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अयोध्या में श्री रामलला का भव्य श्रृंगार और चार समय भोग, देखें आरती का अलौकिक दृश्

अयोध्या श्री राम जन्मभूमि में रामलला का आज अलौकिक श्रृंगार हुआ। जानें चार समय के भोग, भव्य आरती और भक्तों की श्रद्धा से भरे दृश्य के बारे में।

अयोध्या में श्री रामलला का अलौकिक श्रृंगार, चार समय भोग और भव्य आरती में उमड़ा भक्तों का सैलाब

अयोध्या। भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या आज एक बार फिर भक्ति और श्रद्धा के दिव्य आलोक से जगमगा उठी। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि, विक्रम संवत 2082 (11 नवंबर, मंगलवार) को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में ब्रह्मांड नायक श्री रामलला सरकार का अलौकिक श्रृंगार किया गया।
हर दिन की तरह आज भी श्रीरामलला का श्रृंगार, भोग और आरती विशेष रूप से भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना रहा।

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चार समय भोग – भक्तिभाव से परोसे जाते हैं भगवान को व्यंजन

रामलला को प्रतिदिन चार बार भोग लगाया जाता है —
1️⃣ बाल भोग (सुबह)
2️⃣ राजभोग (दोपहर 12 बजे)
3️⃣ भोग आरती (संध्या 7:30 बजे)
4️⃣ शयन भोग (रात्रि 8:30 बजे)

प्रत्येक समय का भोग विशेष होता है और मौसम के अनुसार बदलता रहता है। रामलला को परोसे जाने वाले सभी व्यंजन राम मंदिर की विशेष रसोई में भक्तिभाव से तैयार किए जाते हैं।


रसोई में बनते हैं विशेष व्यंजन

अयोध्या धाम में श्रीरामलला के लिए जो भोजन तैयार किया जाता है, वह पूरी तरह सात्विक होता है। इसमें देसी घी, आटा, चावल, शुद्ध दालें, और मौसमी फल-सब्जियां शामिल होती हैं।
हर दिन के भोग में मिठाई जैसे खीर, लड्डू, गुड़ के पेड़े, मालपुआ और पंजीरी जैसी पारंपरिक प्रसाद सामग्री शामिल की जाती है।

मंदिर प्रशासन के अनुसार, भोग सामग्री स्थानीय स्तर पर तैयार की जाती है ताकि ताजगी और पवित्रता बनी रहे।


श्रृंगार में झलकती है अलौकिक भव्यता

रामलला का श्रृंगार प्रतिदिन भव्य रूप से किया जाता है।
गर्मियों में जहां भगवान को सूती और हल्के वस्त्र पहनाए जाते हैं, वहीं सर्दियों में स्वेटर, ऊनी वस्त्र और शॉल से सजाया जाता है।
आज मार्गशीर्ष माह के अवसर पर श्रीरामलला को रॉयल ब्लू रंग के वस्त्र, स्वर्ण मुकुट, फूलों की माला और चंदन का तिलक लगाया गया।

श्रृंगार के बाद भक्तों को रामलला के दर्शन का लाभ मिला, जो शाम 7:30 बजे तक खुले रहे। इसके बाद 8:30 बजे शयन आरती के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए गए।


फूलों की माला दिल्ली से आती है

रामलला के श्रृंगार में इस्तेमाल की जाने वाली माला विशेष रूप से दिल्ली से मंगाई जाती है। यह माला सुगंधित फूलों जैसे गुलाब, रजनीगंधा, कमल और गेंदे से तैयार की जाती है।
मंदिर पुजारी बताते हैं कि “प्रभु श्रीरामलला के लिए हर फूल का चयन भक्तिभाव से किया जाता है। फूलों की ताजगी और रंग संयोजन उनकी दिव्यता में चार चांद लगा देता है।”

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आरती के समय भक्तों की भीड़

सुबह 6:30 बजे रामलला को जगाने के साथ ही पूजा-अर्चना की शुरुआत होती है।
स्नान, वस्त्र, और श्रृंगार के बाद प्रथम आरती संपन्न होती है।
दोपहर में राजभोग आरती, संध्या में दीप आरती और रात में शयन आरती के दौरान मंदिर परिसर में हजारों भक्त ‘जय श्रीराम’ के जयघोष के साथ प्रभु के भजन गाते हैं।


श्रद्धालुओं के लिए विशेष दर्शन व्यवस्था

मंदिर प्रशासन ने दर्शन के लिए भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विशेष व्यवस्था की है।
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भक्तों के प्रवेश के लिए सुबह से ही लंबी कतारें लग जाती हैं।
भक्तों को दर्शन का समय सुबह 6 बजे से शाम 7:30 बजे तक दिया गया है।
सुरक्षा की दृष्टि से परिसर में पुलिस और स्वयंसेवक लगातार निगरानी में रहते हैं।


मौसम के अनुरूप सजावट

जाड़े के मौसम की शुरुआत के साथ ही रामलला के वस्त्रों में ऊनी सामग्री का प्रयोग शुरू कर दिया गया है।
मंदिर परिसर में सजावट में भी ठंड को ध्यान में रखते हुए दीपों, रेशमी परदों और फूलों से विशेष सजावट की गई।
हर दिन बदलते श्रृंगार में भगवान के विभिन्न स्वरूपों — बाल रूप, राज रूप, और विश्राम रूप — के दर्शन होते हैं।


भक्ति और आस्था का संगम – अयोध्या में दिव्यता का आलोक

रामलला के श्रृंगार और आरती के समय पूरा मंदिर परिसर “जय श्रीराम” के उद्घोष से गूंज उठा।
शंख, घंटा और मृदंग की ध्वनि के बीच भक्तों ने आरती के दृश्य को अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया।
मंदिर के पुजारियों ने बताया कि “हर दिन भगवान का श्रृंगार और भोग भक्तों के प्रेम से पूर्ण होता है — यही अयोध्या की आत्मा है।”


मंदिर प्रशासन का संदेश

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे दर्शन के समय अनुशासन और पवित्रता बनाए रखें।
मंदिर परिसर में प्रसाद वितरण, भजन-संकीर्तन और सामूहिक दीप प्रज्वलन का आयोजन प्रतिदिन होता है।


अयोध्या दर्शन का सीधा प्रसारण (Live Darshan)

भक्त अब घर बैठे भी Ayodhya Ramlala Aarti Live Darshan देख सकते हैं।
मंदिर ट्रस्ट की वेबसाइट और प्रदेश खबर के यूट्यूब चैनल पर इसका सीधा प्रसारण उपलब्ध है।

Ashish Sinha

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