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बलरामपुर में यूरिया का काला बाज़ार! 266 की खाद 800 में बेच रहे बिचौलिए

बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में किसानों को यूरिया महंगी मिल रही है। 266 रुपये की यूरिया बिचौलिए 750-800 रुपये में बेच रहे हैं। जानिए कैसे हो रही कालाबाज़ारी।

बलरामपुर में यूरिया का काला बाज़ार! 266 की खाद 800 में बेच रहे बिचौलिए

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बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में किसानों को यूरिया महंगी मिल रही है। 266 रुपये की यूरिया बिचौलिए 750-800 रुपये में बेच रहे हैं। जानिए कैसे हो रही कालाबाज़ारी।

बलरामपुर, 25 अगस्त।छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में किसानों के लिए खरीफ सीजन में यूरिया की किल्लत बड़ा संकट बन गई है। स्थिति यह है कि सरकार द्वारा निर्धारित 266 रुपये प्रति बोरी की यूरिया किसानों को 750 से 800 रुपये तक में खरीदनी पड़ रही है।

किसानों का आरोप – गोदामों में छुपाई जा रही खाद

किसानों के मुताबिक, जब भी यूरिया की खेप जिले में पहुंचती है, उसे सीधे व्यापारियों और बिचौलियों के गोदामों में उतार लिया जाता है। इसके बाद जानबूझकर बाजार में किल्लत पैदा की जाती है ताकि बाद में वही यूरिया ऊंचे दाम पर किसानों को बेची जा सके।

आज सुबह भी ऐसी ही घटना सामने आई—एक ट्रक लोड यूरिया आने के बाद, उसे सरकारी डिपो में उतारने के बजाय व्यापारी अपने गोदामों में ले गए।

प्रभावित इलाके

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रामानुजगंज, शंकरगढ़, कुसमी, राजपुर और वाड्राफनगर सहित बलरामपुर जिले के कई हिस्सों में किसान यूरिया के लिए भटक रहे हैं। छोटे और सीमांत किसान, जिनके पास खरीफ फसल की तैयारी का समय है, सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

किसानों की मजबूरी – उनकी जुबानी

रामेश्वर यादव (कुसमी): “सरकार कहती है 266 में मिलेगा, लेकिन हमें 750 से 800 रुपये देने पड़ रहे हैं। अगर न लें तो धान की फसल खराब हो जाएगी।”

गुलाब सिंह (वाड्राफनगर): “सुबह लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन खाद डिपो में मिलता ही नहीं। बाद में वही बोरी बिचौलिए ऊंचे दाम पर बेचते हैं। ये सब मिलीभगत से हो रहा है।”

सुकवंत बाई (राजपुर): “हम छोटे किसान हैं, दो एकड़ खेत है। महंगे दाम पर खाद खरीदा तो कर्ज़ चढ़ जाएगा। अगर खाद नहीं डाले तो फसल ही नहीं बचेगी। दोनों तरफ से हम बर्बाद हो रहे हैं।”

राजनीतिक सवाल – मंत्री के गृह क्षेत्र में क्यों संकट?

स्थिति इसलिए भी चौंकाती है क्योंकि बलरामपुर-रामानुजगंज क्षेत्र को कृषि मंत्री रामविचार नेताम का इलाका माना जाता है। सवाल उठ रहा है कि मंत्री के गृह क्षेत्र में ही किसानों को यूरिया जैसी बुनियादी जरूरत के लिए बिचौलियों के रहमोकरम पर क्यों रहना पड़ रहा है।

Ashish Sinha

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