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कलम की सुगंध महफ़िल ए ग़ज़ल मंच का आनलाइन मुशायरा सम्पन्न

प्रभा सिंह यादव/ब्यूरो चीफ/सरगुजा//  कलम की सुगंध महफ़िल ए ग़ज़ल मंच पर आनलाइन मुशायरा का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में संस्थापक संजय कौशिक विज्ञात जी, पटल संचालक धर्मराज देशराज की उपस्थिति में संपन्न हुआ । कार्यक्रम की शुरुआत अर्चना पाठक निरन्तर ने सरस्वती वंदना से की ।
भारत के अनेक जगहों से रचनाकारों ने प्रतिभागिता की सभी रचनाकारों ने एक दूसरे की रचनाओं को सुना और जी भर के प्रशंसा कर एक दूसरे की हौसला अफजाई की ।

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मुशायरे में संस्थापक संजय कौशिक विज्ञात ने सुन्दर और सार्थक ग़ज़ल पढ़ी -‘

दग्ध होती देख धरणी नभ पिघलना चाहिए।
बादलों के पार से अम्बर बरसना चाहिए।।

वरिष्ठ साहित्यकारा आशा शैली ने बेटियों के बारे में कुछ अपनी भावनाएँ यूँ प्रकट की ।

लोग मारे हुए बदनसीबी के वो
जिनकी किस्मत में होती नहीं बेटियाँ

–डॉ. कविता विकास की शानदार गज़ल देखिए

साथ हो तुम तो ग़ज़ल गीत के माने होंगे
मौसमे ज़ीस्त हमेशा ही सुहाने होंगे

डाॅ. आलोक कुमार यादव जी ने कहा-

आग दिल में लगाकर किधर चल दिए
आँख मुझसे मिलाकर किधर चल दिए

डॉ०अनुराग सिंह नगपुरे गोंदिया, महाराष्ट्र से कुछ यूँ धरा के बारे में अपनी बात रखी —

सुनों हे सभ्य प्राणियों धरा की ये पुकार है।
युगों-युगों से सह रही ये मौन अत्याचार है।।

सतेन्द्र मोहन शर्मा जी की ग़ज़ल देखिए–

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सावन आ गया है दिल मेरा कितना अकेला है,
परिंदों की चहक है फिर भी ये ख़ामोश बैठा है !

मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ गज़लकार धर्मराज देशराज की ग़ज़ल की बानगी देखिए–

नग़मे ग़मो के जब कभी गाती हैं हिचकियाँ
वादा वफ़ा का याद दिलाती हैं हिचकियाँ।

कमल कटारिया करण अपने ही लहजे में कुछ ऐसी बयानी की—

तेरे होठों की गर्माहट से बोसे टूट जाते हैं।
बहुत बेबाक लफ़्ज़ों से भी रिश्ते टूट जाते हैं।

विनोद कुमार हँसोड़ा जी ने पर्यावरण के लिए कहा–

आओ मिलकर स्वच्छ बना लें,
धरती का कण -कण ।

अनिता मंदिलवार सपना ने अपनी ग़ज़ल की माध्यम से खुश रहने का संदेश दिया –‘

बिन रूके ये कदम हम बढ़ाते रहे ।
खुश हुए जो यहाँ गीत गाते रहे ।।

अर्चना पाठक ‘निरंतर’ ने प्रेम की अभिव्यक्ति कुछ इस तरह से दी-‘ल

तेरे सिवा कोई मुझे भाता नहीं।
तेरे बिना ज़िंदा रहा जाता नहीं।

इस मुशायरे में वरिष्ठ गज़लकार स्वरूप किशन, नज़र द्विवेदी, हीरालाल यादव, मीना भट्ट भी उपस्थित रहे । सभी ने इस मुशायरे की भूरि भूरि प्रशंसा की । संस्थापक संजय कौशिक विज्ञात ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए । कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन अनिता मंदिलवार सपना ने की ।

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