
सरगुजा में पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में श्रद्धांजलि सभा, NGO और समाजसेवियों की भावपूर्ण अपील
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के विरोध में सरगुजा में शोकसभा का आयोजन, समाजसेवियों व NGO प्रतिनिधियों ने आतंकवाद की कड़ी निंदा की और भारत सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ सरगुजा में श्रद्धांजलि सभा, NGO प्रतिनिधियों ने कड़ी निंदा की
अंबिकापुर, 25 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में हिन्दू पर्यटकों की निर्मम हत्या से आहत सरगुजा जिले के नागरिकों, सामाजिक संगठनों, स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं और आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सोमवार शाम सात बजे घड़ी चौक स्थित स्वामी विवेकानंद प्रतिमा के समक्ष एक शोक सभा का आयोजन कर दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस दौरान सभी प्रतिनिधियों ने मोमबत्तियां जलाकर आतंकवाद के खिलाफ लिखे नारों वाली तख्तियां लेकर दो मिनट का मौन रखकर शांति पूर्ण ढंग से श्रद्धांजलि दी।
सभा में प्रमुख वक्ताओं के विचार:
बी.के. विद्या बहन, प्रमुख, ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र अंबिकापुर ने कहा कि “धार्मिक मतभेद और नकारात्मक सोच ही इन त्रासद घटनाओं की जड़ हैं। कोई भी धर्म हिंसा की अनुमति नहीं देता।”
अनिल कुमार मिश्रा, समन्वयक, ‘नवा बिहान’, मुख्य कार्यकारी – छत्तीसगढ़ प्रचार एवं विकास संस्थान ने इसे मानवता को शर्मसार करने वाली घटना बताया और भारत सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की।
वंदना दत्ता, वरिष्ठ समाजसेविका ने कहा, “कश्मीर को हम जन्नत समझते हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं गहरी साजिश की ओर इशारा करती हैं।”
मंगल पांडेय, संयोजक ‘नवा बिहान’ एवं निदेशक – चिराग सोशल वेलफेयर सोसायटी ने कहा कि “हमें संयम व धैर्य रखते हुए आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट रहना होगा।”
अजय तिवारी, स्टेट काउंसिल मेम्बर – आर्ट ऑफ लिविंग, छत्तीसगढ़ ने कहा, “भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है। यह घटना केवल भारत नहीं, संपूर्ण विश्व के लिए दुखद है।”
अन्य वक्ताओं में विजय शंकर तिवारी (मुख्य ट्रस्टी, राजेन्द्र नाथ तिवारी फाउंडेशन), विजय उपाध्याय (ओम् फाउंडेशन), सरस्वती तिवारी (गायत्री परिवार), सुनिधि शुक्ला (शियती सोशल वेलफेयर सोसायटी), हिना खान (उमंग महिला एवं बाल उत्थान सोसायटी) आदि शामिल रहे।
सभी प्रतिनिधियों ने भारत सरकार से मांग की कि पीड़ित परिवारों को क्षतिपूर्ति और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु कठोर कदम उठाए जाएं।