
छत्तीसगढ़ जिला पंचायत चुनाव: भाजपा पर खरीद-फरोख्त और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप, कांग्रेस का हल्ला बोल
छत्तीसगढ़ जिला पंचायत चुनाव: भाजपा पर खरीद-फरोख्त और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप, कांग्रेस का हल्ला बोल
रायपुर| 28 फरवरी 2025 |छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनावों के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पदों को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। कांग्रेस ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह जिला पंचायत सदस्यों को धन और महंगी गाड़ियों का लालच देकर अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस का दावा है कि भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और कांग्रेस समर्थित सदस्यों को प्रशासन के माध्यम से दबाव में लेने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस के आरोप: ‘गाड़ियां और दबाव का खेल’
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा पर सीधे तौर पर आरोप लगाया कि वे कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्यों को फॉर्च्यूनर, इनोवा और स्कॉर्पियो जैसी महंगी गाड़ियां देने का लालच दे रही है। उन्होंने कहा कि यह भाजपा की सोची-समझी रणनीति है, जिससे वह बिना बहुमत के भी जिला पंचायत अध्यक्षों की कुर्सी हथियाने की फिराक में है।
शुक्ला ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस समर्थित सदस्यों को कलेक्टर और एसपी के माध्यम से धमकाया जा रहा है। “जिन सदस्यों ने भाजपा का समर्थन करने से इनकार कर दिया है, उन्हें प्रशासनिक दबाव में लेने की कोशिश की जा रही है। यह लोकतंत्र के खिलाफ भाजपा का षड्यंत्र है,” उन्होंने कहा।
जिला पंचायत चुनावों में किसका पलड़ा भारी?
छत्तीसगढ़ के पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है। कांग्रेस के अनुसार, तीनों चरणों में कुल 234 जिला पंचायत सदस्य उनके समर्थन से जीते हैं। इसके अलावा, जनपद पंचायतों और सरपंच पदों पर भी कांग्रेस ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
चुनावी आंकड़े:
कुल जिला पंचायत सदस्य: 234 कांग्रेस समर्थित
जनपद पंचायत चुनाव: 1761 कांग्रेस समर्थित सदस्य
सरपंच पद: 6985 कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी जीते
प्रशासन की भूमिका पर सवाल?
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा के इशारे पर प्रशासन कांग्रेस समर्थित सदस्यों को डरा-धमका रहा है। कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि कई सदस्यों को बिना किसी कारण पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है, जिससे उन्हें भाजपा के पक्ष में आने के लिए मजबूर किया जा सके।
कानूनी पहलू: क्या यह आचार संहिता का उल्लंघन है?
यदि कांग्रेस के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला बन सकता है। चुनाव आयोग से इस पर कार्रवाई करने की मांग की जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इन आरोपों की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाए, तो यह छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा असर डाल सकती है।
जनता का क्या कहना है?
ग्रामीण इलाकों में इस राजनीतिक उथल-पुथल को लेकर मतदाताओं की भी अपनी राय है। कई लोग इसे राजनीति का सामान्य हिस्सा मानते हैं, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि लोकतंत्र में ऐसी खरीद-फरोख्त नहीं होनी चाहिए।
क्या होगा आगे?
अगर कांग्रेस अपने दावे को साबित करने में सफल होती है, तो भाजपा के लिए यह मामला मुश्किल खड़ा कर सकता है। वहीं, अगर भाजपा कांग्रेस के इन आरोपों को झूठा साबित कर पाती है, तो यह कांग्रेस की साख पर सवाल खड़ा करेगा।
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