
लोकवाणी (आपकी बात-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ) प्रसारण तिथि : रायपुर,10 अक्टूबर 2021
एंकर
– लोकवाणी के सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
– साथियों, आज लोकवाणी की बाइसवीं कड़ी का प्रसारण हो रहा है। आज के प्रसारण का विषय है-‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह’ भाग-दो।
– इस विषय पर विभिन्न जिलों से हमें इतनी तथ्यात्मक जानकारी मिल रही है कि एक ही विषय पर दो कड़ियों का प्रसारण करने की योजना बनाई गई।
– विषय पूरी तरह स्पष्ट है कि स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए समस्याओं को चिन्हित करना, उनके समाधान की तलाश करना, उन्हें लागू करना और जनता को राहत दिलाना, इन सब कामों में जिला प्रशासन की केन्द्रीय भूमिका है।
– इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी विभिन्न जिलों से आए विचारों से स्वयं रू-ब-रू होंगे, लोगों के विचार सुनेंगे और अपनी बात रखेंगे।
– हम आप सभी श्रोताओं का हार्दिक स्वागत करते हैं, अभिनंदन करते हैं, जय जोहार।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– सब्बो सियान मन, दाई-दीदी, संगवारी अउ भतीजा-भतीजी मन ल, मोर डहर ले जय जोहार, जय सियाराम।
– 7 अक्टूबर ले नवरात्र सुरू हो गे हे। जम्मो मन देवी दाई के पूजापाठ म लगे हें। हमन अब्बड़ भाग मानी हरन के प्रदेस के चारो कोती देवी-दाई के बड़े-बड़े मंदिर हवय। अउ एकर आसीरवाद प्रदेस ल मिलत हे। दंतेवाड़ा म दंतेश्वरी दाई, डोंगरगढ़ म बम्लेश्वरी दाई, रतनपुर म महामाया दाई, चन्द्रपुर म चन्द्रहासिनी दाई बिराजे हे। चन्दखुरी रायपुर म कौशल्या दाई के प्राचीन मंदिर हे, जेखर पुनरोद्धार अउ विकास के काम करे गे हे। गांव-गांव, सहर-सहर म सीतला दाई अउ देवी के हर स्वरूप के मंदिर हवय। नवरात्रि म जंवारा बोय गे हे। जोत जलाए गे हे। नारी सक्ति के रूप म हमन बेटी मन के पूजा करथन अउ कन्या भोज कराए के घलो हमर परंपरा हे।
– ये अवसर म मोर अपील हे के बेटी मनके, नारी मनके सम्मान के भाव, बछर म दू बार नवरात्र म रखे के साथ ही, येला पूरा साल अउ पूरा जिनगी भर निभाना हे। इही सही मायने म छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा हरे।
– हमर परंपरा अउ संस्कृति के सिक्षा ल सब्बो मन ल, अपन जिनगी म उतारना हे। दाई-दीदी के अधिकार अउ मान-सम्मान दे बर, समाज के बेवस्था ल हमर सरकार ह अउ मजबूत करे हे।
– नवरात्रि के बाद दसहरा तिहार आही। भगवान राम के जीत के तिहार। सत्य के जीत, न्याय के जीत के तिहार हे। अहंकार के प्रतीक रावण के अंत के तिहार हे।
– करवा चौथ, देवारी, गौरा-गौरी पूजा, मातर, गोवर्धन पूजा, छठ पूजा, भाई दूज, जम्मो तिहार के आप मन ल बधाई, अउ सुभकामना देवत हंव।
– मोर एकठन निवेदन हे, के आप मन सावधानी के साथ, कोरोना ले बचे के जम्मो सुरक्षा उपाय के साथ, मास्क पहिन के नाक, मुंह ढांक के, तिहार मनावव।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा तथा गांव-गांव में उपलब्ध जल संसाधनों के बारे में जिला प्रशासन तथा स्थानीय जनता का ध्यान गया है। लोकवाणी की पिछली कड़ी में हमने दुर्ग जिले की सिपकोना नहर प्रणाली के जीर्णोद्धार का किस्सा सुना था। इस बार कोरबा जिले के लबेद में बहने वाले नाले और मिट्टी के बांध के जीर्णोद्धार की बात हमारे श्रोताओं ने बताई है। आइए सुनते हैं, उनके विचार-
टीकाराम राठिया, जिला कोरबा
मुख्यमंत्री जी नमस्कार। मैं टीकाराम राठिया ग्राम-लबेद, जिला कोरबा से बोला थंव, आपके द्वारा हमर गांव के लबेद नाला बांध में पुराना किसान मन गांव के सियान मन, बांधे रिहिन हेे जेकर मरम्मत कार्य माने आपके शासन के माध्यम से होइसे ओमा गांव के किसान मन ला बहुत अच्छा पानी मिलत हे, जिंदा नाला है तो दो फसली खेती होथे मुख्यमंत्री महोदय जी, आपके सहयोग से जो हमर इहां के बांध बने हे, रकबा करीब-करीब साढ़े तीन सौ एकड़ में खेती होथे धान के अउ साग-भाजी के खेती होथे अउ किसान मन बहुत खुसहाल हे, किसान मन आप मन ला बहुत धन्यवाद देथे तो मुख्यमंत्री महोदय जी, आप ला नमस्कार हे, जय जोहार हे, जय छत्तीसगढ़ हे।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– टीकाराम जी, जय जोहार।
