छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़राज्यरायपुर

रायपुर : नवा छत्तीसगढ़ के 36 माह: रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में संवर रहा महोरा गौठान

रायपुर : नवा छत्तीसगढ़ के 36 माह: रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में संवर रहा महोरा गौठान

13 प्रकार की आजीविका गतिविधियों से आठ महिला समूहों को मिला रोजगार
गौठान बना 121 परिवारों की खुशियों का साधन

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e

रायपुर, 08 दिसम्बर 2021ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए गांवों में बने गौठान अब परिवारों की आजीविका का मुख्य साधन बनने लगे हैं। अहिरन नदी के किनारे, लंबे-लंबे साल के खूबसूरत वृक्षों के बीच कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के महोरा गांव का गौठान रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में संवर रहा है। इस गौठान में आठ महिला स्वसहायता समूहों की सदस्य 13 विभिन्न प्रकार की जीविकोपार्जन गतिविधियों में लगीं हैं और अच्छा लाभ कमा रहीं हैं। भांवर ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम महोरा में स्थापित आदर्श गौठान की ख्याति सुनकर स्वयं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भी इस गौठान में आ चुके हैं और समूह की महिलाओं की हौसला अफजाई कर चुके हैं। महोरा गौठान में वर्मी खाद उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, अण्डा उत्पादन, बकरी पालन, अगरबत्ती निर्माण, दोना-पत्तल निर्माण, मिनी राईस मिल, मछली पालन, मशरूम उत्पादन से लेकर गोबर के दीया, गमला, मूर्तियां, गोबर काष्ठ बनाने जैसी 13 विभिन्न आजीविका गतिविधियां की जा रहीं हैं। यह गौठान आसपास के 121 परिवारों की आजीविका का मुख्य केन्द्र बन गया है। इस वर्ष गौठान की गतिविधियों से लगभग साढ़े सात लाख रूपए की आमदनी हुई है।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)


गौठान के हरेकृष्णा स्वसहायता समूह का हसदेव अमृत ब्राण्ड जैविक खाद गुणवत्ता के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे पहले सीजी सर्ट सोसायटी सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाला खाद है। इस खाद का उपयोग वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण के लिए और उद्यानिकी विभाग द्वारा फसलों के लिए किया जा रहा है। समूह की कांति देवी कॅवर कहती है कि यह तो सोने पर सुहागा है कि हमें बिना लागत के जैविक खाद से दस रूपये प्रति किलोग्राम की दर से कमाई हो जाती है। खपत के लिये गॉव मंे ही जरूरत होती है, साथ ही शासकीय विभागो द्वारा मॉग जारी की जाती है। इस तरह बनी हुई खाद से कचरा प्रबंधन भी होता है और कम समय मे अच्छी कमाई भी हो जाती है। हरे कृष्णा स्व-सहायता समूह ने नीम करंज आदि के तेल, अवशेष और अर्क से निमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नेयास्त्र, फिनाइल, गौमूत्र से निर्मित जैविक कीटनाशक जैसे जैविक उत्पाद भी बनाए हैं। जिसका उपयोग खेती किसानी से लेकर घरों तक में किया जा रहा है। पिछले तीन महीनों में 878 क्ंिवटल खाद बेचकर एक लाख 75 हजार से अधिक रूपए गौठान की महिलाओं ने कमाए हैं। गौठान में कार्यरत चरवाहे ने गोधन न्याय योजना के तहत लगभग 50 क्विंटल गोबर बेचकर मिली राशि से बकरी पालन का काम शुरू किया है।

महोरा गौठान में लगभग साढ़े 300 मुर्गियों वाला एक पोल्ट्री फार्म भी विकसित किया गया है। महिलाओं ने इस पोल्ट्री फार्म से अभी तक साढ़े तीन हजार से अधिक अण्डे बेच दिए हैं। वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए जरूरी स्वस्थ केंचुओं का उत्पादन भी महोरा के गौठान में हो रहा है। केंचुआ उत्पादन कर समूह की महिलाओं ने लगभग 25 हजार रूपए कमाए हैं।

 गोधन न्याय योजना के तहत गौठान में गोबर खरीदी की जा रही है। इस खरीदे गए गोबर से गमला, दीया, गोबर काष्ठ आदि बनाने की मशीनें गौठान में ही लगाई गईं हैं। गोबर उत्पादों से महिला समूहों ने लगभग 10 हजार रूपए, दोना-पत्तल और अगरबत्ती बनाकर लगभग 10 हजार रूपए की आय प्राप्त की है। महोरा गौठान में कोसा धागाकरण के लिए भी रेलिंग मशीनें स्थापित की गई है। धागाकरण में लगे पूजा स्वसहायता समूह की महिलाओं ने इससे लगभग 10 हजार रूपए की अतिरिक्त आय अर्जित की है। वर्मी कम्पोस्ट की पैकेजिंग के लिए भी जरूरी व्यवस्थाएं गौठान में ही उपलब्ध हैं। प्लास्टिक के बोरों पर ब्राण्ड नेम की प्रिंटिंग का काम भी महोरा गौठान में ही होता है। यहां से पूरे जिले में इन प्रिंटेड बोरों को मांग अनुसार भेजा जाता है। बोरा प्रिंटिंग से ही लगभग 20 हजार रूपए की आमदनी समूह को हो जाती है।

महोरा में सब्जी उगाने के लिए गौठान से लगी भूमि पर ही बाड़ियां बनाई गई हैं। दो स्वसहायता समूहों ने पिछले सीजन में सब्जी उत्पादन से ही लगभग 74 हजार रूपए कमाए हैं। इसके साथ ही मशरूम उत्पादन, मछली पालन और मिनी राईस मिल से भी महिला समूह अच्छी आमदनी ले रहे हैं। महोरा गौठान वास्तव में एक छोटी ग्रामीण औद्योगिक इकाई के रूप में तेजी से आसपास के इलाकों में अपनी पहचान बना रहा है। अन्य जिलों से भी गौठान समितियों के सदस्य कोरबा के इस गौठान का अवलोकन करने, इसकी गतिविधियों को सीखने आते हैं। स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध संसाधनो से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का छत्तीसगढ़ सरकार का मॉडल महोरा गौठान में फलीभूत होता दिखाई दे रहा है।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!