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भाजपा का सवाल: आखिर और कितने लोगों के लिए काल बनेगी कांग्रेस?

रायपुर । भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केदारनाथ गुप्ता ने कहा है कि खल्लारी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम छुइहा के एक किसान कन्हैया सिन्हा द्वारा आत्महत्या करने के कारण एक बार फिर प्रदेश की कांग्रेस सरकार का घोर किसान विरोधी चरित्र बेनक़ाब हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस के शासनकाल में अब तक 657 किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा है, यानी प्रदेश में कांग्रेस शासनकाल में हर तीसरे दिन एक किसान ने आत्महत्या की है। दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि कांग्रेस सरकार में आत्महत्या करने वाले किसानों को मानसिक रोगी तक बताया गया है।

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भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने शुक्रवार को एकात्म परिसर में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पिछले विधानसभा चुनाव में की गई घोषणाओं को पूरा नहीं करने के कारण प्रदेश के किसान हलाकान हो चले हैं और हताश होकर आत्महत्या के लिए विवश हो रहे हैं। छुइहा के किसान की आत्महत्या का मामला इसकी तस्दीक करता है। मृतक किसान की जेब से मिले सुसाइड नोट से किसानों की कर्जमाफी के सरकारी दावों की पोल खुल गई है। उन्होंने मृतक किसान के परिवार को तत्काल 50 लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की है। आत्महत्या से पूर्व मृत किसान ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने वादे के बावजूद उसका कर्ज माफ नहीं किया। मृतक किसान का ऐक्सिस बैंक में ऋण खाता है। कन्हैया सिन्हा एक तो कर्ज न चुका पाने के कारण परेशान था, वहीं लो-वोल्टेज के चलते उसकी चार एकड़ की रबी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। भाजपा बिजली आपूर्ति की समस्या पर सतत प्रदेश सरकार को आगाह करती रही है। पिछले तीन-चार सालों से फसल नहीं होने, कर्जमाफी नहीं होने और साथ ही फसल बीमा नहीं होने के कारण कन्हैया चहुँओर परेशानी से घिरा हुआ था। अपने सुसाइड नोट में मृतक किसान ने दाने-दाने के लिए मोहताज होने और पाई-पाई के लिए परेशान होने की बात भी कही है।

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कन्हैया की आत्महत्या भूपेश सरकार के मुँह पर एक करारा तमाचा है : केदार
केदार गुप्ता ने कहा कि कन्हैया का कोई और विकल्प नहीं होने की बात कहकर आत्महत्या करना प्रदेश के लिए एक कलंकपूर्ण व दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। प्रदेश की भूपेश सरकार जिस तरह किसानों के नाम पर लगातार झूठ बोलती आ रही है, उसके मुँह पर कन्हैया की आत्महत्या एक करारा तमाचा है। ऐसी किसान विरोधी झूठी सरकार को एक क्षण भी सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। प्रदेश सरकार मृतक किसान के शोक-संतप्त परिवार को तत्काल 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करे। गुप्ता ने कटाक्ष किया कि अपने ‘खानदानी राजनीतिक आकाओं’ की चाटुकारिता करने के लिए उत्तर प्रदेश में जाकर 50-50 लाख रुपए का मुआवजा बाँटने वाले मुख्यमंत्री बघेल को छत्तीसगढ़ के किसानों की जरा भी फिक्र नहीं है। जब भी छत्तीसगढ़ के किसानों को राहत राशि देने का मौका आता है, मुख्यमंत्री बघेल किसानों की जिंदगी की कीमत पाँच-दस हजार रुपए आँकते हैं। मुख्यमंत्री अब अपने इस ढोंग से बाज आएँ।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के करीब 21 लाख किसानों का केवाईसी अपडेट नहीं होने से प्रदेश के किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से वंचित हैं, जिसके लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है। प्रदेश सरकार ने विधानसभा में स्वयं ही स्वीकारा है कि 2019 में 233, 2020 में 227, 2021 में 71, 2022 में 133 और 1 जनवरी 2023 से 20 जून तक 13 किसानों ने आत्महत्या की है। कुल मिलाकर, कांग्रेस शासनकाल में अब तक प्रदेश में 657 किसानों ने आत्महत्या की है। भाजपा की ओर से महासमुंद में हुई किसान आत्महत्या की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जांच के लिए एक पाँच सदस्यीय दल बनाया गया जिसमें विधायक एवं पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर को संयोजक एवं सांसद महासमुंद चुन्नीलाल साहू, प्रवक्ता संदीप शर्मा, किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष पवन साहू, जिला भाजपा अध्यक्ष महासमुंद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी को सदस्य बनाया गया है।

 

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