
राम मंदिर ध्वजारोहण: पीएम मोदी ने कहा— मानसिक गुलामी ने राम को भी नकारा, मैकाले का दिया उदाहरण
अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज फहराने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए मानसिक गुलामी, मैकाले की शिक्षा नीति, राम राज्य के आदर्शों और विकसित भारत के संकल्प पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि गुलामी की मानसिकता ने राम को नकारा और आने वाले 10 साल भारत को इस मानसिक बेड़ियों से मुक्त करने का समय है। धर्मध्वज पर अंकित कोविदार वृक्ष, सूर्यवंश का चिह्न और भगवा रंग राम राज्य की आदर्श परंपरा का प्रतीक है। पीएम मोदी ने कहा कि यह क्षण सदियों के घावों को भरने वाला है और आज विश्व राममय है।
PM Modi Speech on Dhwajarohan: मानसिक गुलामी पर प्रहार, मैकाले का जिक्र और विकसित भारत का संकल्प
राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज फहराने के ऐतिहासिक क्षण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशाल जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण में भारत की मानसिक गुलामी, मैकाले की शिक्षा नीति, और राम राज्य के आदर्शों पर विस्तार से बातें रखीं। पीएम मोदी ने कहा कि यह ध्वजारोहण सिर्फ परंपरा का पालन नहीं, बल्कि एक नया युग, नया संकल्प, और नवभारत की आत्मा का उदय है।
“गुलामी की मानसिकता ने राम को भी नकार दिया” – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भी भारत में गुलामी की मानसिकता कई जगहों पर मौजूद है।
उन्होंने कहा—
“गुलामी की इस मानसिकता ने हमारे भीतर डेरा डाला हुआ है। हमने नौसेना के ध्वज से गुलामी की मानसिकता को हटाया। यही मानसिक बेड़ियां थीं जिन्होंने भगवान राम को नकारा। भारत के कण-कण में राम हैं, लेकिन मानसिक गुलामी ने राम को काल्पनिक बना दिया।”
“1835 में मैकाले ने बोई थी मानसिक गुलामी की नींव”
पीएम मोदी ने 1835 में लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति का उदाहरण देते हुए कहा—
“आज से 190 वर्ष पहले मैकाले नाम के एक अंग्रेज़ ने भारत में मानसिक गुलामी की नींव रखी थी। आने वाले 10 वर्षों में उसके 200 साल पूरे होंगे। हमने संकल्प लिया है कि आने वाले दस वर्षों में हम देश को इस मानसिक गुलामी से मुक्त कर देंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि अगले 10 साल, आने वाले 1000 वर्षों की नींव को मजबूत करने वाले होंगे।
कोविदार वृक्ष और धर्मध्वज का शास्त्रीय महत्व
धर्मध्वज पर अंकित कोविदार वृक्ष का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा—
“जब भरत अपनी सेना के साथ चित्रकूट पहुंचे, तो लक्ष्मण ने दूर से ही अयोध्या की सेना को पहचान लिया था। वाल्मीकि रामायण में इसका वर्णन है— वही धर्म ध्वज, वही कोविदार वृक्ष अयोध्या की पहचान है।”
उन्होंने कहा कि कोविदार वृक्ष परंपरा और पहचान का प्रतीक है, जो याद दिलाता है कि पहचान भूलने से समाज अपनी जड़ों से कट जाता है।
“सत्य की ही विजय होती है” – धर्मध्वज का शाश्वत संदेश
पीएम मोदी ने धर्मध्वज के आध्यात्मिक संदेश को बताते हुए कहा—
“आने वाली सदियों और सहस्र शताब्दियों तक यह धर्मध्वज प्रभु राम के आदर्शों और सिद्धांतों का उद्घोष करेगा कि सत्य की जीत होती है, असत्य की नहीं। सत्य ही ब्रह्म का स्वरूप है, सत्य में ही धर्म स्थापित है।”
उन्होंने कहा कि धर्मध्वज का संदेश है—
“प्राण जाए पर वचन न जाए। जो कहा वही किया जाए।”
“सदियों की वेदना आज समाप्त हो रही है”
अयोध्या में उमड़े जनसागर को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा—
“आज का दिन भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और बिंदु का साक्षी है। संपूर्ण भारत और विश्व राममय है। सदियों के घाव भर रहे हैं। सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। सदियों का संकल्प आज सिद्धि पा रहा है।”
उन्होंने कहा कि धर्मध्वज का भगवा रंग, सूर्यवंश का चिह्न और कोविदार वृक्ष मिलकर राम राज्य की कृति और संस्कृति को प्रतिरूपित करते हैं।
राम मंदिर निर्माण से जुड़े हर व्यक्ति को पीएम की श्रद्धांजलि
पीएम मोदी ने दुनियाभर के रामभक्तों को इस ऐतिहासिक क्षण की शुभकामनाएं देते हुए कहा—
“मैं हर उस भक्त को प्रणाम करता हूं, हर उस दानवीर का आभार व्यक्त करता हूं जिसने राम मंदिर निर्माण के लिए योगदान दिया। हर श्रमवीर, हर कारीगर, योजनाकार और वास्तुकार को मैं नमन करता हूं।”
“21वीं सदी की अयोध्या विकसित भारत का मेरुदंड”
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई अयोध्या—
- सांस्कृतिक विरासत
- आधुनिक कनेक्टिविटी
- आध्यात्मिक पर्यटन
का संगम बनकर विकसित भारत का मेरुदंड (spine) बन रही है।











