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राजिम कुंभ कल्प 2025: धर्म, संस्कृति और आस्था का भव्य संगम

राजिम कुंभ कल्प 2025: धर्म, संस्कृति और आस्था का भव्य संगम

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गरियाबंद, 25 फरवरी 2025 – छत्तीसगढ़ की पवित्र धरती पर आयोजित राजिम कुंभ कल्प मेला एक बार फिर आध्यात्मिकता, संस्कृति, साहित्य और भक्ति का संगम बना। 12 फरवरी से प्रारंभ हुआ यह महान धार्मिक मेला अब अपने समापन की ओर अग्रसर है। इस महापर्व में संतों, विद्वानों, कलाकारों और श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए इसे ऐतिहासिक बना दिया।

साहित्यिक संगोष्ठी में गूंजे ज्ञान और साहित्य के स्वर

राजिम कुंभ के संत समागम परिसर में स्थित स्वामी सच्चिदानंद चक्र महामेरू पीठम दंडी स्वामी पंडाल में साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस अवसर पर विभिन्न अंचलों से आए कवियों और साहित्यकारों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

स्वामी विश्वानंद तीर्थ महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि “यदि साहित्यकार न होते, तो हम अपनी संस्कृति और शास्त्रों के बारे में कैसे जान पाते?” उन्होंने बताया कि वेदों को श्रुति कहा जाता है क्योंकि गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत इसे मौखिक रूप से ग्रहण कर आगे बढ़ाया जाता था। लेकिन अब यह परंपरा लुप्त हो चुकी है और साहित्य के माध्यम से आने वाली पीढ़ियां इस ज्ञान से परिचित हो रही हैं।

इस अवसर पर प्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाओं से समा बांध दिया। पंडित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने संत कवि पवन दीवान को याद करते हुए उनकी प्रसिद्ध पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं। डॉ. मुन्नालाल देवदास ने प्रभु श्रीराम की महिमा गाते हुए कहा –”राजा बनने से पहले बनवासी बन गए राम,चौदह वर्ष पैदल चलकर किए अनूठे काम।”

कवि संतोष सोनकर मंडल ने बेटियों पर भावनात्मक कविता पढ़ी, जिसमें उन्होंने कहा कि –”मां सरस्वती का रूप लेकर, नन्हीं बिटिया प्यार फैलाती है।”

सांस्कृतिक मंच पर छत्तीसगढ़ी लोक कला का जलवा

राजिम कुंभ कल्प के सांस्कृतिक मंच पर छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न प्रस्तुतियां हुईं। हमर धरोहर लोक मंच के कलाकारों ने छत्तीसगढ़ी लोकगीतों और नृत्यों की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। हिमानी वासनिक ने भरथरी लोकगाथा के विभिन्न प्रसंगों को जीवंत किया।

नरेश कुमार समुद्र ने रामचरित मानस की चौपाइयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिससे पूरा मंच श्रद्धा और भक्ति से सराबोर हो गया। लीला बाई और उनके साथियों ने सुआ नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। योगेंद्र दास मानिकपुरी ने लोककला के माध्यम से छत्तीसगढ़ी गीतों की श्रृंखला प्रस्तुत की।

भक्ति रस से सराबोर हुआ कुंभ कल्प: लखबीर सिंह लक्खा की प्रस्तुति

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भजन संध्या में प्रसिद्ध भजन गायक लखबीर सिंह लक्खा ने अपने श्याम, शिव और माता के भजनों से ऐसा माहौल बनाया कि पूरा पंडाल भक्तिरस में डूब गया। उन्होंने “प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी…” भजन की प्रस्तुति दी, जिससे माहौल भक्तिमय हो गया।

उन्होंने “भोला शिव हर-हर भोला…”, “राम जी से कह देना जय सिया राम…” जैसे प्रसिद्ध भजनों से श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।

महाशिवरात्रि पर राजिम कुंभ कल्प का भव्य समापन

26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के अवसर पर राजिम कुंभ कल्प मेला का समापन होगा। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय मुख्य अतिथि होंगे। उनके साथ उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, कृषि मंत्री राम विचार नेताम, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, वन मंत्री केदार कश्यप, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, समेत कई मंत्री, सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।

समापन के अवसर पर देशभर से आए महामंडलेश्वर, संत, महात्मा और नागा साधुओं की भव्य शाही शोभायात्रा निकाली जाएगी। यह शोभायात्रा सुबह 6:30 बजे संत समागम परिसर से प्रारंभ होकर राजिम कुंभ क्षेत्र में शाही स्नान के लिए पहुंचेगी।

सुरक्षा व्यवस्था हुई कड़ी, 1000 पुलिस जवान तैनात

राजिम कुंभ कल्प के दौरान 1000 से अधिक पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। इसके अलावा 250 सीसीटीवी कैमरों से पूरे मेले पर नजर रखी जा रही है। गरियाबंद की अनुविभागीय अधिकारी पुलिस सुश्री निशा सिन्हा ने बताया कि सुरक्षा के लिए ड्रोन कैमरों और पेट्रोलिंग टीम को तैनात किया गया है।

सुरेश वाडेकर की मधुर आवाज से गूंजेगा समापन समारोह

राजिम कुंभ कल्प के समापन समारोह में प्रसिद्ध बॉलीवुड पार्श्व गायक सुरेश वाडेकर अपनी शानदार प्रस्तुति देंगे। वे “अरपा पैरी के धार, महानदी है अपार…” और कई भजन-गीतों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करेंगे।

राजिम कुंभ कल्प: आस्था, आध्यात्म और संस्कृति का संगम

राजिम कुंभ कल्प न केवल एक धार्मिक मेला है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता, साहित्य, कला और लोक परंपराओं का महासंगम भी है। यहाँ संतों की वाणी, कवियों की कविताएं, लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां और भजन गायकों की संगीतमय लहरियां इस पवित्र आयोजन को अविस्मरणीय बनाती हैं।

महाशिवरात्रि के अवसर पर जब साधु-संतों का विशाल समागम और श्रद्धालुओं की आस्था की डुबकी त्रिवेणी संगम में लगेगी, तब यह मेला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचेगा। छत्तीसगढ़ की यह पावन भूमि पुनः गूंजेगी –

“हर-हर महादेव! जय राजिम संगम!”

Ashish Sinha

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