प्रभा आनंद सिंह यादव /अंबिकापुर/कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या में धीरे-धीरे कमी आ रही है परन्तु कोरोना संक्रमित मरीजों के मौत का आकड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। जिला सरगुजा में कोविड से हुये मौत का आंकडा बिगत 2 महीनों में 200 से ज्यादा का हो चुका है । इन मौतों के कारणों का विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि मरीजों को अस्पताल में भर्ती के समय ऑक्सीजन की मात्रा 80 प्रतिशत से कम रही थी.. और मृत्यु भर्ती के 24 घंटे से लेकर 20 दिन के बीच में हुई । इसमें से बहुतों की जिन्दगी बताई जा सकती थी यदि मरीज या मरीज के परिजनों को कोविड के रेड फ्लैग साईन की जानकारी होती और समय रहते इलाज प्रारंभ हो जाता ।
कोविड संक्रमण में हो रही मृत्यु का प्रमुख कारण कोविड संक्रमण से फेफडे का खराब होना होता है । जिससे शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन की मात्रा नहीं मिलती व खुन में थक्का जमने लगता है इस स्थिति में मरीज को सभी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधायें देने के बाद भी बचाया नहीं जा सकता ।
कोरोना के संक्रमण का रेड फ्लैग साईन अर्थात खतरे की घंटी को पहचानना जरूरी है। यह तर की घंटी ऑक्सीजन मापक यंत्र अर्थात ऑक्सीमीटर से ही पता चलता है। ऑक्सीमीटर में यदि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा 95 या 95 प्रतिशत से कम है तो ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लेना चाहिये । ऐसे मरीज यदि होम आईसोलेशन में है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। इस समय ध्यान नहीं दिया गया तो मरीज के लिये कोराना संक्रमण प्राणघातक साबित होता है। कोरोना संक्रमित मरीज में स्वीट हाईपोक्सिया होता है सामान्यत शरीर में 2-5 प्रतिशत ऑक्सीजन की कमी बेचनी घबराहट सांस लेने में तकलीफ पैदा करती है । जबकी कोविड संक्रमित व्यक्ति के शरीर में 10- 20 प्रतिशत तक की ऑक्सीजन की कमी शरीर में कमजोरी के अलावा कोई अन्य लक्षण उत्पन्न नहीं करती जिसे स्वीट हाईपोक्सिया कहा जाता है। ऑक्सीजन की कमी से शरीर के अन्य अंग शिथिल होते चले जाते हैं और जब 20 प्रतिशत से भी ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है तो बेचैनी और घबराहट शुरू होती है फिर मरीज को बचाना मुश्किल होता है ।
*क्या करें यदि ऑक्सीजन की मात्रा 95- 90 प्रतिशत की हो* ।
1. पेट के बल आधे घंटे तक लेटे इससे फेफडे में ऑक्सीजन का प्रवाह बड़ जाता है। इस दिन में 3-4 बार करे।
2. चिकित्सकीय सलाह लें । चिकित्सकीय सलाह पर स्टेरायड एवं खून पतला करने वाली दवाई चालू कर फेफडे एवं अन्य अंगों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है ।
ऑक्सीमीटर एक प्रमाणित व प्रभावकारी यंत्र है जिससे कोविड के संक्रमण से उत्पन्न शरीर में ऑक्सीजन की कमी को समय रहते पहचान की जा सकती है व रेड फ्लैग साईन को पहचान कर सजग रहते हुये मरीजों को शत प्रतिशत बचाया जा सकता है ।