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पीयूष गोयल ने भारत-यूरोपीय संघ बिजनेस राउंडटेबल के समापन सत्र को संबोधित किया

गोयल ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ एक संतुलित, महत्वाकांक्षी, व्यापक एवं पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापार समझौते के साथ-साथ एक निवेश संरक्षण समझौते की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं

भारत निवेश एवं विनिर्माण के लिए व्‍यापक अवसर प्रदान करता है

रेल, वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने आजसीआईआई : ईयू- इंडिया बिजनेस राउंडटेबल के समापन सत्र को संबोधित किया। ईयू- इंडिया बिजनेस राउंडटेबल के इस समापन सत्र का आयोजन 16वें भारत- यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के साथ-साथ किया गया। बैठक के दौरान नेताओं ने लोकतंत्र, मौलिक स्वतंत्रता, कानून के शासन और बहुपक्षवाद के लिए एक साझा प्रतिबद्धता के आधार पर भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को कहीं अधिक मजबूत करने की मंशा जताई। उन्होंने तीन प्रमुख विषयगत क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया: i) विदेश नीति एवं सुरक्षा, ii) कोविड-19,जलवायु एवं पर्यावरण और iii) व्यापार, कनेक्टिविटी एवं प्रौद्योगिकी। उन्होंने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने,आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन और बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार लाने जैसे मोर्चे पर सहयोग करने के बारे में चर्चा की। भारत ने कोविड की दूसरी लहर से निपटने में यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों द्वारा दी गई त्वरित सहायता की सराहना की।

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गोयल ने अपने संबोधन में द्विपक्षीय मुक्त व्यापार एवं निवेश समझौतों के लिए वार्ता बहाल करने के लिए भारत और यूरोपीय संघ के नेताओं द्वारा आज की गई घोषणा पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ एक संतुलित, महत्वाकांक्षी, व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापार समझौते के साथ-साथ एक अलग निवेश संरक्षण समझौते की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।साथ में हम इन दोनों समझौतों को जल्‍द पूरा करने का प्रयास करेंगे। उन्‍होंने कहा, ‘ये दोनों समझौते व्यापार, निवेश, रोजगार सृजन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और नवाचारों के द्विपक्षीय प्रवाह को बढ़ाने के साथ-साथ हमारे आर्थिक संबंधों को अगले स्तर तक पहुंचा रहे हैं। ये अलग- अलग समझौते होंगे और इन पर साथ-साथ बातचीत की जाएगी। हम इन समझौतों को जल्‍द अंतिम रूप देने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।’

गोयल ने कहा कि कोविड-19 के बावजूद भारत को अपने इतिहास में अब तक का सर्वाधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ जबकि दुनिया भर में निवेश कम हुआ है। उन्‍होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि भारत में निवेश सुरक्षित हैं। उन्‍होंने कहा, ‘हमारे पास एक बहुत मजबूत न्यायपालिका एवं कानून के शासन के लिए सम्मान, सभी निर्णय लेने में पारदर्शिता,राजनीतिक स्थिरता और आईपीआर संरक्षण हैं। भारत में किसी भी कंपनी के लिए प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण अनिवार्य नहीं है। हम कारोबारी सुगमता में अपनी रैंकिंग को बेहतर करने,प्रतिस्पर्धात्मकता, व्‍यवस्‍थाओं से अफसरशाही को खत्‍म करने एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाने, अधिक एफडीआई के लिए नए क्षेत्रों को खोलने और नियामकीय प्रथाओं को मजबूत करने की दिशा में सक्रियता से काम कर रहे हैं।’

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मंत्री ने कहा कि दुनिया अति-केंद्रित एवं जोखिमपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को पुनर्गठित करने के लिए आगे बढ़ रही है और ऐसे में वह सभी कारोबारी मित्रों को नए सिरे से आश्वस्त करना चाहते हैं कि वे निवेश एवं विनिर्माण के लिए व्‍यापक अवसर उपलब्‍ध कराने के लिए भारत पर भरोसा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे श्रमबल कौशल और प्रतिभा ने दुनिया भर के कारोबार में योगदान दिया है। उन्‍होंने कहा, ‘इसलिए भारत यूरोपीय नवाचार से लेकर उत्पादों को दुनिया में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एक स्‍वाभाविक विनिर्माण केंद्र बन सकता है। 1 अरब से अधिक लोगों वाले इस विशाल भारतीय बाजार के साथ लोग जीवन की बेहतर गुणवत्ता हासिल करना चाहते हैं। साथ ही वे दुनिया में यूरोपीय वस्तुओं के विस्तार के लिए बड़े पैमाने की किफायत का उपयोग कर रहे हैं जो दोनोंपक्षों के लिए फायदेमंद साझेदारी है।’

आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा के बारे में श्री गोयल ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि हम संरक्षणवादी हैं और दुनिया के लिए हमारे दरवाजे बंद कर रहे हैं। इसके विपरीत,भारत अपने दरवाजे को व्यापक रूप से खोलना चाहता है। साथ ही हम भारत में विश्‍वस्‍तरीय तकनीकों, अत्‍याधुनिक उत्‍पादों और सेवाओं को लाने और विनिर्माण, सेवा एवं बुनियादी ढांचे में निवेश करने के लिए दुनिया भर के व्‍यापारियों का भारत में स्‍वागत करना चाहते हैं। उन्होंने उम्‍मीद जताई कि हमारा ट्रैक रिकॉर्ड यूरोपीय मित्रों को विश्वास दिलाएगा कि आने वाले वर्षों में भारत उनका स्वाभाविक और सबसे विश्वसनीय सहयोगी होगा। श्री गोयल ने कहा कि यूरोपीय कारोबारी अपने नवोन्‍मेषी  कार्यों और वैज्ञानिक खोज के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि यूरोप में उत्पादन लागत अधिक होने और भारत में विनिर्माण लागत वाजिब होने के कारण यूरोपीय कारोबारी भारत में उत्पादन करते हुए प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर सकते हैं।

मंत्री ने कहा कि फिलहाल हम अपने टीके के उत्पादन में तेजी ला रहे हैं ताकि टीकाकरण कवरेज में तेजी से विस्तार किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस संकट के दौरान यूरोपीय संघ द्वारा की गई मदद काफी सराहनीय है।

गोयल ने इस अवसर का फायदा उठाने और हमारे व्यापार संबंधों, आर्थिक संबंधों, लोगों से लोगों के बीच संबंधों एवं सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती देने के संयुक्‍त प्रयास में सक्रियता से भाग लेने के लिए यूरोपीय संघ और भारत के कारोबारी समुदायों को आमंत्रित किया।

 

Ashish Sinha

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