कोरबाछत्तीसगढ़

साहब…जनता के पैसे से हो रहे विकासकार्यों पर एक नजर तो डालें, कमीशनखोरी के चलते आपके अधीन पंचायतों में हो रहे स्तरहीन निर्माण कार्य महीने भी नही टिक पा रहे, जनता की गढ़ी कमाई का हो रहा जमकर दुरुपयोग

कोरबा/पाली :- आम जनता की पुकार है कि साहब…ग्राम पंचायतों में हो रहे बहुद्देशीय विकास कार्यों पर आफिस से निकलकर दौरा कर एक नजर डाल टी लीजिए ताकि आम जनता के लिए हो रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता कुछ तो सुधरे और महीनों में दम तोड़ रहे निर्माण कार्य कुछ साल तक तो टिक जाए। आप की निष्क्रियता से जनता द्वारा खून- पसीने से कमाई गई करोड़ो रुपए यूं ही बर्बाद होते हुए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। अपनी जिम्मेदारी का कुछ प्रतिशत तो जनता के लिए समर्पित कीजिये ताकि जनता की गढ़ी कमाई का कुछ सदुपयोग हो सके।

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आरईएस पाली का हाल क्या है..? किसी से भी पूछने पर सीधा सा जवाब देगा भ्रष्ट्राचार, कमीशनखोरी, भाई- भतीजावाद और अफसरशाही के गिरफ्त में है आरईएस पाली। बगैर लेनदेन के न यहां निर्माण कार्यों का मूल्यांकन होता है और न ही सीसी जारी। सरपंच- सचिवों की कोई सुनता नही ऐसे में वे शिकायत करें भी तो आखिर किससे करें क्योंकि स्वीकृत कार्यों की राशि मे 30 प्रतिशत राशि एसडीओ, उपयंत्री, क्लर्क, लेखापाल को कमीशन देने में निकल जाता है बचे 70 प्रतिशत राशि से अघोषित ठेकेदार अपनी कमाई निकाल मनमाने पूर्वक कार्य कराते है फलस्वरूप पंचायतों में निर्माण होने वाले सीसी रोड, पुल- पुलिया, नाली, भवन के कार्य गुणवत्ताहीन निर्माण के चलते चंद महीने भी टिक नही पाते और जीर्णशीर्ण होकर कमीशनखोरी की भेंट चढ़ जाते है। यही कारण है कि आज पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्यों में गुनवत्ताहीनता बढ़ा है। कुछेक सरपंचों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गुणवत्तापरख कार्य कराने के बाद भी मूल्यांकन एवं सीसी जारी कराने के लिए भारी भरकम कमीशन देना पड़ता है तब कहीं जाकर काम होता है नही तो संबंधित अधिकारी उक्त कार्य के लिए टालमटोल करते रहते है और जो सरपंच- सचिव भेंट नही चढ़ाते उनका मूल्यांकन और सीसी महीनों लटका रहता है।

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बता दें कि एसडीओ श्री कंवर विगत लगभग 17- 18 वर्षों से पाली आरईएस कार्यालय की कुर्सी पर अजगर की तरह कुंडली मारकर बैठे हुए है जहां उनकी निष्क्रियता का खामियाजा आम जनता भुगत रही है और जनता के पैसे का दुरुपयोग ऐसे अधिकारी के कमाउपन रवैये से सरपंच- सचिवों को दबाव में डालकर पंचायतों में निर्माण कार्य कराने वाले अघोषित ठेकेदारों द्वारा 50- 50 का खेल खेला जा रहा है जहां ग्रामीण जनता की समृद्धि और जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शासन- प्रशासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत एवं डीएमएफ फंड से जारी होने वाली राशि का अधिकांश हिस्सा अधिकारी व ठेकेदारों की जेब मे जा रही है यानी जारी राशि का अधिकतम 50 प्रतिशत ही विकास कार्यों में खर्च हो रहे है जबकि 50 प्रतिशत का हिस्सा बंट रहा है। एसडीओ एमएस कंवर काफी लंबे समय से पाली आरईएस की कुर्सी से चिपके हुए है। जिसके कारण विभागीय कार्य बुरी तरह प्रभावित हो चला है और योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाही साफ देखने को मिल रही है। हैरत वाली बात है कि पाली मुख्यालय में संचालित शासकीय विभिन्न कार्यालयों के अधिकारी- कर्मचारी समय- समय पर बदले गए लेकिन शासन- प्रशासन शायद एसडीओ एमएस कंवर को भूल गई है या फिर अन्यंत्र स्थान्तरण किये जाने को लेकर उदासीन रवैया अपना रही है जिसके कारण उक्त अधिकारी आज पर्यन्त वहीं के वहीं जमे हुए मनमानी कर रहे है जिसके कारण पंचायतों में विकास योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही है। बहरहाल एसडीओ के भर्राशाही के चलते पंचायतों में होने वाले स्तरहीन निर्माण कार्य एक गंभीर मसला बनकर रह गया है जहां विकास के नाम पर शासन द्वारा स्वीकृत जनता के पैसे का जमकर दुरुपयोग बढ़ता चला जा रहा है।

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