ताजा ख़बरेंदेशधर्म

उज्जैन वाली वैदिक घड़ी सीएम हाउस के गेट पर भी:सूर्योदय पर शून्य, सूर्यास्त पर 15 बजेंगे, एप पर 189 भाषाओं में पंचांग देख सकेंगे

उज्जैन वाली वैदिक घड़ी सीएम हाउस के गेट पर भी:सूर्योदय पर शून्य, सूर्यास्त पर 15 बजेंगे, एप पर 189 भाषाओं में पंचांग देख सकेंगे

WhatsApp Image 2025-10-31 at 2.58.20 PM (1)
WhatsApp-Image-2025-10-31-at-2.41.35-PM-300x300

मध्यप्रदेश का सीएम हाउस पहला होगा, जहां भारतीय काल गणना पर आधारित दुनिया की पहली विक्रमादित्‍य वैदिक घड़ी स्थापित की गई है। इस घड़ी और नवनिर्मित प्रवेश द्वार का उद्घाटन 1 सितंबर (सोमवार) को किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने एक एप भी तैयार कराया है, जिसमें 189 भाषाओं को समाहित किया गया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भारतीय काल गणना की सबसे विश्‍वसनीय पद्धति का इस्तेमाल विक्रमादित्‍य वैदिक घड़ी के रूप में उज्‍जैन में किया था। इस घड़ी का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 29 फरवरी 2024 को किया था।

वैदिक घड़ी से पहले जानिए IST और GMT क्या हैं…?

ब्रिटिश शासन में हमारे देश के 2 टाइम जोन थे- कोलकाता और दूसरा मुंबई। बाद में IST (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) बना, यानी एक देश का एक ही मानक समय। हमारा GMT+5.30 है। मतलब ग्रीनविच मीन टाइम से 5.30 घंटे आगे।

GMT एक ऐसी यूनिट है, जिससे दुनिया के समय का आकलन किया जाता है। ग्रीनविच इंग्लैंड का एक गांव है। GMT को 1884 में मान्यता दी गई थी। 1972 तक यह ‘अंतर्राष्ट्रीय सिविल टाइम’ का मानक बन गया।

सीएम हाउस के प्रवेश द्वार का नवनिर्माण कराया गया है। इसी द्वार पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी लगवाई गई है।
सीएम हाउस के प्रवेश द्वार का नवनिर्माण कराया गया है। इसी द्वार पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी लगवाई गई है।

अब जानिए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के बारे में…

वैदिक घड़ी को लखनऊ की संस्था ‘आरोहण’ के आरोह श्रीवास्तव ने टीम की मदद से तैयार किया है। इसमें GMT के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में बांटा गया है। हर घटी का धार्मिक नाम और खास मतलब है। घड़ी में घंटे, मिनट और सेकेंड वाली सुई भी रहेगी। सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर यह टाइम कैलकुलेशन करती है। मुहूर्त गणना, पंचांग, मौसम से जुड़ी जानकारी भी हमें इस घड़ी के जरिए मिलेगी।

वैदिक घड़ी निर्माता आरोह श्रीवास्तव से बातचीत

सवाल- यह विचार आपको कैसे आया? जवाब- यह विचार मुझे पहली बार 2013 में आया, जब मैं इंग्लैंड के ग्रीनविच म्यूजियम गया था। वहां मुझे यह पता चला कि वर्तमान समय प्रणाली, खासतौर से प्राइम मेरिडियन, किस तरह से विश्व पर थोपी गई है।

इसके बाद मुझे यह भी बोध हुआ कि भारत के पास अपनी पारंपरिक समय प्रणाली थी, जो सूर्य की चाल पर आधारित थी, जिसमें मुहूर्त के अनुसार समय का निर्धारण होता था। मुझे लगा कि इस दिशा में कोई घड़ी नहीं बनाई गई, इसलिए यह परंपरा व्यवहार में नहीं आ सकी।

सवाल- आम घड़ी से आपकी घड़ी में क्या अंतर है? जवाब- सामान्य घड़ी ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) के अनुसार चलती है और रात 12 बजे तिथि बदलती है। यह 24 घंटे के फॉर्मेट में काम करती है। जबकि हमारी वैदिक घड़ी सूर्योदय से शुरू होती है। जब इसमें ‘शून्य’ बजेगा, तो उस समय आपके शहर में सूर्योदय हो रहा होगा। जब 15 बज रहा होगा, तो सूर्यास्त हो रहा होगा।

अगर आपसे कोई कहे कि आज 5 अप्रैल 2025 है, तो इससे आप खगोलीय स्थिति नहीं जान पाते। लेकिन यदि कहा जाए कि आज शुक्ल पक्ष तृतीया, तीसरा मुहूर्त है, तो आप जान पाएंगे कि सूर्य 36 डिग्री पर है (अर्थात वैक्सिंग नून) और उसका तीसरा फेज चल रहा है।

पंचांग की गहराई में जाने पर आप ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति भी समझ सकते हैं, चंद्रमा किस नक्षत्र में है, सूर्य किस राशि में है आदि। इस तरह यह घड़ी सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की चाल को दिखाती है। जबकि आज की 24 घंटे की घड़ी केवल दो लोगों के बीच मीटिंग तय करने का जरिया है। इसका निर्माण भी मर्चेंट शिप्स की नेविगेशन के लिए हुआ था, न कि आम लोगों के लिए।