– 25 साल पहले जब कोरबा विकासखण्ड के लबेद गांव में मिट्टी का बांध बनाकर पानी रोका गया था, उस समय जिन लोगों ने इस स्थान को चिन्हित किया था, सबसे पहले मैं उनको साधुवाद देता हूं।
– उनकी सोच को आगे बढ़ाने का काम हमारी सरकार ने किया है। मैं कोरबा जिला प्रशासन को भी साधुवाद देता हूं कि उन्होंने इस मिट््टी के बांध के स्ट्रक्चर को ठीक किया, बांध पर वेस्टवीयर, स्लूज गेट लगाए और नहर प्रणाली को भी ठीक किया।
– 2 करोड़ 34 लाख रुपए की लागत से पुनरोद्धार और नवनिर्माण का कार्य कराया, जिसके कारण इस प्रणाली की सिंचाई क्षमता दोगुनी हो गई। पहले जहां 210 एकड़ में पानी पहुंच पाता था वहीं अब 419 एकड़ तक पानी पहुंच रहा है।
– लबेद और गिद्धकुंवारी गांव के लोगों को इसका लाभ मिलने लगा है और सबसे खास बात यह है कि इस परियोजना के लिए न तो किसी किसान की जमीन ली गई और न ही वन भूमि से पेड़ काटे गए। 800 मीटर की अण्डरग्राउंड नहर बनाई गई। इस सुधार कार्य के कारण अब बांध और नहर का पानी बरबाद नहीं हो रहा है बल्कि अंतिम छोर तक पहुंच रहा है। इससे 419 एकड़ में किसानों को रबी और खरीफ दोनों मौसमों की फसल मिलने लगी है।
– वहीं वैज्ञानिक ढंग से जीर्णाेद्धार कार्य होने के कारण किसानों को नहरों के रखरखाव और व्यर्थ पानी बहने की चिंता से भी छुटकारा मिल गया। हमारी नरवा योजना का यही लाभ है। हमारा लक्ष्य प्रदेश के 30 हजार नालों को तकनीकी रूप से सुधारना है। लबेद जलाशय परियोजना की सफलता अन्य जिलों और गांवों में भी प्रेरणा का माध्यम बनेगी।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, अबूझमाड़ को लेकर बहुत सी बातें हम लंबे समय से सुनते आए हैं। लेकिन इसके तकनीकी पहलुओं पर हमारा ध्यान तब गया, जब नारायणपुर जिले के 246 गांवों का राजस्व सर्वेक्षण कराए जाने की बात कही गई। इससे संबंधित क्षेत्र में क्या प्रतिक्रिया हुई और इसका क्या लाभ होगा यह जानने की बहुत जिज्ञासा है। आइए सुनते हैं, नारायणपुर जिले के संबंधित क्षेत्र के एक श्रोता की जुबानी।
श्री सत्यनारायण, जिला नारायणपुर (गोंडी में)
माननीय मुख्यमंत्री जी, जय जोहार। मेरा नाम सत्य नारायण उसेण्डी है। मैं ग्राम कुरूशनार, जिला नारायणपुर का निवासी हूं। हम लोग पहले अपनी जिंदगी में रमे रहते थे और हमको सुख-दुःख का कोई मालूम नहीं रहता था, न ही समझ में आता था, लेकिन अब माननीय मुख्यमंत्री जी भूपेश बघेल की सरकार आने के बाद हमारे सर्वेक्षण की बात कही। सर्वेक्षण करने के बाद भी हमको पता नहीं चला कि हमको इससे क्या लाभ होगा ? हमको कोई जानकारी नहीं थी लेकिन सर्वे होने के बाद हम लोगों को अब पता चल रहा है कि हमारा पट्टा बन गया। पट्टे मिलने से धान खरीदी हो रही है। भूमि समतलीकरण किया जा रहा है इसके अलावा राज्य सरकार की अन्य योजनाओं का भी लाभ हमें मिल रहा है। ये सब लाभ मिलने के कारण हम लोग भूपेश बघेल जी को धन्यवाद देना चाहते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– उसेण्डी जी, जय जोहार।
– अबूझमाड़ का मतलब था, ऐसा स्थान, ऐसा वन क्षेत्र, जिसे बूझा नहीं जा सका है।
– जब हम सरकार में आए तो मुझे लगा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि प्रदेश का कोई क्षेत्र अबूझा रह जाए। जहां की आशाओं, आकांक्षाओं को समझने, जनसुविधाओं और विकास की योजनाओं को पहुंचाने की कोई व्यवस्था ही न हो।
– राज्य के किसी अंचल के बारे में राज्य सरकार यह कहे कि वह क्षेत्र तो बूझा ही नहीं गया, इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती थी?
