
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरवाड़ समुदाय से प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरवाड़ समुदाय से प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान किया
अहमदाबाद, 21 मार्च – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात में भरवाड़ समुदाय को प्राकृतिक खेती अपनाने और ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत वृक्षारोपण करने का आग्रह किया। अपने संबोधन में उन्होंने इस समुदाय से भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान देने की अपील की। प्रधानमंत्री के इस आह्वान को व्यापक रूप से एक पर्यावरण-अनुकूल और कृषि-उन्नति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भरवाड़ समुदाय गुजरात का एक प्रमुख जातीय समूह है, जो परंपरागत रूप से मवेशी पालन से जुड़ा रहा है। यह समुदाय विशेष रूप से गायों और भैंसों का पालन करता है, जिससे इनका जीवनयापन होता है। हालांकि, आधुनिक कृषि और बदलते पर्यावरणीय परिदृश्य के कारण इस समुदाय को भी अपनी पारंपरिक पद्धतियों में बदलाव लाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदर्भ में भरवाड़ समुदाय से प्राकृतिक खेती को अपनाने का अनुरोध किया, ताकि यह समुदाय अपने कृषि और पशुपालन को अधिक लाभकारी बना सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक और जैविक खेती के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण भी संरक्षित रहेगा। उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। इसके तहत किसानों को रसायनमुक्त खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
सरकार द्वारा किसानों को जैविक बीज, प्राकृतिक खाद, और पारंपरिक जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने के लिए सहायता दी जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करना और उन्हें पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाना है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट्स की मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिससे किसानों को लाभ उठाना चाहिए।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की भी शुरुआत की, जिसमें प्रत्येक नागरिक से अपनी माँ के सम्मान में एक पेड़ लगाने का अनुरोध किया गया। इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर प्रत्येक व्यक्ति अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ लगाए, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य योगदान होगा।
उन्होंने कहा कि भरवाड़ समुदाय, जो प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक निर्भर करता है, इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वृक्षारोपण से जल संरक्षण, भूमि सुधार और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने गुजरात के लोगों से अपील की कि वे इस अभियान को एक जनांदोलन के रूप में अपनाएँ।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में गुजरात के विकास मॉडल की सराहना की और कहा कि राज्य पानी, सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के मामले में देश के लिए रोल मॉडल बन चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती और स्वच्छता को अपनाना अनिवार्य होगा। गुजरात सरकार पहले से ही इन क्षेत्रों में प्रभावी कदम उठा रही है और अन्य राज्यों को भी इससे सीख लेनी चाहिए।
अपने दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री ने 109 नई जलवायु-अनुकूल बीज किस्मों को जारी किया, जिससे कृषि उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा। इन बीजों में अनाज, दलहन, तिलहन, गन्ना, कपास और रेशेदार फसलें शामिल हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों की सराहना की, जिन्होंने किसानों के लिए अधिक लाभकारी और सतत कृषि पद्धतियों को विकसित किया है।
प्रधानमंत्री ने कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) की भूमिका पर भी जोर दिया और सुझाव दिया कि ये केंद्र किसानों को हर महीने नई बीज किस्मों के लाभों के बारे में जानकारी दें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की पहल किसानों को नवीनतम तकनीकों से जोड़ने और उन्हें अधिक उत्पादक बनाने में मदद करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने जल संरक्षण की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि सतत विकास के लिए जल बचाने के उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि हम प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करें, तो आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित पर्यावरण प्रदान कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत यदि देशभर में लाखों पेड़ लगाए जाते हैं, तो यह जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में सहायक होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह आह्वान न केवल भरवाड़ समुदाय बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए एक नई दिशा प्रदान करता है। प्राकृतिक खेती और जैविक कृषि को अपनाने से किसानों की आय में वृद्धि होगी, मिट्टी की गुणवत्ता सुधरेगी, और पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा।
‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत वृक्षारोपण को बढ़ावा देने से देश में हरित क्षेत्र का विस्तार होगा और जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायता मिलेगी। प्रधानमंत्री की यह पहल देश को सतत विकास की ओर अग्रसर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।