सवाल- इस घड़ी को बनाते समय आप क्या कर रहे थे? जवाब- मैं एक इंजीनियर हूं। मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग के बाद इंग्लैंड के साउथ एंड सड कॉलेज से नॉटिकल साइंस पढ़ी। मर्चेंट नेवी के लिए शिप चलाने की पढ़ाई होती है, जहां हमें सिखाया जाता है कि अगर सारे उपकरण फेल हो जाएं, तो तारों और ग्रहों की स्थिति देखकर हम पृथ्वी पर अपनी स्थिति कैसे जान सकते हैं।

mantr
66071dc5-2d9e-4236-bea3-b3073018714b

इसमें लोकल मीन टाइम निकालने के लिए सूर्योदय को एक त्रुटि (इरर) की तरह लिया जाता है, जिसे कैलकुलेशन में माइनस किया जाता है। मुझे लगा कि सूर्योदय कोई त्रुटि नहीं हो सकता, हमारी तकनीक उसे मापने में त्रुटिपूर्ण हो सकती है। इसीलिए मैंने सूर्य आधारित सटीक समय निर्धारण की दिशा में काम शुरू किया।

जब मैंने भारतीय ज्ञान परंपरा को जाना, तो यह पता चला कि जो मैं करने का प्रयास कर रहा हूं, वह हमारे ऋषि-मुनि हजारों साल पहले कर चुके हैं। आज भी हम शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त निकालते हैं।

सवाल- आपकी यह घड़ी बनने में कितना समय और खर्च लगा? कितने लोग शामिल थे? जवाब- जब हमें सही समझ में आ गया, तब सही घड़ी एक ही दिन में बन गई। लेकिन उससे पहले तीन साल तक हमने कई बार गलत तरीके से घड़ी बनाई। इस परियोजना में एक छोटी सी टीम थी।

मेरे मित्र विशाल सिंह (IIT दिल्ली) ने सॉफ्टवेयर पर काम किया, आरुणी श्रीवास्तव ने हार्डवेयर पर काम किया और भोपाल की एक टीम इसका स्केलअप कर रही है। हेमंत गुप्ता जी भी इसमें जुड़े हैं। 2020 में हमने इसे तैयार किया।

सवाल- आपकी पहली घड़ी कहां लगी और उसकी लॉन्चिंग कब हुई? जवाब- पहली वैदिक घड़ी उज्जैन के जंतर-मंतर पर स्थापित की गई थी, जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी 2024 को किया था।

सवाल- मुख्यमंत्री से आपकी भेंट कैसे हुई? जवाब- लगभग चार साल पहले जब वे उच्च शिक्षा मंत्री थे, तब मेरी मुलाकात हुई थी। उस समय मैं साइकिल यात्रा कर रहा था, जिसमें मैंने भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों का भ्रमण किया। मैं बहुत कुछ खो चुका था, और ऐक्सेप्टेंस नहीं मिल रही थी।

इस दौरान मेरी मुलाकात श्रीराम तिवारी जी से हुई, जो मुझे डॉ. मोहन यादव जी के पास लेकर गए। हमारी बातचीत समय निर्धारण और काल गणना के विषय पर हुई, यह चर्चा हमारे विचारों से मेल खाती थी। वहीं से यह यात्रा आगे बढ़ी।

सवाल- मुख्यमंत्री निवास पर घड़ी लगाने का विचार किसका था? जवाब- हमारा यह विचार है कि यह घड़ी पूरे भारत में प्रमुख स्थलों पर लगाई जानी चाहिए, खासतौर पर वहां, जहां लोग इसे देख सकें। इससे लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और भारतीय समय प्रणाली का पुनर्जागरण हो सकेगा।

एप भी हुआ तैयार, 198 भाषाओं में देख सकेंगे टाइम भारतीय काल गणना की परंपरा को व्‍यवहारिक बनाने के लिए विक्रमादित्‍य वैदिक घड़ी का एप भी बनाया गया है। यह एप 198 भारतीय और वैश्विक भाषाओं में देखा जा सकेगा। इस एप को वैदिक काल गणना के सभी घटकों को शामिल करके बनाया गया है।

स्थान की काल गणना के अनुसार सूर्योदय का समय यह घड़ी सूर्योदय से ऑपरेट होती है। जिस जगह पर जो सूर्योदय का समय होगा, उस स्‍थान की काल गणना उसी के अनुसार होगी। स्‍टैंडर्ड टाइम भी उसी से जुड़ा रहेगा। इस ऐप में वैदिक समय, लोकेशन, भारतीय स्‍टैंडर्ड टाइम, ग्रीनविच मीन टाइम, तापमान, वायु गति, आर्द्रता, भारतीय पंचांग, विक्रम सम्‍वत मास, ग्रह स्थिति, योग, भद्रा स्थिति, चंद्र स्थिति, पर्व, शुभ अशुभ मुहूर्त, घटी, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्‍योहार, चौघड़िया, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, आकाशस्‍थ, ग्रह, नक्षत्र, ग्रहों का परिभ्रमण आदि की जानकारी रहेगी।

विक्रमादित्‍य वैदिक घड़ी का मापन डोंगला स्थित वेधशाला के सूत्रों पर आधारित है। विक्रमादित्‍य वैदिक घड़ी की स्‍थापना मप्र के महाराजा विक्रमादित्‍य शोधपीठ, संस्‍कृति विभाग द्वारा की गई है।

Praveen Dubey

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)
WhatsApp-Image-2025-09-23-at-1.09.26-PM-300x300
IMG-20250923-WA0360-300x300
WhatsApp-Image-2025-09-25-at-3.01.05-AM-300x298
BackgroundEraser_20250923_132554448-1-300x298
WhatsApp Image 2025-11-23 at 11.25.59 PM

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!