– मैंने जांच कराई तो पता चला कि नारायणपुर जिले के ओरछा विकासखण्ड के कुल 237 ग्राम तथा नारायणपुर विकासखण्ड के 9 ग्राम अभी भी असर्वेक्षित हैं। सर्वेक्षण नहीं होने के कारण यहां के किसानों सहित विभिन्न वर्ग के लोगों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इसे ध्यान में रखते हुए हमने मसाहती सर्वे कार्य को प्राथमिकता से कराने का निर्णय लिया है।
– अब तक ओरछा विकासखण्ड के 4 ग्रामों तथा नारायणपुर विकासखण्ड के 9 ग्रामों का प्रारंभिक सर्वे पूर्ण कर, उन्हें भुईंयां सॉफ्टवेयर के साथ जोड़ा गया तथा 6 अन्य ग्रामों का सर्वेक्षण कार्य प्रक्रिया में है। आई.आई.टी. रुड़की के सहयोग से 19 ग्रामों का प्रारंभिक नक्शा एवं अभिलेख तैयार कराया गया है।
– हमने निर्णय लिया है कि राज्य शासन के निर्णय के अनुसार सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक प्रारंभिक अभिलेख अथवा मसाहती खसरा को आधार मानकर कब्जेदार को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाए।
– इसी कड़ी में जिला प्रशासन द्वारा विशेष शिविर लगाकर मनरेगा के तहत भूमि समतलीकरण, डबरी निर्माण, कृषि विभाग की राजीव गांधी किसान न्याय योजना, किसान सम्मान योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना आदि का लाभ दिया जाएगा।
– उद्यानिकी विभाग के द्वारा मिनी बीज किट, नलकूप खनन, ड्रिप सिंचाई योजना, शेड नेट योजना आदि के प्रकरण भी तैयार किए जा रहे हैं। इन ग्रामों के हितग्राहियों से शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए आवेदन लिया गया है। ओरछा विकासखण्ड से 1 हजार 92 तथा नारायणपुर विकासखण्ड से 1 हजार 842 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इन आवेदनों पर कार्यवाही करते हुए पात्र हितग्राहियों को लाभ दिया जा रहा है।
– मैं कहना चाहता हूं कि अबूझमाड़ को ठीक ढंग से बूझने की दिशा में हमने ठोस कार्यवाही शुरू कर दी है। जल्दी ही इसका लाभ जमीनी स्तर पर दिखाई देने लगेगा। हम यह कहकर अबूझमाड़ के लोगों को उनके वाजिब अधिकारों से वंचित नहीं कर सकते कि अबूझमाड़ का सर्वेक्षण नहीं हुआ। जो काम इतने वर्षों तक नहीं हुआ, वह हम जल्दी से जल्दी कराके, वहां की जनता की सुख-सुविधा में भरपूर बढ़ोत्तरी करना चाहते हैं, जिसकी शुरुआत हो चुकी है।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आपकी प्रेरणा से प्रदेश के अलग-अलग जिलों के अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की जलवायु और अन्य विशेषताओं के अनुसार खेती-किसानी कार्य को बल मिला है। इसके कारण यह भ्रम भी टूटा है कि छत्तीसगढ़ में धान के अलावा किसी अन्य तरह की खेती नहीं की जा सकती है। उदाहरण के लिए चाय के बागान तो परंपरागत रूप से छत्तीसगढ़ में नहीं होते थे, लेकिन अब जशपुर में चाय की खेती के बारे में जानकारी आ रही है। आइए सुनते हैं, कुछ श्रोताओं के विचार।
अशोक तिर्की, जिला जशपुर
प्रणाम। मैं अशोक तिर्की जिला जशपुर का निवासी हूं। जब से जशपुर में चाय की खेती के बारे में पता चला है तब से हमें बहुत खुशी हो रही है। मुख्यमंत्री जी, हमारा जशपुर जिला एक नए तरह के काम के लिए लोकप्रिय होने आगे बढ़ रहा है। हम जानना चाहते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है और वास्तव में क्या जशपुर में चाय की खेती सफल होना संभव है? हम जानना चाहते हैं। मुख्यमंत्री जी।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– अशोक जी, धन्यवाद।
– बहुत अच्छी बात कही आपने। कोई भी व्यक्ति जशपुर जिले के जशपुर विकासखण्ड में सारूडीह नामक गांव में जाकर यह देख सकता है कि वहां किस तरह से चाय की खेती हो रही है।
