
जांजगीर-चांपा में बारिश से सड़ा 4 लाख क्विंटल धान, किसानों की मेहनत पर पानी फेर गया शासन
अमरताल संग्रहण केंद्र में खुले में रखा 4 लाख क्विंटल धान भीगकर सड़ने लगा। विधायक ब्यास कश्यप ने शासन पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया। जानिए पूरी कहानी।
धान सड़ने की सच्चाई: बारिश में बह रही किसानों की मेहनत, शासन की लापरवाही उजागर!
जांजगीर-चांपा, अमरताल गांव|लगातार बारिश के चलते अमरताल धान संग्रहण केंद्र में रखा 4 लाख क्विंटल धान पानी में भीगकर अंकुरित और अब सड़ने लगा है। यह वही धान है जिसे राज्य सरकार ने किसानों से ₹3100 प्रति क्विंटल की दर से खरीदा था। अब यही धान खुले आसमान के नीचे गाइडलाइन के विरुद्ध बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के छोड़ दिया गया।
5 महीने बीत गए, मिलिंग नहीं
63 लाख 27 हजार क्विंटल धान की खरीद के बाद भी अधिकांश धान की मिलिंग नहीं हो सकी।
प्रश्न उठता है – जब जानबूझकर धान खुले में रखा गया, तो क्या यह किसी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था?
विधायक ब्यास कश्यप का बड़ा आरोप
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“सरकार सिर्फ 3100 रुपए में धान खरीदी की वाहवाही लूट रही है।
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यह धान नहीं सड़ा, बल्कि किसानों का पसीना और सम्मान सड़ा है।”
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धान को नीलामी के बहाने औने-पौने दाम में बेचे जाने की साजिश की आशंका जताई।
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दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की माँग।
अमरताल केंद्र की हकीकत – जमीन पर सड़ रहा है अनाज
बोरी बदलने की हो रही कोशिशें
पानी में डूबा पड़ा धान
कोई तिरपाल नहीं, कोई कवर नहीं
प्रशासन मौन
सवाल जो उठते हैं – जनता जानना चाहती है
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क्या प्रशासन को बारिश की जानकारी नहीं थी?
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4 लाख क्विंटल अनाज को बारिश से बचाने की कोई प्लानिंग क्यों नहीं?
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किसके निर्देश पर धान खुले में रखा गया?
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अब यह सड़ा धान किन हाथों में जाएगा?