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आज भी कमार जनजाति आदिवासी ग्रामीण लोग मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से महरूम

आज भी कमार जनजाति आदिवासी ग्रामीण लोग मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से महरूम

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विशेष पिछड़ी कमार आदिवासी जनजाति के ग्रामीण आज भी मछली का शिकार कर जीवन यापन करते हैं

केशरी साहू/गरियाबंद। राज्य व केंद्र सरकार द्वारा विशेष पिछडी कमार जनजाति आदिवासियों के विकास और उत्थान के लिए अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित किया जा रहा है लेकिन क्या वास्तव में इन योजनाओं का लाभ इन कमार जनजाति के लोगों को मिल पा रहा है या नहीं इसे धरातल में देखने वाला कोई नहीं है। आज भी कमार जनजाति आदिवासी ग्रामीण लोग मूलभूत बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं और तो और बहुत सीमित जरूरत की चीजों से अपना जीविका उपार्जन करते हैं। तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 38 किलोमीटर दूर गरियाबंद जिले के एकमात्र सिंचाई परियोजना सिकासार जलाशय के डुबान क्षेत्र में कुछ कमार परिवार के लोग पिछले कई वर्षों से अस्थाई झोपड़ी का निर्माण कर यह निवास करते हुए अपना जीविका उपार्जन कर रहे हैं और इनके जीविका उपार्जन का मुख्य साधन मछलियों का शिकार कर और अपने पारंपरिक बास बर्तन का निर्माण कर उससे मिलने वाली आमदनी से जिंदगी का गुजर बसर करने मजबूर हो रहे हैैंं।

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सिकासार जलाशय के डुबान क्षेत्र में हमेशा वन्य प्राणी हिंसक जंगली जानवरों का डर भी बना रहता है। इसी तरह सोढूर जलाशय डुबान क्षेत्र देवदहारा जलाशय के ऊपर हाथ दहरा क्षेत्र में भी कई कमार परिवार पिछले वर्षों से अस्थाई झोपड़ी बनाकर मछली का शिकार कर अपने जीविका उपार्जन करते आ रहे हैं। इन कमार जनजाति के लोगों को शासन प्रशासन के द्वार संचालित योजनाओं का जो लाभ मिलना चाहिए वह अब तक नहीं मिला है ।

Keshri shahu

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