– अब असम की तरह जशपुर जिले में भी चाय के बागान दिखने लगे हैं।
– फर्क सिर्फ इतना है कि हमारे जशपुर जिले के चाय बागान किसी कम्पनी की मिल्कियत नहीं है, बल्कि इसके पीछे स्थानीय समुदाय की ताकत है।
– संयुक्त वन प्रबंधन समिति सारूडीह के अंतर्गत स्व-सहायता समूह के अनुसूचित जनजाति के 16 परिवारों के सदस्यों से मिला जा सकता है, जिन्होंने जिला प्रशासन के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत से 20 एकड़ क्षेत्र को चाय के बागान में बदल दिया है। यहां 20 एकड़ कृषि भूमि पर चाय का रोपण किया गया है। चाय रोपण के प्रबंधन एवं प्रसंस्करण में 2 महिला स्व-सहायता समूह जुड़े हैं। अब तो चाय रोपण से व्यापारिक स्तर पर ग्रीन टी एवं सी.टी.सी.टी का निर्माण किया जा रहा है। यहां निर्मित चाय की गुणवत्ता की जांच भी व्यावसायिक संस्थाओं से कराई गई है, जिसमें दोनों प्रकार की चाय को उत्तम गुणवत्ता का होना पाया गया है। इस चाय बागान में जैविक खेती को ही आधार बनाया गया है। इसके लिए हितग्राही परिवारों को उन्नत नस्ल का पशुधन भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे उनको अतिरिक्त लाभ हो रहा है।
– मनोरा ब्लॉक में कांटाबेल, जशपुर ब्लॉक में बालाछापर और गुटरी में भी 60 एकड़ रकबे में चाय के बागान तैयार हो गए हैं। इस तरह जशपुर जिले के चाय बागान लोगों की आय का बड़ा जरिया बनेंगे।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, ‘जिला खनिज न्यास’ जिसे डीएमएफ के रूप में जाना जाता है। डीएमएफ के बारे में पहले यह बताया गया था कि यह राशि खनन प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के पुनर्वास के काम आएगी लेकिन बाद में डीएमएफ के दुरुपयोग की कई कहानियां सामने आई थीं। आपने मुख्यमंत्री बनते ही डीएमएफ की राशि के सदुपयोग के लिए कार्ययोजना बनाई, जिसके कारण इसका उपयोग सही तरीके से होने लगा। कबीरधाम जिले में डीएमएफ की राशि के सदुपयोग से बहुत ही चमत्कारिक नतीजे आए हैं।
– आइए इस विषय पर सुनते हैं, कुछ विचार।
बसंत यादव, जिला कबीरधाम
– जय जोहार कका, मैं बसंत यादव, कवर्धा, जिला कबीरधाम निवासी हूं। कबीरधाम जिले में डीएमएफ मद से शिक्षित युवाओं को शाला संगवारी के रूप में रोजगार दिया जा रहा है। बाइक एम्बुलेंस तथा सुपोषण अभियान जैसे कामों में मदद की जा रही है। यह कार्यप्रणाली कितनी सफल रही है, कृपया इसके बारे में जानकारी देने की कृपा करेंगे। धन्यवाद, मुख्यमंत्री जी।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– जय जोहार, बसंत बेटा।
– डीएमएफ की राशि वास्तव में उन क्षेत्रों की अमानत है, जहां खनन गतिविधियों के कारण पर्यावरण, स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षण, पोषण आदि गतिविधियों पर असर पड़ता है।
– जब मैं मुख्यमंत्री बना और मैंने इस बात की समीक्षा की। कि डीएमएफ की राशि के उपयोग के लिए क्या नियम हैं और इसका पालन किस तरह किया जा रहा है। तो मुझे बहुत निराशा हुई। मैंने यह तत्काल निर्देश दिया कि डीएमएफ की राशि के उपयोग के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, जिससे इस राशि का उपयोग वास्तव में खनन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के विकास में, पुनर्वास में हो सके।
– कबीरधाम जिले में रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति के युवाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने और शिक्षित युवाओं को सीधे रोजगार देने के लिए शाला संगवारी योजना शुरू की गई। इसके तहत 100 से अधिक शिक्षित युवाओं को शाला संगवारी के रूप में रोजगार दिया जा रहा है।
