
बजट में राहत के वादे, लेकिन चुनौतियाँ बरकरार: टी.एस. सिंहदेव
छत्तीसगढ़ बजट: संतुलन की कोशिशों के बीच वित्तीय चुनौतियाँ बरकरार
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया, जिसमें जनता को राहत देने के लिए कुछ कटौतियाँ की गई हैं, लेकिन वित्तीय संतुलन की स्पष्ट रूपरेखा का अभाव दिखता है। पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने बजट की विभिन्न बिंदुओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे संतुलित तो बताया, लेकिन कई अहम विषयों पर चिंता भी जताई।
वित्तीय ढाँचा: आय के स्रोतों में बढ़ोतरी की जरूरत
बजट में पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट में 1% की कटौती और रजिस्ट्री शुल्क में कमी जैसी घोषणाएँ की गई हैं, जिससे आम जनता को कुछ हद तक राहत मिलेगी। हालाँकि, इन कटौतियों की भरपाई कैसे होगी, इसका उल्लेख बजट में नहीं किया गया है। कुल बजट का 39% हिस्सा केंद्र सरकार से और 46% हिस्सा राज्य सरकार के स्रोतों से प्राप्त होगा, जो कुल मिलाकर 85% होता है।
सिंहदेव के अनुसार, राज्य सरकार को अपने आय के स्रोतों को और मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि “डबल इंजन” सरकार होने के बावजूद केंद्र सरकार से संतोषजनक आर्थिक सहायता नहीं मिल पा रही है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो रही है।
राजकोषीय घाटे की बढ़ती चुनौती
राज्य का राजकोषीय घाटा बढ़कर 2.97% तक पहुँच गया है, जो 3% के खतरनाक स्तर के करीब है। लगभग 22,000 करोड़ रुपये के घाटे का आकलन किया गया है, जो यह दर्शाता है कि सरकार को अपने खर्चों को संतुलित करने और राजस्व बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। यदि यह घाटा और बढ़ता है, तो राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ सकता है, जिससे विकास कार्य प्रभावित होंगे।
सिंहदेव ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार को अपने आर्थिक संसाधनों को बढ़ाने के लिए नए राजस्व स्रोतों पर ध्यान देना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो भविष्य में राज्य की वित्तीय स्थिति और अधिक कमजोर हो सकती है।
स्वास्थ्य बजट: आयुष्मान योजना का पुराना बकाया बनी चुनौती
स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट में 8040 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो कुल बजट का मात्र 4% है। सिंहदेव ने इसे अपर्याप्त बताते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह राशि बहुत कम है। आयुष्मान योजना के तहत 1500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, लेकिन पहले से ही 2500 करोड़ रुपये का बकाया लंबित है।
इसका मतलब यह है कि सरकार इस योजना के तहत पिछली देनदारियों को भी समायोजित नहीं कर पा रही है। इससे निजी अस्पतालों पर निर्भरता बढ़ेगी और मरीजों को महंगे इलाज का सामना करना पड़ेगा। सिंहदेव ने चेतावनी दी कि कम बजट के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है, जिससे आम जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
रोजगार के मोर्चे पर निराशा
राज्य सरकार ने कुछ पुलिस भर्तियों की घोषणा की है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में रोजगार को लेकर बजट में उल्लेखनीय प्रावधान नहीं किया गया है। शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में नई भर्तियों का कोई जिक्र नहीं किया गया, जिससे बेरोजगारी की समस्या बनी रह सकती है।
सिंहदेव ने कहा कि छत्तीसगढ़ का सेवा क्षेत्र (Service Sector) पहले से ही राष्ट्रीय औसत से 20% पीछे है। यदि शिक्षा और स्वास्थ्य में भर्ती की जाती, तो यह अंतर कम किया जा सकता था। उन्होंने तर्क दिया कि रोजगार बढ़ाने से सेवा क्षेत्र का जीडीपी में योगदान भी बढ़ता, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती।
कृषि नीति: पुरानी राह पर जारी सरकार
कृषि क्षेत्र में कांग्रेस सरकार की नीतियों को कमोबेश अपनाया गया है, जिससे किसानों को कुछ राहत मिल रही है। सरकार ने कृषि योजनाओं को जारी रखते हुए किसानों के लिए समर्थन मूल्य, अनुदान और अन्य लाभों को बनाए रखा है।
सिंहदेव ने इस फैसले को सही बताया और कहा कि इससे किसानों को फायदा मिलेगा। हालाँकि, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कृषि में नवाचार और नई तकनीकों को अपनाने की जरूरत है, जिससे उत्पादन और आय में बढ़ोतरी हो सके।
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज: बजट स्वीकृति, पर कार्य कब?
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के लिए इस बजट में 110 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। पिछले बजट में भी 118 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ और बजट लैप्स हो गया।
सिंहदेव ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सरकार को जल्द से जल्द मेडिकल कॉलेज अस्पताल भवन का निर्माण कार्य शुरू कराना चाहिए और इसे शीघ्र पूरा करना चाहिए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस योजना में देरी न हो और जल्द से जल्द जनता को इसका लाभ मिले।
बजट की चुनौतियाँ और आगे की राह
बजट को संतुलित दिखाने की कोशिश की गई है, लेकिन कई गंभीर चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। वैट और रजिस्ट्री शुल्क में कटौती से राहत तो मिलेगी, लेकिन वित्तीय स्रोतों की स्पष्टता की कमी बनी हुई है।
स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में बजट अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रहा है। साथ ही, राजकोषीय घाटा 3% के करीब पहुँच रहा है, जो चिंता का विषय है। राज्य सरकार को अपने राजस्व स्रोतों को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा, ताकि वित्तीय स्थिति को मजबूत किया जा सके।
सिंहदेव ने बजट पर अपने विचार रखते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि वह जनता की मूलभूत जरूरतों—स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार—पर अधिक ध्यान दे। केवल घोषणाओं से विकास संभव नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्यवाही की जरूरत है।
(यह रिपोर्ट छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव के बजट पर दिए गए बयान पर आधारित है।)