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मजदूर हितेषी मांग को लेकर किया जाने वाला आंदोलन नेताओं का अपना निजी स्वार्थ

मजदूर हितेषी मांग को लेकर किया जाने वाला आंदोलन नेताओं का अपना निजी स्वार्थ

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श्रमिकों ने अपने ही संगठन के नेताओं पर लगाया गंभीर आरोप

गोपाल सिंह विद्रोही /बिश्रामपुर – एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र में मजदूरों को प्रतिवर्ष राजनीतिक दलों के नेताओं की तर्ज पर श्रम संगठनों के मजदूर नेता द्वारा ठगा जा रहा है। कथित मजदूर हितेषी मांगों के नाम पर प्रबंधन पर दबाव बना कर अपना निजी स्वार्थ में रोटी से सेंक रहे हैं, जिसका विरोध श्रम संगठनों से जुड़े मजदूरों ने बंद जुबान से करने लगे हैं। वे अपना नाम न छापने की शर्त पर अपने ही नेताओं के कई खुलासे किए जो श्रमिक नेताओ के उनके दूसरे पहलू को दर्शाता है।

जानकारी के अनुसार एसईसीएल विश्रामपुर क्षेत्र में श्रमिक संगठनों का प्रतिवर्ष सदस्यता सत्यापन का कार्य गहमागहमी के बीच संपन्न होता है, जिसका असर अभी से दिखने लगा है। श्रमिकों ने अपने ही संगठनों पर आरोप है कि केवल सदस्यता सत्यापन के दौरान मजदूर को लुभाने वाले राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की तरह हमारे नेता भी घोषणा न कर बेमुद्दे निकालकर करने लगे हैं। सत्यापन वर्ष आते ही लुभावने वादे मजदूरों के बीच में ले जाते हैं और अपनी सक्रियता तेज कर देते हैं ।हर दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर प्रबंधन पर मुखर होने का नाटक करते हैं जिससे मजदूरों ने विरोध का स्वर मुखर करते हुए बताया कि हम मजदूर साथी ट्रेड यूनियनों का कोप भांजन का शिकार न बने इस कारण खुलकर विरोध नहीं कर सकते ।सदस्यता सत्यापन के बाद श्रमिक नेता अपना रंग दिखाने लगते हैं ।प्रबंधन पर अनर्गल आरोप लगा कर केवल खुद को मजदूर हितेषी साबित करने में लगे हुए हैं। मजदूरों ने कहा कि क्षेत्र 600 करोड़ घाटे की भरपाई कर लाभांश की ओर अग्रसर है । यूनियन नेताओं को चाहिए कि दो कदम आगे बढ़कर क्षेत्र को लाभांश की ओर और आगे लेकर जाएं परंतु अचानक एक यूनियन कथित मजदूर हितेषी भारी भरकम मांगों को लेकर मैदान में आंदोलन के लिए उतर गए जो केवल प्रबंधन पर दबाव बनाकर राजनीति कर अपना निजी स्वार्थ सिद्ध किए जाने का फार्मूला केवल मात्र है। मजदूरों को आगे कर अपनी रोटी सेकी जा रही है जो एसईसीएल विश्रामपुर एवं मजदूर हित में नहीं है।

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ट्रेड यूनियन अपने ही सदस्यों का करते हैं आर्थिक शोषण
इस संबंध में मजदूरों ने बताया कि श्रमिक नेता पहले अपना हित साधते हैं । मजदूर नेताओ के आवास में सर्व सुविधा व्यवस्था है परंतु हम मजदूरों का जो आवास उसके अधिकार क्षेत्र का है उन्हें न देकर अपने जी हुजूरी करने वाले लोगों के नाम प्रबंधन से आवंटित करा दिया जाता है। छोटा सा काम के लिए वर्षों वर्षों तक घुमाया जाता है। आवास दिलाए जाने के नाम पर आर्थिक शोषण भी किया जाता है। इन मजदूरों ने इस बात को स्वीकार किया कि जब ट्रेड यूनियन इन्हें आर्थिक एवं मानसिक तौर पर परेशान करते हैं तो वे भी पाला बदलकर दूसरे यूनियन के रुख कर जाते हैं।

सदस्यता सत्यापन करीब इसलिए प्रबंधन पर बनाया जा रहा है दबाव
श्रमिकों ने श्रम संगठन के नेताओं पर आरोप लगाया कि एएमसी के तहत मजदूर क्वार्टर से ज्यादा श्रमिक नेताओं के घरों में कार्य कर चकाचक कर दिया गया है जिसमें इन्हें भ्रष्टाचार दिख रहा है। मजदूरों का आरोप है कि विभिन्न श्रम संगठनों की सदस्यता सत्यापन की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है इनके नजरों में मजदूरों की समस्याएं लंबी होती जा रही है कथित मजदूर हितेषी मांगों को लेकर प्रबंधन पर दबाव बनाना केवल इस बात का दिखावा है कि हम मजदूरों के साथ हैं जबकि मजदूरी से इन्हें कोई लेना-देना नहीं है।आगामी सितंबर अक्टूबर में होने वाले सदस्यता सत्यापन को लेकर केवल यह मजदूरों के हित में आवाज बुलंद करना दिखावा है। मजदूरों ने अपने ही श्रम प्रतिनिधियों से ढकोसला एवं दिखावा करना बंद कर मृत पड़ी क्षेत्र की खदानों को जीवित करने एवं घाटे से लाभांश की और अग्रसर विश्रामपुर क्षेत्र को और आगे बढ़ाने हेतु रणनीति बनाए जाने की अपील की है।

Ashish Sinha

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