– ग्रामीण और वन क्षेत्रों में संचालित स्वास्थ्य केन्द्रों में द्वितीय एएनएम के रूप में 80 से अधिक स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया जा रहा है। साथ ही डीएमएफ के माध्यम से बड़ी राशि अधोसंरचना विकास के लिए दी गई है।
– जिला अस्पताल को अपग्रेड किया जा रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों और हेल्थ स्टाफ की नियुक्ति की गई है।
– बाइक एम्बुलेंस के रूप में एक बहुत ही अच्छा प्रयोग कबीरधाम जिले में किया गया है। जिले के वन क्षेत्रों में बाइक एम्बुलेंस गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। जिले में मातृत्व स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत सुरक्षित संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए मोटर बाइक एम्बुलेंस सेवा संचालित हो रही है। वन क्षेत्रों-जैसे दलदली, बोक्करखार, झलमला, कुकदूर, छीरपानी में इसका अच्छा असर हुआ है। इससे 2 हजार से अधिक गर्भवती माताओं को संस्थागत प्रसव कराने और उन्हें सुरक्षित घर छोड़ने में मदद मिली है।
– मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में डीएमएफ की राशि का उपयोग काफी कारगर साबित हुआ है। कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त पौष्टिक आहार अंडा और केला देने की शुरुआत की गई। 1 से 3 वर्ष के बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्रों में गर्म भोजन दिया जा रहा है।
– जिले में 2019 के वजन तिहार के मुकाबले, वर्ष 2021 में कुपोषण की दर 19.56 प्रतिशत से घटकर 13 प्रतिशत हो गई है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। ऐसी ही रिपोर्ट हर जिले से मिल रही है। जिसके कारण प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या में 32 प्रतिशत की कमी आई है। हमें नई सोच और नए उपायों से छत्तीसगढ़ को पूर्णतः कुपोषण मुक्त राज्य बनाना है।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, छत्तीसगढ़ में महिला स्व-सहायता समूह ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक, सामाजिक परिवर्तन के वाहक बन गए हैं। महिला स्व-सहायता समूहों ने न सिर्फ बहुत बड़े पैमाने पर महिलाओं को संगठित किया है बल्कि एक दूसरे का सहारा बनकर उन्होंने अपने आप में बड़ी शक्ति बना ली है, जिससे वे विभिन्न तरह की आजीविका के साधनों से जुड़ गई हैं। समूहों द्वारा निर्मित वस्तुओं को बाजार दिलाने के लिए नए-नए प्रयासों की जानकारी सामने आ रही है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म में अमेजन की चर्चा भी हुई थी। आइए सुनते हैं इस विषय पर कुछ विचार।
सुश्री रामेश्वरी साहू, जिला राजनांदगांव
– माननीय मुख्यमंत्री जी, जय बिहान। मेरा नाम रामेश्वरी साहू है। मैं राजनांदगांव जिले के ग्राम मनगटा की रहने वाली हूं। मैं प्रियंबिका स्व-सहायता समूह की सदस्य हूं। हम समूह के सदस्य गौठान में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण के साथ-साथ विभिन्न तरह की गतिविधियों से जुड़े हैं। जिला प्रशासन द्वारा हमारी आय बढ़ाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। रक्षाबंधन पर्व के लिए हमारे जिले के 28 स्व-सहायता समूह की 50 दीदियों ने मिलकर प्राकृतिक सामग्री से हस्त निर्मित धान, बीज, गेहूं, चावल, बांस की राखियों का निर्माण किया। राजनांदगांव जिला प्रशासन द्वारा अन्तरराष्ट्रीय प्लेटफार्म ई-कामर्स पर राखी विक्रय के लिए सहयोग किया गया, जिससे लगभग 2 लाख 30 हजार से अधिक राशि की 25 हजार से अधिक राखियों का देश-विदेश मंे ऑनलाइन व ऑफलाइन विक्रय किया गया। इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। हमें समाचार पत्रों से जानकारी मिली है कि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक जी ने अमेजन से ऑर्डर कर, हमारी राखी मुख्यमंत्री जी आपको बांधी थी, इससे हमें गर्व महसूस हुआ। हम लोग ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले हैं, आपने हमारे द्वारा बनाई गई राखी पहनकर हमारा मान- सम्मान बढ़ाया है, इससे हमें बहुत खुशी हुई। आपका बहुत-बहुत आभार, आपका धन्यवाद।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– रामेश्वरी जी, आपको भी जय जोहार, जय बिहान।
