
Ayodhya Ramlala Darshan Today (19 Oct): श्रृंगार, आरती और भोग का पूरा समय जानें
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, 19 अक्टूबर को अयोध्या में रामलला का अलौकिक श्रृंगार। जानें मंगला आरती (6:30 AM), भोग आरती (12 PM), संध्या आरती और शयन (8:30 PM) का सटीक समय। मौसम और समय के अनुसार रामलला के वस्त्र व भोग की जानकारी।
Ayodhya Ramlala Darshan Today (19 Oct): श्रृंगार, आरती और भोग का पूरा समय जानें
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, 19 अक्टूबर को अयोध्या में रामलला का अलौकिक श्रृंगार। जानें मंगला आरती (6:30 AM), भोग आरती (12 PM), संध्या आरती और शयन (8:30 PM) का सटीक समय। मौसम और समय के अनुसार रामलला के वस्त्र व भोग की जानकारी।
19 अक्टूबर (रविवार): अयोध्या में रामलला का भव्य श्रृंगार, जानें भोग, आरती और शयन का समय
अयोध्या धाम: संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी प्रभु श्री रामलला सरकार का श्रृंगार श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में प्रतिदिन भव्य और अलौकिक रूप से किया जाता है। आज, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि, विक्रम संवत 2082 (19 अक्टूबर, रविवार) के शुभ अवसर पर भी रामलला का मनमोहक श्रृंगार हुआ और उन्होंने भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन दिए।
रामलला के लिए फूलों की मालाएं विशेष रूप से दिल्ली से मंगाई जाती हैं, जो उनके दिव्य स्वरूप में चार चांद लगाती हैं।
रामलला की दिनचर्या और आरती का समय
रामलला की दिनचर्या सुबह उन्हें जगाने के साथ शुरू हो जाती है, जिसके बाद लेप लगाने, स्नान करवाने और वस्त्र पहनाने की प्रक्रिया होती है। भक्तों के लिए प्रमुख समय इस प्रकार हैं:
| समय | कार्यक्रम/गतिविधि |
| सुबह 6:30 बजे | पहली आरती (मंगला/प्रातः आरती) |
| सुबह | बाल भोग (दिन के चार भोगों में से पहला) |
| दोपहर 12:00 बजे | भोग आरती (दोपहर का भोग) |
| शाम 7:30 बजे | संध्या आरती |
| शाम 7:30 बजे तक | भक्तों के लिए अंतिम दर्शन |
| रात 8:30 बजे | शयन (रामलला का विश्राम) |
मौसम के हिसाब से वस्त्र और भोग
रामलला को हर दिन और मौसम के हिसाब से अलग-अलग वस्त्र पहनाए जाते हैं। गर्मियों में उन्हें सूती और हल्के वस्त्र पहनाए जाते हैं, जबकि जाड़े में सर्दी से बचाव के लिए स्वेटर और ऊनी वस्त्रों का प्रबंध किया जाता है।
रामलला को दिन में चार समय भोग लगाया जाता है। ये सभी व्यंजन राम मंदिर की रसोई में बनाए जाते हैं और हर समय के हिसाब से अलग-अलग व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसकी शुरुआत सुबह के ‘बाल भोग’ से होती है।
भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे शाम 7:30 बजे तक ही रामलला के दर्शन कर सकते हैं, क्योंकि इसके बाद उन्हें शयन के लिए तैयार किया जाता है।











