
नाबालिग छात्र को बंधक बनाकर पीटने वाले शिक्षक पर हो कार्रवाई: सुनील सिंह
नाबालिग छात्र को बंधक बनाकर पीटने वाले शिक्षक पर हो कार्रवाई: सुनील सिंह
रामानुजगंज, बलरामपुर: बलरामपुर जिले के माध्यमिक शाला मेघुलि में एक नाबालिग छात्र के साथ हुई क्रूरता ने जिले में शिक्षा व्यवस्था और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, प्राथमिक शाला मेघुलि में पदस्थ शिक्षक विद्यासागर यादव ने एक नाबालिग छात्र को बंधक बनाकर बेरहमी से पीटा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। इस अमानवीय घटना के बाद भी शिक्षा विभाग एवं पुलिस प्रशासन की चुप्पी आश्चर्यजनक है, जिसके चलते जिला कांग्रेस प्रवक्ता सुनील सिंह ने प्रशासनिक अधिकारियों से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
बच्चों के प्रति बढ़ रही हिंसा पर प्रशासन उदासीन
सुनील सिंह ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि बलरामपुर जिले में छात्र-छात्राओं के खिलाफ हिंसा और अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पहले नाबालिग छात्रा के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई थी और अब इस नाबालिग छात्र की पिटाई जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। लेकिन, शिक्षा विभाग और पुलिस प्रशासन इन मामलों में ठोस कार्रवाई करने के बजाय खामोश बैठा हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन की यह लापरवाही और उदासीनता अपराधियों के हौसले बढ़ा रही है। इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
क्या सत्ता पक्ष के दबाव में है प्रशासन?
सुनील सिंह ने इस पूरे मामले पर प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिक्षक विद्यासागर यादव के खिलाफ कार्रवाई में हो रही देरी से यह संदेह गहराता है कि कहीं प्रशासन सत्ता पक्ष के दबाव में तो नहीं? उन्होंने कहा कि जब छात्रों की सुरक्षा से जुड़ा कोई मामला आता है तो प्रशासन को बिना किसी दबाव के निष्पक्ष तरीके से कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि यदि ऐसे क्रूर मानसिकता वाले शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं की गई तो यह पूरे शिक्षा तंत्र के लिए खतरनाक साबित होगा। शिक्षक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन यदि कोई शिक्षक अपने दायित्वों को भूलकर छात्रों के साथ हिंसा करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
विद्यालय में शिक्षकों की भूमिका पर उठे सवाल
इस घटना के बाद विद्यालयों में शिक्षकों की भूमिका और छात्रों के प्रति उनके व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। क्या शिक्षक अब अनुशासन के नाम पर हिंसा को जायज ठहराने लगे हैं? क्या छात्रों को डर और भय के माहौल में पढ़ाई करनी पड़ेगी?
शिक्षक विद्यासागर यादव के इस कृत्य से स्पष्ट होता है कि कुछ शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को भूल चुके हैं। शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती, बल्कि छात्रों को नैतिकता, आदर्श और मानवीय मूल्यों की शिक्षा देना भी शिक्षकों की जिम्मेदारी होती है। लेकिन इस घटना में शिक्षक ने अपनी जिम्मेदारी के उलट एक मासूम छात्र को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।
सुनील सिंह की प्रशासन से मांग
जिला कांग्रेस प्रवक्ता सुनील सिंह ने पुलिस अधीक्षक एवं संबंधित थाना प्रभारी से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि –
1. विद्यासागर यादव के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।
2. शिक्षा विभाग इस मामले में निष्पक्ष जांच करे और दोषी शिक्षक को निलंबित करे।
3. प्रशासन इस घटना पर लीपापोती करने के बजाय निष्पक्ष कार्रवाई करे।
4. छात्रों की सुरक्षा के लिए स्कूलों में कड़े दिशानिर्देश जारी किए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा जरूरी
बच्चों के साथ इस तरह की हिंसा को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। देश के कानून के तहत नाबालिग बच्चों के प्रति हिंसा एक गंभीर अपराध है। यदि प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो यह बाल अधिकारों के संरक्षण में एक बड़ी चूक होगी।
सुनील सिंह ने कहा कि यदि इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे उच्च अधिकारियों और सक्षम प्राधिकरण के समक्ष शिकायत दर्ज कराएंगे। उन्होंने जनता से भी अपील की कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए वे इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाएं।
जनता में रोष, कार्रवाई की मांग तेज
इस घटना के बाद स्थानीय जनता में आक्रोश है। लोगों ने प्रशासन से शिक्षक विद्यासागर यादव को तुरंत बर्खास्त करने और कड़ी सजा देने की मांग की है। क्षेत्र के नागरिकों का कहना है कि यदि प्रशासन दोषियों के खिलाफ कठोर कदम नहीं उठाता, तो आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की यह उदासीनता यह दर्शाती है कि सरकार और अधिकारियों को बच्चों की चिंता नहीं है। जब तक प्रशासन इन घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक अपराधियों के हौसले बढ़ते रहेंगे और छात्रों की सुरक्षा खतरे में बनी रहेगी।
क्या कार्रवाई होगी या फिर लीपापोती?
अब सवाल यह है कि प्रशासन इस मामले में ठोस कार्रवाई करेगा या फिर इसे भी अन्य मामलों की तरह दबाने की कोशिश की जाएगी? क्या पीड़ित छात्र को न्याय मिलेगा? क्या शिक्षा विभाग अपनी ज़िम्मेदारी निभाएगा?
फिलहाल, सुनील सिंह और जनता की ओर से प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ता जा रहा है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषी शिक्षक के खिलाफ उचित कार्रवाई करता है या नहीं।