
पोड़ी क्षेत्र में बेखौफ हो रहा दो दर्जन से अधिक अवैध ईट भट्ठों का संचालन, जिम्मेदार कार्रवाई करने में नही दिखा रहे रुचि, सरकार को लग रहा रॉयल्टी का बट्टा
कोरबा/पाली/ पाली ब्लाक के पोड़ी एवं इसके आसपास क्षेत्र में अवैध रूप से ईंट निर्माण के काम को बेखौफ किया जा रहा है। इसकी जानकारी राजस्व् सहित खनिज विभाग के अधिकारियों को है अथवा नही, किन्तु कार्रवाई नहीं होने के चलते अवैध ईंट निर्माणकर्ताओं के हौसले बुलंद है और शासन को राजस्व का चूना लगाते हुए यह कार्य निर्बाध जारी है।
गौरतलब है कि ग्राम पंचायत पोड़ी के लब्दा, लीमघाट, मड़वामौहा, अमरैया एवं मुढ़ाली सहित आसपास में बड़े पैमाने पर लगभग दो दर्जन से अधिक ईंट भट्ठे अवैध रूप से संचालित हो रहे है। यहां पर किसी भी ईंट भट्ठे के लिए पर्यावरण संरक्षण समिति, खनिज और राजस्व विभाग से किसी प्रकार की सहमति नहीं ली गई है बावजूद ईंटभट्ठे जगह- जगह दहक रहे हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि अवैध ईंट निर्माण कर बिक्री करने वाले अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इस कार्य मे लिप्त है। जिन पर कार्रवाई नही होने की वजह से इनके हौसले बुलंद है। नदी- नालों के किनारे राजस्व शासकीय भूमि अथवा दूसरे की जमीन को किराया पर लेकर स्वयं का मकान निर्माण के नाम पर धड़ल्ले से ईंट भट्ठे का संचालन कर रहे है। जिसके लिए अवैध विद्युत कनेक्शन भी ले रखे है। वहीं ईंट पकाने के लिए चोरी का कोयला और जंगल की लकड़ी का उपयोग कर रहे है। जिससे उठने वाला धुंआ पर्यावरण सहित लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रहा है। पोड़ी क्षेत्र में अवैध ईंट भट्ठा संचालन करने वाले कुछ लोग तो बकायदा क्षेत्रीय विधायक से सहमति लेने की बात करते है। जब इस संबंध पर विधायक मोहितराम केरकेट्टा से चर्चा की गई तब उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनके द्वारा किसी को भी ईंट निर्माण की सहमति नही दी गई है, और यदि ऐसा है तो यह गलत है, संबंधित विभाग को इसे संज्ञान में लेकर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। नियमनुसार ईटभट्टे का संचालन आबादी से दो सौ मीटर की दूरी पर होनी चाहिए, मिट्टी खनन के लिए खनिज विभाग और पर्यावरण एवं प्रदुषण विभाग की अनुमति सहित 750 एसएमसी से अधिक प्रदूषण नहीं हो। जो इन नियमो का पालन नहीं करता है उसे अवैध भठ्ठे की श्रेणी में रखे जाता है। लेकिन अवैध ईंट निर्माणकर्ता सारे नियम- कायदे दरकिनार करते हुए बड़े पैमाने पर ईंट का निर्माण कर बिक्री कर रहे है। जिससे सरकार को रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है। लेकिन जिम्मेदार वर्ग कार्रवाई करने में कोई रुचि नही दिखा पा रहे।