विश्व आर्थिक मंच की दावोस वार्ता में प्रधानमन्त्री के संबोधन का मूल पाठ
विश्व आर्थिक मंच की दावोस वार्ता में प्रधानमन्त्री के संबोधन का मूल पाठ
नमस्कार,
मैं सबसे पहले प्रोफेसर क्लॉस श्वाब और World Economic Forum की पूरी टीम को बधाई देता हूं।विश्व अर्थव्यवस्था के इस महत्वपूर्ण मंच को आपने इस मुश्किल समय में भी जीवंत बनाए रखा है।ऐसे समय में, जब सबसे बड़ा सवाल हो कि दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं कैसे आगे बढ़ेंगी, सभी की नजरें इस Forum पर रहना स्वाभाविक है।
साथियों,
तमाम आशंकाओं के बीच आज मैं आप सभी के सामने 1.3 बिलियन से ज्यादा भारतीयों की तरफ से दुनिया के लिए विश्वास, सकारात्मकता, और उम्मीद का संदेश लेकरके आया हूं।जब कोरोना आया, तो मुश्किलें भारत के सामने भी कम नहीं थीं।मुझे याद है पिछले साल फरवरी-मार्च-अप्रैल में दुनिया के कई नामी experts और बड़ी-बड़ी संस्थाओं ने क्या-क्या कहा था। भविष्यवाणी की गई थी कि पूरी दुनिया में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश भारत होगा।कहा गया कि भारत में कोरोना संक्रमण की सुनामी आएगी, किसी ने 700-800 मिलियन भारतीयों को कोरोना होने की बात कही तो किसी ने 2 मिलियन से ज्यादा लोगों की मृत्यु का अंदेशा जताया था।
दुनिया के बड़े-बड़े और आधुनिक health infrastructure वाले देशों का उस समय जो हाल था, वो देखकर भारत जैसे विकासशील देश के लिए दुनिया की चिंता भी स्वाभाविक थी। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि तब हमारी क्या मनोदशा रही होगी।लेकिन भारत ने खुद पर निराशा को हावी नहीं होने दिया।भारत Pro-Active, Public Participation की approach के साथ आगे बढ़ता रहा।