
लामपहाड़ में शिक्षा की नई सुबह: पहाड़ी कोरवा बच्चों के लिए खुला उजाला, वर्षों पुरानी समस्या का समाधान
कोरबा जिले का लामपहाड़ गांव, जो वर्षों तक शिक्षकविहीन रहा, अब नियमित शिक्षकों की नियुक्ति से शिक्षा की रोशनी से जगमगा रहा है। पहाड़ी कोरवा बच्चों के लिए यह नई भोर है।
लामपहाड़ में शिक्षा की नई सुबह: पहाड़ी कोरवा बच्चों के लिए खुला उजाला, वर्षों पुरानी समस्या का समाधान
कोरबा जिले का लामपहाड़ गांव, जो वर्षों तक शिक्षकविहीन रहा, अब नियमित शिक्षकों की नियुक्ति से शिक्षा की रोशनी से जगमगा रहा है। पहाड़ी कोरवा बच्चों के लिए यह नई भोर है।
रायपुर, 23 अगस्त 2025। कभी शिक्षा से अंधकार में डूबा कोरबा जिले का आश्रित ग्राम लामपहाड़ अब ज्ञान की रोशनी से चमक रहा है। विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा के इस बहुल क्षेत्र में वर्षों तक शिक्षकों की कमी ने बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बना दिया था। लेकिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर शुरू हुई युक्तियुक्तकरण पहल ने इस समस्या को जड़ से खत्म कर दिया।
शिक्षकविहीन स्कूल से नियमित कक्षाओं तक
लामपहाड़, ग्राम पंचायत बड़गांव का आश्रित ग्राम है। पहले यहां शिक्षिका के पदोन्नति और स्थानांतरण के बाद वर्षों तक शिक्षक नहीं थे, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित होती थी। अब प्राथमिक शाला में दो और माध्यमिक शाला में एक शिक्षक की नियमित नियुक्ति से पढ़ाई सुचारू हो गई है।
प्राथमिक शाला में 33 छात्र
माध्यमिक शाला में 19 छात्र
जिनमें अधिकांश पहाड़ी कोरवा समुदाय से हैं।
कौन पढ़ा रहा है बच्चों को?
प्राथमिक शाला में कलेश्वर राम कटेला, और माध्यमिक शाला में श्री दीपक यादव सहित अन्य शिक्षक पढ़ाई करवा रहे हैं। अब नियमित उपस्थिति, समय पर कक्षाएं और मध्यान्ह भोजन की सुविधा बच्चों को मिल रही है।
बच्चों और अभिभावकों की खुशी
विद्यार्थिनी सुखशिला, फूलमती, संगीता, देवशीला और फुलमनिया ने बताया कि पहले पढ़ाई बाधित थी, लेकिन अब उन्हें रोजाना कक्षाएं मिल रही हैं। अभिभावक भी खुश हैं कि शिक्षक समय पर आते हैं और बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देते हैं।
शिक्षा से विकास की ओर कदम
लामपहाड़ में शिक्षा की यह नई भोर न केवल बच्चों का भविष्य संवार रही है, बल्कि क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में मील का पत्थर साबित हो रही है।