, निकल, क्रोमियम और प्लेटिनम समूह के तत्वों सहित कुल 28 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। सरकार की पारदर्शी नीतियों, सतत विकास की रणनीतियों और कुशल प्रशासन के चलते छत्तीसगढ़ भारत के प्रमुख औद्योगिक और आर्थिक केंद्र के रूप में उभर रहा है।

खनिज संपदा के माध्यम से प्रदेश न केवल आर्थिक मजबूती प्राप्त कर रहा है, बल्कि हरित और सतत विकास की दिशा में भी अग्रसर हो रहा है। आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ अपनी समृद्ध खनिज संपदा और रणनीतिक पहल के साथ भारत के माइनिंग हब के रूप में अपनी पहचान और अधिक सशक्त करेगा।

Ashish Sinha

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