– हमने छत्तीसगढ़ में महिला स्व-सहायता समूहों को मजबूत करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
– मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी होती है कि हमारी बहनों ने एक ओर जहां बड़े पैमाने पर रोजगारमूलक कार्यों में दिलचस्पी दिखाई है, वहीं दूसरी ओर वे समाज सुधार के लिए भी आगे आईं हैं।
– महिला समूहों ने अपने गांव की सुरक्षा करने और कुरीतियों के खिलाफ जंग छेड़ने के साथ ही ऐसे अनेक नवाचार किए हैं, जिनसे उन्होंने अपने परिवार को स्वावलंबी बनाया है।
– गांवों के सर्वांगीण विकास में भूमिका निभाकर महिलाओं ने यह साबित किया है कि वे किसी से कम नहीं हैं।
– महिलाओं की इस दृढ़ इच्छा-शक्ति को देखते हुए हमने इस वर्ष तीजा, पोरा त्यौहार के अवसर पर यह घोषणा की है कि महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा महिला कोष से लिए गए कालातीत ऋण को माफ कर दिया जाएगा।
– बहुत से समूहों पर ये ऋण लंबे समय से बकाया होने के कारण इन्हें नया ऋण लेने में दिक्कत आ रही थी।
– अब हमारे नए निर्णय से महिला स्व-सहायता समूह लगभग 13 करोड़ रुपए के कालातीत ऋण के बोझ से मुक्त हो जाएंगे।
– पहले राज्य महिला कोष में महिला समूहों को देने वाले ऋण की राशि मात्र 2 करोड़ रुपए होती थी, जिससे अब बढ़ाकर 5 गुना अधिक अर्थात 10 करोड़ रुपए किया गया है।
– महिला स्व-सहायता समूहों को दिए जाने वाले ऋण की सीमा पहले मात्र 1 लाख रुपए थी, जिसे 2 गुना करते हुए 2 लाख रुपए कर दिया गया है।
– इस तरह महिला समूहों को अपना कारोबार फैलाने के लिए अब धन की कोई समस्या नहीं होगी।
– राजनांदगांव जिले में महिला स्व-सहायता समूहों के बनाए उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म ई-कामर्स पर बेचने की व्यवस्था की गई थी, जिसके कारण 22 हजार 480 राखियों का विक्रय ई-कामर्स के माध्यम से हुआ।
– इसी प्रकार गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठानों में बनाए जा रहे वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री भी ई-कामर्स पर बेचने की व्यवस्था की गई है।
– ऐसे प्रयासों से महिला स्व-सहायता समूहों के उत्पादों को नया बाजार मिलेगा।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, जन समस्याओं के निवारण के लिए जिला प्रशासन से एक नवाचार की जानकारी सूरजपुर जिले से भी मिली है। जनसंवाद जिला सूरजपुर की काफी चर्चा है, आइए लेते हैं, इस बारे में एक श्रोता की आवाज।
सुश्री गुरुचंदा ठाकुर, जिला सूरजपुर
– माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रणाम करती हूं। मैं गुरुचंदा ठाकुर, ग्राम डुमरिया, जिला सूरजपुर से बोल रही हूं। जनसंवाद कार्यक्रम के माध्यम से हमें अपनी बात प्रशासन को बताने व समस्याओं के समाधान में काफी मदद मिली है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि कॉल सेंटर में एक बार फोन करने के बाद हमारी जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है और जिला प्रशासन का काम शुरू हो जाता है। पेंशन से लेकर बिजली तक, ऋण पुस्तिका से लेकर राशन तक अनेक समस्याओं का समाधान इस नई व्यवस्था से हुआ है। माननीय मुख्यमंत्री जी, ऐसे कार्यक्रमों के लिए हम आपको तहेदिल से धन्यवाद देते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– गुरुचंदा जी, आपको नमस्कार, सुदूर आदिवासी जिला सूरजपुर से आपने जो सवाल किया, इसके लिए धन्यवाद।
