
केदार कश्यप ने कहा — पर्यावरण संरक्षण हर नागरिक की जिम्मेदारी | बेमेतरा में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान
विश्व पर्यावरण दिवस पर छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप और खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने बेमेतरा में रुद्राक्ष और चंदन के पौधे लगाए। जानिए कार्यक्रम की पूरी जानकारी और संदेश।
“पर्यावरण संरक्षण हर नागरिक की जिम्मेदारी है” — वन मंत्री केदार कश्यप
बेमेतरा में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत रुद्राक्ष और चंदन का पौधारोपण, 200 से अधिक पौधे लगाए गए
📍 रायपुर, 6 जून 2025 विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में बेमेतरा जिले के स्वामी विवेकानंद स्टेडियम के पास ‘एक पेड़ माँ के नाम’ वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप और खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने विशेष रूप से भाग लिया।
वन मंत्री ने रुद्राक्ष का पौधा लगाकर और पीपल वृक्ष की पूजा करके कार्यक्रम की शुरुआत की। खाद्य मंत्री बघेल ने चंदन का पौधा रोपित किया। इस अवसर पर विधायक दीपेश साहू, ईश्वर साहू, अपर मुख्य सचिव वन श्रीमती ऋचा शर्मा, और प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी. श्रीनिवास राव सहित गणमान्य अतिथियों ने 200 से अधिक पौधों का रोपण किया।
इसके पश्चात ‘जल-वन-जन: एक प्राकृतिक बंधन’ अभियान के अंतर्गत टाउन हॉल बेमेतरा में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में सभी अतिथियों ने हिस्सा लिया। मां सरस्वती और छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
🗣️ वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा:
“पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। पेड़ लगाना शुरुआत है, असली काम उसकी देखभाल है। जल, जंगल और जमीन को बचाना हमारी संस्कृति का हिस्सा है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जनआंदोलन की सराहना की और हर नागरिक से पौधा लगाने और संरक्षित करने की अपील की। उन्होंने जल संकट की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कम पानी वाली फसलों को अपनाने का सुझाव भी किसानों को दिया।
खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने कहा कि जल और वृक्ष जीवन का आधार हैं, इनका संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
विधायक दीपेश साहू और ईश्वर साहू ने भी पर्यावरणीय चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किए।
🌱 कार्यक्रम में हुए प्रमुख आयोजन:
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200+ पौधों का रोपण
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जल संरक्षण की शपथ
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फलदार व छायादार पौधों का वितरण
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स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी
अंत में नागरिकों को पौधों की देखभाल का संकल्प दिलाया गया और पर्यावरण संरक्षण में जनभागीदारी की अपील की गई।