
रामनवमी पर तुलसी साहित्य समिति की काव्यगोष्ठी में गूंजे रामनाम और भक्ति की कविताएं
अंबिकापुर में रामनवमी के अवसर पर तुलसी साहित्य समिति की ओर से काव्यगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें स्थानीय साहित्यकारों व कवियों ने प्रभु श्रीराम के जीवन आदर्श, भक्ति और मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप को कविता, दोहा, ग़ज़ल और गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया।
रामनवमी पर तुलसी साहित्य समिति की काव्यगोष्ठी में गूंजे रामनाम और भक्ति की कविताएं
‘सबके मन में राम हैं, रोम-रोम में राम, कण-कण में रमते वही, भज ले उनका नाम’
रामनवमी पर तुलसी साहित्य समिति की सरस काव्यगोष्ठी
अंबिकापुर। रामनवमी के पावन पर्व पर तुलसी साहित्य समिति द्वारा केशरवानी भवन में सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रह्माशंकर सिंह ने की और मुख्य अतिथि गीता मर्मज्ञ पं. रामनारायण शर्मा रहे। विशिष्ट अतिथियों में शायर-ए-शहर यादव विकास, वरिष्ठ व्याख्याता सच्चिदानंद पांडेय और सामाजिक कार्यकर्ता पं. अरविंद मिश्र शामिल रहे।
गोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती की पारंपरिक पूजा व सरस्वती वंदना के साथ हुआ। महाकवि तुलसीदास कृत रामचरितमानस और एसपी जायसवाल रचित सरगुजिहा रामायण का भावपूर्ण पाठ हुआ।
मुख्य वक्ताओं की बातें:
ब्रह्माशंकर सिंह ने राम को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताते हुए कहा कि उनके जीवन से करुणा, मर्यादा और धर्म पालन की प्रेरणा मिलती है।
पं. रामनारायण शर्मा ने रामनवमी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि राम के आदर्शों को अपनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धा है।
पं. अरविंद मिश्र ने राम के जन्म, युधिष्ठिर के राज्याभिषेक और सृष्टि की रचना जैसे ऐतिहासिक प्रसंगों को नवमी तिथि से जोड़ा।
आचार्य दिग्विजय सिंह तोमर ने राम के चरित्र में विद्यमान कृपा, तेज और मर्यादा पर प्रकाश डाला।
काव्य प्रस्तुतियां:
गोष्ठी में अर्चना पाठक, अंजू प्रजापति, सीमा तिवारी, स्वाति टोप्पो, देवेंद्रनाथ दुबे, श्यामबिहारी पांडेय, मुकुंदलाल साहू, रामलाल विश्वकर्मा, अजय सागर व अन्य कवियों ने भक्ति, सामाजिक सरोकार और सांस्कृतिक चेतना से भरपूर काव्य पाठ किया।
शायर यादव विकास की ग़ज़ल ने श्रोताओं को गहराई तक छुआ।
कुछ चुनिंदा पंक्तियां:
“सबके मन में राम हैं, रोम-रोम में राम…” – मुकुंदलाल साहू
“राम-सीता का गर नाम गाया नहीं तो, बता दे किया तूने क्या उम्र भर!” – कृष्णकांत पाठक
“दाना चुगकर घर-आंगन को, करती थी गुलज़ार चिरइया…” – श्यामबिहारी पांडेय
“हमको ही क़लमबंद किया, क्या ग़लत किया!” – यादव विकास
कार्यक्रम का संचालन अजय सागर व अर्चना पाठक ने संयुक्त रूप से किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन माधुरी जायसवाल ने प्रस्तुत किया।