– आपने कॉल सेंटर से संबंधित प्रश्न किया, वह बहुत ही रोचक है।
– मुझे यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि जिला स्तर पर की गई इस पहल से लोगों को बहुत लाभ मिल रहा है। सूरजपुर जिला एक नवगठित जिला है, जो छत्तीसगढ़ का सीमावर्ती जिला होने के साथ ही उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश से भी जुड़ा है।
– सीमावर्ती जिला होने के कारण इसकी विशेष समस्याएं हैं और नवगठित जिला होने के कारण नए-पुराने की व्यवस्था में जो कुछ छूट गया था, वैसी समस्याएं भी हैं।
– आदिवासी अंचल, वन क्षेत्र होने के कारण आवागमन की दिक्कत भी है, जिसके कारण लोगों को सरकारी ऑफिस में पहुंचना एक समस्या है।
– हमने जनसंवाद के माध्यम से ऐसी योजना बनाई है, जिसमें जिला मुख्यालय में जिले के सभी विकासखण्ड मुख्यालयों की समस्याएं सुनी जाती हैं। जिला मुख्यालय में हर ब्लॉक के लिए एक-एक टेबल है, वहां दो-दो समन्वयक पदस्थ हैं। कॉल सेंटर के जरिए फोन रिसीव करते हैं और आवेदन की कापी वॉट्सएप से भी ली जाती है। इसके बाद समस्या के हल होते तक सारा काम जिला प्रशासन का है।
– ज्यादातर मामलों का समाधान 24 घंटे के भीतर हो जाता है। जैसा कि आपने कहा इस कॉल सेंटर के माध्यम से राजस्व संबंधी प्रकरण जैसे सीमांकन, बटांकन, ऋण पुस्तिका, ऑनलाइन रिकार्ड आदि सारे काम हो रहे हैं।
– किसी को पेंशन में समस्या है, राशन कार्ड बनवाना है, नाम जुड़वाना है, सड़क, नाली, पुल-पुलिया, सामुदायिक भवन आदि की मांग है। पीडीएस दुकान, स्वास्थ्य केन्द्र के बारे में कुछ कहना है, जनपद में निर्माण संबंधी कार्यों के प्रस्ताव हों या भुगतान की समस्या। बिजली आपूर्ति को लेकर कोई शिकायत है। ऐसे सभी मामले इस प्रणाली से हल हो रहे हैं।
– मुझे खुशी है कि इस व्यवस्था से संतुष्ट लोग फोन करके जानकारी भी दे रहे हैं। इसीलिए मैंने पूरे प्रदेश में जिला प्रशासन को खुली छूट दी है कि वे मौलिक तरीके से या स्थानीय जरूरतों और विशेषताओं के अनुसार जनसमस्या निवारण की अपनी प्रणाली विकसित करें। ऐसे नवाचारों का खूब स्वागत है।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आपकी सरकार ने पलायन की समस्या को दूर करने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर रोजगार और आर्थिक मदद देने के उपाय किए हैं। जिसके कारण पलायन की दर में बहुत अंकुश लगा है। पहले जैसे बड़े पैमाने पर होने वाले पलायन की खबरें तो आनी ही बंद हो गई हैं। यह काम कैसे हुआ, इसके बहुत से उदाहरण हैं, अपने आप में काफी रोचक और महत्वपूर्ण है। आइए सुनते हैं बीजापुर में किए जा रहे प्रयास की एक बानगी।
देवर किष्टैया, जिला बीजापुर
– मुख्यमंत्री जी, जय जोहार। मैं देवर किष्टैया जिला बीजापुर के चंदूर गांव का निवासी हूं। बीजापुर में वन अंचल होने के कारण खेती और बारहमासी रोजगार के अवसर नहीं होते, इसे देखते हुए यहां पुरानी प्रथा रही है कि लोग पास ही नदी पार तेलंगाना में मिर्ची के खेतों में मिर्ची तोड़ाई का काम करने जाते थे।
– बाहर जाकर रहने के कारण हमारी कमाई का बड़ा हिस्सा वहीं खर्च हो जाता था। बचत कुछ नहीं होती थी। बीमार पड़ने पर परिवार से दूर रहने के कारण कोई मदद भी नहीं मिल पाती थी।
– इसे देखते हुए आपकी सरकार और जिला प्रशासन की पहल पर अब हमारे गांव चंदूर एवं पड़ोसी गांव कोत्तूर और तारलागुड़ा में मिर्ची की खेती की जा रही है। आपकी सरकार और जिला प्रशासन द्वारा बीज, खाद, पंप, नलकूप, ड्रिप सिस्टम, मल्ंिचग, विद्युत एवं फेंसिंग जैसी मूलभूत सुविधाएं निःशुल्क प्रदाय की गई हैं। अब हम स्वयं के खेतों में मिर्ची की खेती करेंगे और पलायन से मुक्त होंगे। इससे हम किसान और गांव वाले लोग बहुत खुश हैं। मुख्यमंत्री जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– धन्यवाद देवर किष्टैया जी ।
