ताजा ख़बरेंदेशधर्मब्रेकिंग न्यूज़
Trending

Bali Pratipada 2025: कल है बलि प्रतिपदा, जानें राजा बलि का त्याग और वामन अवतार की कथा

बलि प्रतिपदा (22 अक्टूबर) का महत्व। जानें क्यों भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से माँगा तीन पग दान। महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक में यह पर्व पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण के रूप में कैसे मनाया जाता है।

Bali Pratipada 2025: कल मनाया जाएगा ‘बलि प्रतिपदा’ पर्व, जानें राजा बलि के त्याग और भगवान वामन की कथा

नई दिल्ली: दीपावली के अगले दिन और गोवर्धन पूजा के साथ मनाया जाने वाला बलि प्रतिपदा पर्व इस वर्ष कल, बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, जहाँ इसे ‘बलिप्रतिपदा’ या ‘बालिपद्यमी’ के नाम से जाना जाता है।

WhatsApp Image 2025-10-31 at 2.58.20 PM (1)
WhatsApp-Image-2025-10-31-at-2.41.35-PM-300x300

बलि प्रतिपदा हमें यह सिखाती है कि सच्चा धर्म शक्ति या वैभव में नहीं, बल्कि त्याग, वचन और समर्पण में निहित है।

पर्व के केंद्र में राजा महाबलि की कथा

इस पर्व के केंद्र में दानवीर राजा महाबलि की प्रेरक कथा है:

mantr
66071dc5-2d9e-4236-bea3-b3073018714b
  1. दान की प्रतिष्ठा: राजा बलि एक असुर राजा थे, लेकिन वह अपने दान, धर्म और न्यायप्रियता के लिए इतने प्रसिद्ध हुए कि उनकी दानशीलता से स्वर्गलोक तक कांप उठा।
  2. वामन अवतार: जब राजा बलि के दान और सामर्थ्य से इंद्र का सिंहासन हिलने लगा, तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार (बौने ब्राह्मण का रूप) धारण किया और राजा बलि के पास पहुँचे।
  3. तीन पग भूमि का दान: वामन ने राजा बलि से केवल तीन पग भूमि का दान माँगा। राजा बलि ने बिना किसी झिझक के यह दान स्वीकार कर लिया और दान का संकल्प लिया।
  4. समर्पण का फल: दान स्वीकार होते ही वामन ने विराट रूप धारण किया। एक पग में उन्होंने आकाश नापा, दूसरे पग में पृथ्वी। जब तीसरे पग के लिए कोई स्थान नहीं बचा, तो राजा बलि ने अपना सिर आगे बढ़ा दिया। उनके इस समर्पण और वचनबद्धता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का अधिपति बनाया और स्वयं उनके द्वार पर द्वारपाल बनकर रहने का वचन दिया।

महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में उत्सव

दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में इस दिन को प्रेम, विश्वास और समर्पण के उत्सव के रूप में मनाया जाता है:

  • पति-पत्नी का उत्सव: इस दिन कई क्षेत्रों में पति-पत्नी एक-दूसरे की आरती करते हैं।
  • उत्साह का माहौल: घरों में मिठाइयाँ बांटी जाती हैं और दीप सजाए जाते हैं, जो जीवन में प्रेम और प्रकाश बनाए रखने का प्रतीक है।

बलि प्रतिपदा का पर्व आज भी त्याग और कर्तव्य परायणता की भावना को सुदृढ़ करता है।


Ashish Sinha

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)
WhatsApp-Image-2025-09-23-at-1.09.26-PM-300x300
IMG-20250923-WA0360-300x300
WhatsApp-Image-2025-09-25-at-3.01.05-AM-300x298
BackgroundEraser_20250923_132554448-1-300x298
WhatsApp Image 2025-11-23 at 11.25.59 PM

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!