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आस्था : 572 साल पुराने इस मंदिर से ऊंचा कोई नहीं बना सकता अपना मकान, माता को देना होता है पहला निमंत्रण …

देश का सबसे पुराना चौथ माता मंदिर लगभग 572 साल पुराना है. ये मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा नाम के शहर में है. चौथ माता मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की स्थापना 1451 में वहां के शासक भीम सिंह ने की थी. इस क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य से पहले चौथ माता को निमंत्रण देते हैं. प्रगाढ़ आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है.

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10 लाख भक्त माता के दर्शन को आते

संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ, संकटा चौथ, माघी चौथ, तिल चौथ और तिलकुट चतुर्थी के नाम प्रख्यात चतुर्थी अभी 10 जनवरी को गई. इस दिन लक्खी मेले में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. मेले में 7 दिन के दौरान करीब 10 लाख भक्त माता के दर्शनों के लिए आते हैं. साथ ही दूरदराज से सैकड़ों दुकानदार भी विभिन्न प्रकार का व्यापार करने के लिए आते हैं.

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700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है

अरावली पर्वत पर यह मंदिर सवाई माधोपुर शहर से 35 किमी दूर, सुंदर-हरे वातावरण और घास के मैदानों के बीच स्थित है. सफेद संगमरमर के पत्थरों से इस स्मारक की संरचना तैयार की गई थी. दीवारों और छत पर शिलालेख के साथ यह वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली के लक्षणों को प्रकट करता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है.

शहनाई की गूंज से पहले माता को निमंत्रण

मलमास के चलते एक माह से मांगलिक कार्य रुके थे. 15 जनवरी से मांगलिक कार्य शुरू हो गए है. शादियों की धूम से पहले निमंत्रण पत्र माता को दिया जाता है. इसके बाद ही शादी की तैयारी शुरू होती है.

मंदिर से जुड़ी परंपराएं

यहां के लोग हर शुभ काम से पहले चौथ माता को निमंत्रण देते हैं. गहरी आस्था की वजह से बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है. माता के नाम पर कोटा में चौथ माता बाजार भी है. चौथ माता मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारे में गांव वालों का कहना है कि चौथ माता को कुंवारी कन्या का रूप माना जाता है. साथ ही यहां कोई भी इंसान चौथ माता मंदिर के शिखर से ज्यादा ऊंचा मकान नहीं बनवाता है.

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