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कांग्रेस ने पारित किया ‘न्याय पथ प्रस्ताव’, अहमदाबाद से संविधान बचाने का लिया संकल्प

AICC अधिवेशन में कांग्रेस ने ‘न्याय पथ प्रस्ताव’ पारित कर लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा का संकल्प लिया। जयराम रमेश ने प्रस्ताव को सार्वजनिक किया।

“न्याय पथ प्रस्ताव” को कांग्रेस ने किया पारित, अहमदाबाद से देश को दिया संविधान-संरक्षण का संदेश

अहमदाबाद/नई दिल्ली।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 9 अप्रैल 2025 को अहमदाबाद में अपने ऐतिहासिक अधिवेशन के दौरान “न्याय पथ प्रस्ताव” को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इस प्रस्ताव के माध्यम से कांग्रेस ने देश के संविधान, सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

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पार्टी महासचिव श्री जयराम रमेश ने यह प्रस्ताव सार्वजनिक करते हुए लिखा –

“Here is the न्याय पथ Resolution adopted by the Indian National Congress just now at Ahmedabad.”
प्रस्ताव का लिंक: linktr.ee/jairam_ramesh

उन्होंने यह जानकारी अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर क्रमशः तीन ट्वीट्स के ज़रिए दी, जिससे यह स्पष्ट संकेत गया कि यह प्रस्ताव कांग्रेस के आगामी चुनावी एजेंडे का केंद्रीय स्तंभ होगा।


क्या है ‘न्याय पथ प्रस्ताव’?

न्याय पथ” यानी ‘पथ ऑफ जस्टिस’ कांग्रेस का नया राजनीतिक दर्शन है, जो देश की राजनीति को सामाजिक समरसता, संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ओर लौटाने की अपील करता है।

इस प्रस्ताव में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:

  • संविधान और लोकतंत्र की रक्षा:
    भाजपा सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने न्यायपालिका, चुनाव आयोग, सीएजी और मीडिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है।

  • सामाजिक न्याय और समान अवसर:
    दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को समाज में बराबरी का हक दिलाने के लिए ठोस नीतियां लागू करने का संकल्प है।

  • नफरत के खिलाफ मोहब्बत का संदेश:
    कांग्रेस ने दोहराया कि वह भारत को “नफ़रत का बाज़ार” नहीं बनने देगी, बल्कि “मोहब्बत की दुकान” खोल कर सामाजिक सौहार्द को बढ़ाएगी।

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  • आर्थिक न्याय:
    युवाओं के लिए रोजगार, महंगाई पर नियंत्रण और किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए व्यावहारिक योजनाएं लागू करने की बात इस प्रस्ताव में कही गई है।

  • संविधान से छेड़छाड़ का विरोध:
    प्रस्ताव में भाजपा और आरएसएस द्वारा संविधान को बदलने की कथित कोशिशों की आलोचना की गई है, और इसे रोकने के लिए जनआंदोलन खड़ा करने की बात कही गई है।


राजनीतिक संदर्भ और अहमदाबाद का प्रतीकात्मक महत्व

अहमदाबाद, जहाँ यह प्रस्ताव पारित हुआ, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का ऐतिहासिक केंद्र रहा है। कांग्रेस ने इसी शहर से “न्याय पथ” की शुरुआत करके स्पष्ट संकेत दिया है कि वह देश की लोकतांत्रिक विरासत को पुनर्स्थापित करने की दिशा में सक्रिय है।

यह प्रस्ताव लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस के लिए एक राजनीतिक रोडमैप की तरह कार्य करेगा, जिसके ज़रिए पार्टी जनता के बीच अपना वैचारिक पक्ष और कार्ययोजना दोनों ही स्पष्ट रूप से रख सकेगी।


नेताओं की प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया। राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा:

“न्याय पथ सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि हमारे संविधान की आत्मा को बचाने का संकल्प है।”

वहीं, प्रियंका गांधी ने इसे “देश के युवा, महिलाओं और वंचित वर्गों के अधिकारों की पुनर्बहाली का दस्तावेज़” बताया।


राजनीतिक विश्लेषण

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, “न्याय पथ प्रस्ताव” भाजपा की “धार्मिक राष्ट्रवाद” और “सेंटरलाइज़्ड गवर्नेंस” की राजनीति के खिलाफ एक नैरेटिव बैटल खड़ा करने की कोशिश है। कांग्रेस इस प्रस्ताव के माध्यम से:

  • युवाओं को रोजगार और शिक्षा के मुद्दों पर जोड़ना चाहती है।

  • दलित-पिछड़ा-मुस्लिम वर्ग के बीच सामाजिक न्याय का संदेश पहुंचाना चाहती है।

  • महिलाओं को सुरक्षा और अधिकारों की गारंटी देने का भरोसा देना चाहती है।

Ashish Sinha

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