Ganga Dussehra 2021: ज्येष्ठ दशहरा गंगा मेले पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा!
Ganga Dussehra 2021: ज्येष्ठ दशहरा गंगा मेले पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा
ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि को पहाड़ों से उतरकर मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। जिसपर गढ़मुक्तेश्वर और ब्रजघाट में तीन दिवसीय मेला आयोजित होता है। लगातार दूसरी बार कोरोना संक्रमण के चलते मेला प्रतिबंध कर दिया गया है।
ज्येष्ठ मास, की दशमी को गंगा स्नान करने से मनुष्य पापों से मुक्त होता है। परंतु दो साल से ज्येष्ठ मास की दशहरा स्नान पर कोरोना का ग्रहण चल रहा है। 2020 में मार्च से कोरोना वायरस ने आकर ज्येष्ठ गंगा दशहरा मेला को प्रतिबंध करा दिया था। जबकि उस बार गंगा मेला क्षेत्र को लॉक डाउन कर दिया गया था। जिसमें गढ़ गंगा क्षे्त्र में कोई दुकान खोलने तक पर प्रतिबंध था।
खादर से ब्रजघाट तक भारी पुलिस बल लगा दिया गया था। इस बार भी कोरोना संक्रमण को देखते हुए डीएम हापुड़ ने 20 जून को दशहरा मेला पर आग्रिम आदेश तक प्रतिबंध लगा दिया है। जबकि इससे पूर्व हरिद्वार सरकार ने भी ज्येष्ठ दशहर गंगा स्नान मेला पर रोक लगा दी है।
गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
दशमी तिथि 19 जून को शाम 06 बजकर 50 मिनट को शुरू होगी। इसका समापन 20 जून शाम 04 बजकर 25 मिनट पर होगा। इस दौरान आप स्नान-ध्यान और दान कर सकते हैं। इस दिन गंगा नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। लेकिन कोरोना के चलते अगर आप गंगा स्नान करने न जा पाएं तो नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके बाद सबसे पहले सूर्यदेव को अर्घ्य दें। फिर ‘ऊं श्री गंगे नमः’ का उच्चारण करते हुए मां गंगे का स्मरण करके अर्घ्य दें। इसके बाद गंगा मैया की पूजा- आराधना करें। इस दिन निराश्रितों एवं ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। यह अत्यंत शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से गंगा मैया की कृपा से श्रद्धालु के जीवन में कभी किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आती।
अत्यंत महत्वपूर्ण है गंगा दशहरा, जरूर जान लें
पौराणिक कथा के अनुसार जिस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई उस दिन एक बहुत ही अनूठा और भाग्यशाली मुहूर्त था। उस दिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथी और वार बुधवार था, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर योग, आनंद योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ में सूर्य। इस प्रकार उस दिन दस शुभ योग बन रहे थे। माना जाता है कि इन सभी दस शुभ योगों के प्रभाव से गंगा दशहरा के पर्व में जो भी व्यक्ति गंगा में स्नान करता है उसके ये दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं।
गंगा दशहरा के दिन ऐसे नष्ट हो जाते हैं पाप
गंगा दशहरा को लेकर मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से दस तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसमें पराई स्त्री के साथ समागम, बिना आज्ञा या जबरन किसी की वस्तु लेना, कटुवचन का प्रयोग, हिंसा, किसी की शिकायत करना, असत्य वचन बोलना, असंबद्ध प्रलाप, दूसरे की संपत्ति हड़पना या हड़पने की इच्छा, दूसरें को हानि पहुंचाना या ऐसी इच्छा रखना और बेवजह की बातों पर परिचर्चा शामिल है। इसलिए धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि अगर अपनी गलतियों का अहसास और प्रभु से माफी मांगनी हो तो गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान कर दान-पुण्य करें। वर्तमान में कोरोना के चलते गंगा स्नान संभव नहीं है तो घर में स्नान के जल में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। मान्यता है कि विषम परिस्थिति में ऐसा करने से भी गंगा में डुबकी लगाने जैसा ही फल मिलता है।