
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी अव्यवस्थित: फर्जी गिरदावली, रकबा कटौती और कर्ज वसूली पर कांग्रेस का आरोप
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी व्यवस्था ठप, किसानों से कर्ज वसूली, रकबा कटौती, फर्जी गिरदावली और पोर्टल में गड़बड़ी पर कांग्रेस ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। सुशील आनंद शुक्ला बोले—सरकार किसानों का सामना नहीं कर पा रही।
धान खरीदी में भारी अव्यवस्था: सरकार किसानों का सामना नहीं कर पा रही, अधिकारियों-कर्मचारियों को आगे कर रही है – सुशील आनंद शुक्ला
रायपुर/02 दिसंबर 2025। प्रदेश में धान खरीदी व्यवस्था चरमराई हुई है और किसान भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि धान खरीदी को लेकर पूरे प्रदेश में अव्यवस्था का गंभीर आलम है। सरकार किसानों से संवाद नहीं कर पा रही, इसलिए अधिकारी और कर्मचारियों को आगे कर रही है।
किसानों की सहमति के बिना कर्ज की वसूली, हमाली-तौलाई भी वसूली जा रही
सुशील आनंद शुक्ला ने बताया कि
- कई उपार्जन केंद्रों में बिना किसानों की सहमति के लिंकिंग के जरिए पूरा कर्ज वसूला जा रहा है।
- हमाली और तौलाई का पैसा भी किसानों से वसूला जा रहा है, जो नियमित रूप से पूर्णतः अनुचित है।
- किसानों के रकबा में कटौती आम शिकायत बन गई है।
- टोकन जितना काटा जा रहा है, उससे कम धान की तुलाई की जा रही है।
- फर्जी गिरदावली रिपोर्ट के आधार पर किसानों का रकबा घटाया जा रहा है।
- परिवहन और मिलिंग की कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार और उसके मंत्री-विधायक किसानों का सामना करने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए पूरी जिम्मेदारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर डाल दी गई है।
रिकॉर्ड में जमीन कम दिखाने से किसान पूरा धान नहीं बेच पा रहे
कांग्रेस प्रवक्ता शुक्ला ने कहा कि किसानों का पूरा धान तैयार है, लेकिन
- रिकॉर्ड में जमीन कम दिखाए जाने के कारण
- गलत गिरदावली
- सुनवाई की व्यवस्था न होने
से किसान अपना पूरा धान बेचने से वंचित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि तहसील कार्यालय से लेकर कलेक्टर और मंत्री-विधायकों तक किसान शिकायत कर रहे हैं, लेकिन “कोई सुनवाई नहीं हो रही”।
ध्यान देने योग्य है कि समाधान के लिए सरकार ने कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है।
शुक्ला ने आरोप लगाया कि गिरदावली जैसे महत्वपूर्ण कार्य में पारदर्शिता और जवाबदेही खत्म हो चुकी है, जिससे साबित होता है कि सरकार किसानों का पूरा धान खरीदने की इच्छुक नहीं है।
पोर्टलों के मिलान में हज़ारों किसान गायब – 5 लाख हेक्टेयर रकबा कम
उन्होंने कहा कि
- एकीकृत किसान पोर्टल और एग्री स्टैक पोर्टल के मिलान में कई किसान “गायब” मिल रहे हैं।
- धान के फसल रकबा का 5 लाख हेक्टेयर पंजीयन कम हुआ है।
- डिजिटल कॉर्प सर्वे में कई किसानों के खेत फसल वाले कॉलम में निरंक (0) दर्ज कर दिया गया है।
इससे जिन किसानों ने धान बोया है, वे भी धान बेचने के अधिकार से वंचित हो रहे हैं। किसानों के रकबा में कटौती अब प्रदेश की आम समस्या बन चुकी है।











