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HIGHCOURT DECISION: धोखेबाजी का इल्जाम गलत : कलकत्ता हाईकोर्ट ने पलटा फैसला, कहा -शादीशुदा होने की जानकारी देकर लिव-इन में रहना धोखा नहीं

लीव इन में रह रहे जोड़े क्या सच में अब सुरक्षित नहीं ,हाल ही में हुए श्रद्धा हत्याकांड(shradha murder) ने लोगों के बीच डर का माहोल बन गया है इसी बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक मामले पर  कहा है कि अगर कोई व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप में आने से पहले अपनी शादी और बच्चों के बारे में अपने पार्टनर को बता चुका है, तो इसे धोखेबाजी(cheating) नहीं कहा जाएगा

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बता दे मामला 2015 का है। महिला ने कोलकाता के प्रगति मैदान पुलिस स्टेशन में एक शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उसने बताया था कि फरवरी 2014 में महिला एक होटल की जॉब का इंटरव्यू(interview) देने गई थी, जहां उसकी मुलाकात फ्रंट डेस्क मैनेजर से हुई। मैनेजर ने उसके साथ फ्लर्ट किया और उसका नंबर मांगा, जो उसने दे दिया।उनकी पहली मुलाकात में आरोपी ने महिला को अपनी टूटी हुई शादी के बारे में बताया था। व्यक्ति ने उससे लिव-इन में रहने के लिए पूछा, जिसे महिला ने मान लिया। महिला के माता-पिता को भी इस रिश्ते के बारे में पता था और वे चाहते थे कि उनकी बेटी जल्द शादी करके सेटल हो जाए।एक साल बाद व्यक्ति अपनी पत्नी से मिलने के लिए मुंबई गया, वहां से कोलकाता लौटने पर उसने अपनी पार्टनर काे बताया कि उसने
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप (relationship)में आने से पहले अपनी शादी और बच्चों के बारे में अपने पार्टनर को बता चुका है, तो इसे धोखेबाजी नहीं कहा जाएगा।

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लिव-इन पार्टनर को धोखा देने के आरोप में 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया

इस फैसले के साथ कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें कोर्ट ने एक होटल एग्जीक्यूटिव पर अपनी लिव-इन पार्टनर को धोखा देने के आरोप में 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इस शख्स ने अपनी 11 महीने की लिव-इन पार्टनर के साथ शादी(marriage) से इनकार करते हुए ब्रेकअप कर लिया था।

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