– आपने बहुत बढ़िया विषय उठाया है।
– गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए हमने तरह-तरह के उपाय किए हैं। खेती-किसानी और परंपरागत रोजगार के अवसरों को मजबूत करने के साथ ही, हमने ऐसे अनेक उपाय किए हैं, जिससे आप लोगों को ऐसी आर्थिक मदद मिले, जो पहले नहीं मिलती थी।
– राजीव गांधी किसान न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना, वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी, लघु धान्य फसलें-जिन्हें मिलेट्स कहा जाता है, उनके उत्पादन और प्रसंस्करण की व्यवस्था, सिंचाई के लिए निःशुल्क पानी की व्यवस्था, कृषि ऋण माफी, सिंचाई कर माफी, पौनी-पसारी योजना जैसे अनेक कामों से गांवों वालों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।
– लेकिन हम हर समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं। जैसे ही यह बात ध्यान में आई कि बीजापुर जिले के चंदूर, तारलागुड़ा और कोत्तूर गांव के लोग मिर्ची तोड़ने और मिर्ची की खेती का काम बहुत अच्छे से करते हैं और इसमें रोजगार के लिए वे नदी पार करके दूसरे राज्य चले जाते हैं। तो बीजापुर जिला प्रशासन ने यह अध्ययन कराया कि मिर्ची की खेती हम छत्तीसगढ़ में, बस्तर में, बीजापुर में ही क्यों नहीं करा सकते ? क्योंकि मिर्ची की खेती के लिए जो जलवायु चाहिए वह तो यहां भी है।
– इस तरह इन तीन गांवों में 155 एकड़ जमीन के स्वामी 78 किसान परिवारों को तैयार किया गया।
– डीएमएफ एवं मनरेगा के माध्यम से खेतों की फेंसिंग, बीज, खाद, बोर, ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग एवं विद्युत आदि प्रारंभिक व्यवस्था करके नर्सरी तैयार कर ली गई है। इस तरह जो लोग पहले मूंग की खेती करके प्रति एकड़ लगभग 10 हजार रुपए कमाते थे, वे मिर्ची की खेती करके, एक से डेढ़ लाख रुपए तक प्रति एकड़ कमाएंगे। इसके अलावा मिर्ची तोड़ने के काम में स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार, बेहतर रोजी और अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी, जिससे वे अपने गांव, अपने घर और अपने परिवार में रहते हुए काफी राशि बचा सकेंगे।
– मैं बार-बार कहता हूं कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने में जिला प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डीएमएफ एवं मनरेगा से इसमें काफी मदद की जा सकती है। स्थानीय मौसम, मिट्टी और विशेषता को देखते हुए जिस तरह बीजापुर में मिर्ची की खेती का सपना साकार हो रहा है। वैसे ही अन्य जिलों में भी वहां की विशेषता के अनुसार बहुत से काम हो रहे हैं और इसमें बहुत बढ़ोत्तरी करने की संभावना है।
– मैं चाहता हूं कि स्थानीय टैलेंट, स्थानीय युवा और स्थानीय संसाधनों के उपयोग से हम विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल को और ज्यादा विस्तार दें। इससे छत्तीसगढ़ का हर क्षेत्र समृद्ध और खुशहाल होगा।
– धन्यवाद।
एंकर
– श्रोताओं, लोकवाणी का आगामी प्रसारण 14 नवम्बर, 2021 को होगा, जिसमें माननीय मुख्यमंत्री ‘उद्यमिता और जनसशक्तीकरण का छत्तीसगढ़ मॉडल’ विषय पर चर्चा करेंगे। आप इस विषय पर अपने विचार सुझाव और सवाल दिनांक 27, 28 और 29 अक्टूबर, 2021 को दिन में 3 बजे से 4 बजे के बीच फोन करके रिकार्ड करा सकते हैं। फोन नम्बर इस प्रकार हैं। 0771-2430501, 2430502, 2430503।
– और इसी के साथ यह कार्यक्रम सम्पन्न होता है, नमस्कार, जय-जोहार।