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भारतमाला मुआवजा घोटाले की सीबीआई जांच से क्यों बच रही भाजपा सरकार? – कांग्रेस

भारतमाला मुआवजा घोटाले की सीबीआई जांच से क्यों बच रही भाजपा सरकार? – कांग्रेस

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रायपुर, 16 मार्च 2025: भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में हुए कथित घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस घोटाले में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, एक पूर्व मंत्री और एक वर्तमान विधायक संलिप्त हैं, इसलिए राज्य सरकार केवल आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) से जांच करा रही है और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जांच कराने से बच रही है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि “भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में भूमि अधिग्रहण से जुड़ा यह घोटाला एक बड़े संगठित गिरोह द्वारा अंजाम दिया गया है।” कांग्रेस की मांग है कि केंद्र सरकार की धनराशि से जुड़े इस मामले में सीबीआई और ईडी को जांच करनी चाहिए, लेकिन सरकार अपने रसूखदार नेताओं को बचाने में लगी है।

क्या है भारतमाला परियोजना और इससे जुड़े आरोप?

भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत देशभर में हाईवे और सड़क मार्गों का विस्तार किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत रायपुर-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण में भारी अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।

कांग्रेस का दावा है कि इस घोटाले में मुआवजे की राशि में हेरफेर कर सरकारी खजाने को लूटा गया। आरोप है कि कुछ प्रभावशाली नेताओं और उनके करीबियों ने मिलीभगत कर जमीन की कीमत बढ़ाकर भारी मुआवजा वसूला। कांग्रेस के अनुसार, यह घोटाला केवल एक तहसील तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में इस तरह के अनियमित भूमि अधिग्रहण की जांच की जानी चाहिए।

कांग्रेस ने उठाए यह सवाल:

1. सीबीआई और ईडी से जांच क्यों नहीं?
कांग्रेस का कहना है कि जब यह घोटाला केंद्र सरकार की योजना में हुआ है और इसमें केंद्र की राशि का दुरुपयोग हुआ है, तो सीबीआई और ईडी से जांच क्यों नहीं कराई जा रही? राज्य सरकार इस मामले में केवल ईओडब्ल्यू से जांच कराकर मामले को दबाने का प्रयास कर रही है।

2. डबल इंजन सरकार क्यों डरी हुई है?
कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि “छत्तीसगढ़ में जब से भाजपा सरकार आई है, तब से छोटे-छोटे मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए जा रहे हैं। लेकिन इतने बड़े घोटाले में सीबीआई जांच की मांग से भाजपा सरकार बच रही है। यह दिखाता है कि भाजपा नेताओं को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।”

3. छत्तीसगढ़ में सीबीआई का बैन हटने के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं?
कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब छत्तीसगढ़ में सीबीआई के अधिकार क्षेत्र को सीमित कर दिया गया था। लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने सीबीआई पर लगा यह प्रतिबंध हटा दिया है। इसके बावजूद इतने बड़े घोटाले की जांच सीबीआई से न कराना संदेह पैदा करता है।

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कैसे हुआ यह घोटाला?

कांग्रेस ने दावा किया है कि इस घोटाले को एक संगठित गिरोह ने अंजाम दिया। आरोप है कि—

जमीन अधिग्रहण से पहले ही कुछ प्रभावशाली लोगों को इसकी जानकारी दे दी गई।

इन लोगों ने बेकार और कम कीमत वाली जमीन को खरीदकर उसे महंगे दर पर सरकार को बेच दिया।

फर्जी दस्तावेज बनाकर और सरकारी अधिकारियों से सांठगांठ कर जमीन की कीमत कई गुना बढ़ा दी गई।

कुछ मामलों में जमीन अधिग्रहण से पहले ही नेताओं और उनके करीबियों को मोटी रकम दे दी गई।

इस तरह यह घोटाला सिर्फ रायपुर-हैदराबाद सड़क मार्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के अनियमित लेन-देन हुए हैं।

भाजपा सरकार का बचाव और कांग्रेस की रणनीति

इस मामले में भाजपा सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि “जांच चल रही है और इसमें किसी को बचाने की कोशिश नहीं की जा रही।”

लेकिन कांग्रेस इसे लेकर आक्रामक रुख अपना रही है और इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस की योजना है कि—

इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव 2025 के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया जाए।

रायपुर-हैदराबाद मार्ग ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में भूमि अधिग्रहण की व्यापक जांच की मांग की जाए।

इस मामले को लेकर सीबीआई और ईडी जांच के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाए।

जनता की प्रतिक्रिया

इस घोटाले को लेकर जनता में भी रोष देखने को मिल रहा है। खासतौर पर उन किसानों और जमीन मालिकों में आक्रोश है, जिन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला। वहीं, जिन लोगों ने इस घोटाले से फायदा उठाया, उनके खिलाफ जनता सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है।

कुछ किसान संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। वे इस मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।

अब आगे क्या?

कांग्रेस इस मामले को लेकर विधानसभा में जोरदार हंगामा कर सकती है।

अगर भाजपा सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कराती, तो कांग्रेस इसे लेकर दिल्ली में प्रदर्शन कर सकती है।

संभावना है कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता या किसान संगठन इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

भारतमाला परियोजना से जुड़े इस भूमि अधिग्रहण घोटाले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मचा दी है। कांग्रेस इसे लेकर भाजपा सरकार पर हमलावर है और मांग कर रही है कि इस मामले में सीबीआई और ईडी से जांच कराई जाए।

वहीं, भाजपा सरकार इस मामले में फिलहाल ईओडब्ल्यू जांच पर जोर दे रही है, जिससे कांग्रेस को भाजपा नेताओं को बचाने का आरोप लगाने का मौका मिल रहा है। अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट बन सकता है।

Ashish Sinha

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