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चापड़ा चटनी पर आया दिल्ली वालों का दिल, आदिवासी महोत्सव में बस्तर के एथेटिक स्टॉल को मिल रहा सबसे ज्यादा रेस्पोंस
बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित मुरकीनार से निकले युवा राजेश यालम ने बस्तर के स्वाद को दिल्ली पहुंचा दिया है। दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में चल रहे आदि महोत्सव में बस्तर के स्टॉल को सबसे ज्यादा रेस्पॉन्स मिल रहा है। सबसे ज्यादा बिक्री महुए की चाय और चापड़ा चटनी(Bastar Chapda Chutney) के साथ लांदा की हो रही है। राजेश नेे पत्रिका को बताया कि वे एक दिन में 50 से 70 हजार रुपए तक की बिक्री कर रहे हैं। राजेश अपने स्टॉल में 27 तरह के बस्तरिया व्यंजन बना रहे हैं। राजेश बताते हैं कि महोत्सव में बस्तर के पारंपरिक व्यंजनों को लेकर लोगों से ऐसा रेस्पॉन्स मिलेगा उन्होंने सोचा नहीं था।
पारंपरिक व्यंजनों का ढाबा भी राजेश ने खोला
बस्तर में पारंपरिक व्यंजनों का कोई ढाबा नहीं था लेकिन राजेश ने जगदलपुर-दंतेवाड़ा रोड पर तिरथुम में आमचो बस्तर नाम से एक ढाबा खोला है। इसमें वे बस्तर के सीजनेबल फूड सर्व करते हैं। पारंपरिक खाने के शौकिन राजेश के ढाबे को खास बताते हैं। इस ढाबे की बनावट भी बस्तर के पारंपरिक घरों की तरह ही है।
एक दिन में 25 किलो चापड़ा चटनी बेची
एक दिन में 25 किलो चापड़ा चटनी(Bastar Chapda Chutney) बेची है। इसका स्वाद लोगों को सबसे ज्यादा भा रहा है। इसके अलावा लांदा भी दिल्ली के लोगों के लिए सबसे अनूठा है। उन्होंने पहली बार बस्तर से बाहर निकलकर यह स्टॉल लगाया है।












