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जंगलों को आग से बचाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया

जंगलों को आग से बचाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया

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वनों को आग से बचाने वन विभाग की पहली प्राथमिकता रहेगी – डीएफओ लक्ष्मण सिंह

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गरियाबंद/ वनमंडलाधिकारी लक्ष्मण सिंह ने आज वन विभाग के ऑक्शन हाल में वन विभाग के अधिकारी – कर्मचारियों और वन समितियों के सदस्यों को जंगलों को आग से बचाने के संबंध में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। वनमण्डलाधिकारी सिंह ने जंगलों को आग से बचाने के लिए सभी से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि गांव-गांव जाकर आम जनता से जंगलों को अग्नि से सुरक्षा के लिए अपील करें। कार्यशाला में बताया गया कि अग्नि सीजन 15 फरवरी से शुरू होकर 15 जून 2025 तक चलेगा। इस दौरान वनों को आग से बचाना विभाग की प्रथम प्राथमिकता होगी। इस अवसर पर वन विभाग के एसडीओ मनोज चंद्राकर, लघु वन उपासक के प्रबंधक अतुल श्रीवास्तव गरियाबंद तथा वन मंडल के समस्त परिक्षेत्र अधिकारी – सह परिक्षेत्र अधिकारी एवं समिति के सदस्य उपस्थित थे।
कार्यशाला में बताया गया कि वन अग्नि से प्राकृतिक पुनरुत्पादन के लाखों पौधे नष्ट हो जाते हैं, और वृक्षों की काष्ठ की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। इसलिए, वनों का अग्नि से बचाव अत्यंत आवश्यक है। विगत वर्ष के अच्छे प्रयासों के फलस्वरूप अग्नि प्रकरणों पर नियंत्रण हेतु विशेष प्रयास किए गए थे, और इस वर्ष भी इसी प्रकार के प्रयास किये गए है। अग्नि सुरक्षा के लिए विभाग द्वारा पर्याप्त बजट आवंटित किया जा चुका है, जिसका समुचित उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। 15 फरवरी से पहले अग्नि रेखाओं की कटाई, सफाई, और जलाई सुनिश्चित की जानी है। अग्नि रक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए मौके पर उपस्थित रहें।
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से फायर अलर्ट रजिस्टर कराए गए मोबाइल नंबरों पर एसएमएस के माध्यम से नियर रियल टाइम फायर अलर्ट सीधे प्राप्त होते हैं, जिसका उपयोग अग्नि नियंत्रण में प्रभावी रूप से किया जा सकता है। वेबसाइट पर अधिकारियों/कर्मचारियों के मोबाइल नंबर रजिस्टर कराने की प्रक्रिया अत्यंत सरल है, और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी संबंधित व्यक्तियों के मोबाइल नंबर पंजीकृत हों। अग्नि दुर्घटनाओं पर प्रभावशाली नियंत्रण हेतु सभी अधिकारी – कर्मचारी, वन सुरक्षा समितियां, वन सुरक्षा श्रमिक, और नियुक्त अग्नि प्रहरी सतत् रूप से सक्रिय रहेंगे। वन समितियों की मासिक बैठकों में अग्नि सुरक्षा के संबंध में विस्तृत चर्चा की जानी चाहिए, और वन समितियों को वनों की अग्नि सुरक्षा में सक्रिय जवाबदारी दी जानी चाहिए। अग्नि काल के पूर्व समिति स्तर पर और आमजनों के बीच वनों की अग्नि से सुरक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए, क्योंकि लोगों की जागरूकता अग्नि सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यदि किसी क्षेत्र में आग जानबूझकर या शिकार के उद्देश्य से लगाई गई है, तो अपराधी का पता लगाकर सम्यक विधिक कार्यवाही की जानी चाहिए। अवैध कटाई किए गए क्षेत्रों में यदि अग्नि घटना घटित होती है, तो संभव है कि अवैध कटाई के ठूंठों को छिपाने के लिए आग लगाई गई हो; ऐसे प्रकरणों पर विशेष निगरानी रखी जानी चाहिए। तेंदूपत्ता संग्रहण सीजन 2024 में शाखाकर्तन (प्रूनिंग) और तेंदूपत्ता संग्रहण के दौरान वन क्षेत्रों को अग्नि से सुरक्षित रखा जाना चाहिए। फड़ो के वन क्षेत्रों में अग्नि घटनाएं होने पर क्रेता करारनामा की शर्तों के तहत भी कार्यवाही की जानी चाहिए।अग्नि सीजन के दौरान वनमंडल, रेंज, और बीट स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन, कला जत्था, रामायण मंडली के माध्यम से साप्ताहिक बाजारों में प्रचार-प्रसार, और क्षेत्र के स्कूलों, महाविद्यालयों में एनएसएस और एनसीसी के विद्यार्थियों को वन अग्नि के संबंध में जागरूक करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मुख्यालय में पदस्थ सभी अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक/मुख्य वन संरक्षक अपने प्रभार के जिलों में प्रवास के दौरान अग्नि घटनाओं की समीक्षा करेंगे और उचित निर्देश देंगे। उम्मीद है कि इस वर्ष भी अग्नि प्रकरणों की संख्या और अग्नि से प्रभावित रकबे को न्यूनतम रखने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा।

Ashish Sinha

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