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कोविड -19 दूसरी लहर के दौरान ने भारतीय अर्थव्यवस्था काफी खराब असर हुआ है। स्वामी नाथ जायसवाल।

कोविड -19 दूसरी लहर के दौरान ने भारतीय अर्थव्यवस्था काफी खराब असर हुआ है। स्वामी नाथ जायसवाल। नई दिल्ली प्रेस वार्ता में भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी नाथ जायसवाल ने बताया सरकार जिस तरह से देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ चुकी है कोई ऐसा मजबूत कार्य नहीं दिख रहा है जिससे नीति और सिद्धांत मे सरकार बदलाव लाए सरकार सिर्फ अपना मंत्रिमंडल में बदलाव लाया है, और सरकार के कार्यशैली और दिशा निर्देश उसी तरह है जैसे पूर्वोत्तर में था 7 साल के दौरान जितने कल कारखाने फैक्ट्रियां को करोना काल में बंद हो चुकी हैं जिससे श्रमिक मजदूर परेशान हैं और किसान को बदहाल होने पर यह सरकार लाचार कर दी है। मोदी सरकार जनविरोधी है जिससे देश में गरीबी बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। स्थनीय स्तर पर लगाए लॉकडाउन से इस बार ग्रामीण क्षेत्र पर असर डाला है। मगर इन परिस्थितियों में मोदी सरकार की निष्क्रियता को नकारा नहीं जा सकता। अपने असफल कारनामों को तथा निष्क्रियता को छुपाने के लिए और भारतीय जनता को गुमराह करने के लिए मोदी जी ने उन मंत्रियों को बदल डाला जिनके मंत्रालय पूरी तरह से निष्क्रिय थे।
मैंने एक फिल्म देखी थी जिसका नाम है जॉली एलएलबी – २, जिसमें एक किरदार ने बहुत ही सुंदर बात कही थी कि “बेकार आदमी कुछ किया कर, कपड़े उधेड़ कर सिया कर….”। आज भारत की निरंतर गिरती अर्थव्यवस्था और कोरोना महमारी तथा उसके चलते तालाबंदी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अवस्था पर मुझे यह बात एकदम से याद आ गई। साहब काम तो कुछ करते नहीं हैं बस जब देखो तो या तो विदेश के दौरे पर निकल लेते हैं और या फिर मंत्रिमंडल में बदलाव ही करने लग जाते हैं । 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक तिमाही में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की है। अप्रैल से जून के बीच की तिमाही में भारत की जीडीपी 23.9 फीसदी गिर गई है।
जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद देश भर में बनाई गई वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का योग है। भारत में जीडीपी के तिमाही आंकड़े जारी करने की शुरुआत 1996 में हुई थी और उसके बाद यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। महामारी के बाद बड़े एशियाई देशों में हुई आर्थिक गिरावट के लिहाज से भी यह सबसे बड़ी है।
भारत में तालाबंदी की शुरूआत 25 मार्च को हुई थी और जीडीपी के ये आंकड़े ठीक उसी के बाद के तीन महीनों के हैं। इससे पहले की तिमाही में 4.2 फीसदी का विकास हुआ था जबकि एक साल पहले की ठीक इसी अवधि के लिए यह आंकड़ा 5.2 फीसदी था। इतना ही नहीं मेरा यह भी मानना है तो था जानकारों ने की आशंका जताई है कि वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में भारत अब तक की सबसे बड़ी मंदी देखेगा। फिलहाल भारत में कोरोना महामारी दुनिया के किसी भी और देश की तुलना में तेजी से बढ़ रही है।
जब किसी देश की अर्थव्यवस्था में लगातार दो तिमाही गिरावट रहती है तो उसे मंदी में घिरा कहा जाता है। भारत में इससे पहले 1980 के दशक में मंदी आई थी और आजादी के बाद तब तीसरी बार ऐसा हुआ था।
भारत अब कोरोना से पीड़ित देशों की कतार में पहले नंबर पर आ गया है। राज्य सरकारों ने मई के मध्य से ही रणनीतिक रूप से पाबंदियां हटानी शुरू कर दीं। इन पाबंदियों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी छिन गई और जिसका खामियाजा पहले ही सुस्त रफ्तार से चल रही अर्थव्यवस्था को उठाना पड़ा। तालाबंदी के उपायों के बाद जीडीपी में गिरावट की आशंका पहले से ही थी। हालांकि यदि इसकी कल्पना के होने के बावजूद सरकार ने तैयारियां की होती तो तालाबंदी जैसे-जैसे नहीं लिखी जाती वैसे वैसे अर्थव्यवस्था तेजी से नीचे जा कर उतनी ही तेजी से वापस लौटती। हालांकि संक्रमित लोगों की बढ़ती संख्या, सार्वजनिक वित्त पर बढ़ता बोझ और बढ़ती महंगाई रिकवरी को अभी कुछ समय भारत की अर्थव्यवस्था से दूर ही रखेगी और अर्थव्यवस्था पूरे वित्तीय वर्ष में 10 फीसदी की गिरावट देखेगी। लेकिन तब तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में लाखों परिवार गरीबी के चंगुल में फंस सकते हैं। इतना ही नहीं अर्थव्यवस्था में मंदी आने पर रोजगार के अवसर घट जाते हैं। उत्पादन न होने की वजह से उद्योग बंद हो जाते हैं, ढुलाई नहीं होती है, बिक्री ठप पड़ जाती है। और इसके चलते कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी करने लगती हैं। यही कारण है कि गिरतीअर्थव्यवस्था में बेरोजगारी बढ़ जाती है और उसका खामियाजा बीपीएल परिवारों को भुगतना पड़ता है।यह सही है कि देश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी का विपरीत असर हुआ है। इसके चलते हमारी अर्थव्यवस्था बदहाली की शिकार हुई है, परंतु इसके मूल में कई अन्य कारण भी विद्यमान हैं। आज बेरोजगारी चरम पर है। देश के युवा नौकरी के लिए दर- दर भटक रहे हैं। सभी क्षेत्रों में निजीकरण बढ़ रहा है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कोरोना महामारी से मुकाबले के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दिशा में मोदी सरकार पूरी तरह से असफल है।

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Ashish Sinha

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