
“पंथ देश से ऊपर हुआ तो खतरे में पड़ेगी आज़ादी” – खड़गे ने याद दिलाए बाबासाहेब के शब्द
AICC अधिवेशन 2025 में मल्लिकार्जुन खड़गे ने बाबासाहेब अंबेडकर के विचार साझा करते हुए राजनीतिक दलों को चेताया— "पंथ को देश से ऊपर रखने से खत्म हो सकती है आज़ादी।"
“पंथ देश से ऊपर हुआ तो खतरे में पड़ेगी आज़ादी” – खड़गे ने याद दिलाए बाबासाहेब के शब्द
नई दिल्ली।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश की राजनीति में बढ़ती साम्प्रदायिकता को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के ऐतिहासिक शब्दों को उद्धृत करते हुए चेताया कि अगर राजनीतिक दल अपने पंथ को देश से ऊपर रखेंगे, तो भारत की आज़ादी एक बार फिर संकट में पड़ सकती है।
खड़गे ने यह टिप्पणी #AICCSession2025 और #NyayPath के तहत आयोजित कार्यक्रम के दौरान की, जिसे उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर भी साझा किया।
उन्होंने लिखा:
“यदि राजनीतिक दल अपने पंथ को देश से ऊपर रखेंगे तो हमारी स्वतंत्रता एक बार फिर खतरे में पड़ जायेगी और संभवतः हमेशा के लिए खत्म हो जाये। हम सभी को इस संभाव्य घटना का दृढ़ निश्चय के साथ प्रतिकार करना चाहिए। हमें अपनी आजादी की खून के आखिरी कतरे के साथ रक्षा करने का संकल्प करना चाहिए” – बाबासाहेब अंबेडकर
इस वक्तव्य के ज़रिए कांग्रेस अध्यक्ष ने स्पष्ट संकेत दिया कि मौजूदा समय में जिस प्रकार धार्मिक ध्रुवीकरण और नफरत की राजनीति को बढ़ावा मिल रहा है, वह देश की लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष नींव के लिए घातक है।
बाबासाहेब की चेतावनी आज भी उतनी ही प्रासंगिक
डॉ. अंबेडकर द्वारा 75 वर्ष पहले दी गई यह चेतावनी भारतीय गणराज्य के भविष्य की चिंता को दर्शाती है। उनका कहना था कि यदि धर्म और राजनीति का घालमेल होने लगे, तो देश की एकता और संविधान की आत्मा खतरे में पड़ जाएगी।
AICC अधिवेशन और ‘न्याय पथ’ अभियान का संदर्भ
‘न्याय पथ’ कांग्रेस का नया जनसंपर्क अभियान है, जिसमें पार्टी सामाजिक न्याय, समानता, संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण की बात कर रही है। AICC अधिवेशन 2025 इसी कड़ी का हिस्सा है, जहां देशभर के कांग्रेस नेताओं ने सामाजिक सौहार्द और संवैधानिक मूल्यों पर चर्चा की।
राजनीतिक संदेश स्पष्ट
खड़गे का यह वक्तव्य प्रत्यक्ष रूप से भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी दलों की नीतियों पर निशाना है, जिन्हें कांग्रेस सांप्रदायिक और विभाजनकारी करार देती रही है। उनका कहना है कि संविधान और देश की मूल आत्मा को बचाए रखने के लिए सभी भारतीयों को मिलकर खड़ा होना चाहिए।
 
				 
							
													 
					
 
							
													 
							
													 
							
													
 
		 
							
													 
							
													 
							
													 
							
													 
							
													 
							
													









