
नेशनल लोक अदालत 8 मार्च को, वर्चुअल मोड से भी होगा मामलों का निपटारा
नेशनल लोक अदालत 8 मार्च को, वर्चुअल मोड से भी होगा मामलों का निपटारा
अंबिकापुर, 06 मार्च 2025 – देशभर में 8 मार्च को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें न्यायिक प्रक्रिया को सरल, तेज और सुलभ बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर खंडपीठों का गठन किया गया है। अंबिकापुर जिला मुख्यालय में भी इस आयोजन के तहत 9 खंडपीठ गठित किए गए हैं, जिनमें विभिन्न न्यायाधीशों की अध्यक्षता में मामलों का निपटारा किया जाएगा।
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खंडपीठों का विवरण
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अंबिकापुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिला मुख्यालय में गठित 9 खंडपीठों की अध्यक्षता निम्नलिखित न्यायाधीश करेंगे:
खंडपीठ क्रमांक 1 – के०एल० चरयाणी, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंबिकापुर
खंडपीठ क्रमांक 2 – उर्मिला गुप्ता, चेयरमैन, स्थायी लोक अदालत
खंडपीठ क्रमांक 3 – ममता पटेल, प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश अंबिकापुर
खंडपीठ क्रमांक 4 – मोनिका जायसवाल, द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश अंबिकापुर
खंडपीठ क्रमांक 5 – सुमित कपूर, पंचम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश, श्रम न्यायाधीश अंबिकापुर
खंडपीठ क्रमांक 6 – सुमित कुमार हर्षयाना, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंबिकापुर
खंडपीठ क्रमांक 7 – बरखा रानी, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी / व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 अंबिकापुर / किशोर न्याय बोर्ड अंबिकापुर
खंडपीठ क्रमांक 8 – अरिंदम नेरल, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी / व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 अंबिकापुर
खंडपीठ क्रमांक 9 – प्रांजलि नेताम, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी / व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 अंबिकापुर
इसके अतिरिक्त, तालुक विधिक सेवा समिति, सीतापुर में भी एक खंडपीठ का गठन किया गया है।
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राजस्व न्यायालयों में भी खंडपीठों का गठन
नेशनल लोक अदालत के तहत राजस्व न्यायालयों में भी खंडपीठों का गठन किया गया है, जिससे राजस्व संबंधी मामलों का निपटारा जल्द और प्रभावी तरीके से किया जा सके।
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वर्चुअल मोड से भी होगा मामलों का निपटारा
लोक अदालत में वर्चुअल मोड के माध्यम से भी प्रकरणों का निपटारा किया जाएगा। इस सुविधा के तहत, दूर-दराज के नागरिक ऑनलाइन माध्यम से अपने प्रकरणों को सुलझा सकेंगे। यह प्रक्रिया न केवल समय की बचत करेगी, बल्कि आवेदकों को यात्रा संबंधी कठिनाइयों से भी राहत दिलाएगी।
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लोक अदालत की विशेषताएँ
लोक अदालत के माध्यम से सुलह-समझौते के आधार पर मामलों का निपटारा किया जाता है।
इसमें निर्णय अंतिम होता है, और इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती, जिससे लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से राहत मिलती है।
यह नि:शुल्क न्याय प्रक्रिया है, जिसमें कोई अदालती शुल्क नहीं लिया जाता।
लोक अदालत में दी गई सहमति आधारित सजा या समझौता न्यायालय के आदेश के समान प्रभावी होता है।
नेशनल लोक अदालत का महत्व
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लोक अदालतें न्याय प्रक्रिया को सरल, त्वरित और प्रभावी बनाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। इनमें लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा किया जाता है, जिससे न केवल न्यायालयों का बोझ कम होता है, बल्कि आम नागरिकों को भी त्वरित न्याय मिलता है।
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8 मार्च को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में नागरिक अपने लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा करवा सकते हैं। वर्चुअल मोड की सुविधा इसे और भी सुलभ बनाएगी, जिससे न्याय की पहुंच को डिजिटल माध्यमों से भी सशक्त किया जा सकेगा।