
बाबा गुरु घासीदास का संदेश सभी समाज के लिए अनुकरणीय – आशीष छाबड़ा
बाबा गुरु घासीदास का संदेश सभी समाज के लिए अनुकरणीय – आशीष छाबड़ा
बेमेतरा – विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नगर केशा.पो.मैट्रिक.अनु.जाति बालक छात्रावास कोबिया में आयोजित परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास जयंती एवं जिला स्तरीय पंथी नृत्य प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि पूर्व विधायक बेमेतरा आशीष छाबड़ा शामिल हुए। बाबा गुरू घासीदास के पुण्य चित्र पर फूल माला चढ़ाकर पूजा-अर्चना की और जैतखाम में श्वेत पालो चढ़ा कर क्षेत्रवासियों की खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा ने संबोधित करते हुए कहा कि बाबा गुरु घासीदास ने सत के मार्ग पर चलते हुए समाज के अंधकार को दूर करने का प्रयास किया हैं। छत्तीसगढ़ की धरती में गुरु बाबा अवतरित हुए और छत्तीसगढ़ी बोली में जन-जन तक अपना संदेश पहुंचाया। समानता, समाजिक समरसता का संदेश देकर बाबा ने मानव समाज को एक सूत्र में जोड़ने का कार्य किया। बाबा ने सूत्र वाक्य दिया मनखे-मनखे एक समान, मानव-मानव में कोई भेदभाव नहीं है, सब समान हैं, इसके अलावा उन्होंने सत्य ही ईश्वर हैं और ईश्वर ही सत्य हैं का संदेश दिये हैैं, बाबा गुरु घासीदास का संदेश आज भी प्रासंगिक हैं। दया, करूणा, सत्य मार्ग पर चलने, नारी सम्मान एवं पशुओं से प्रेम करने कहा सतनाम के रास्ते पर चलने से जीवन में कामयाबी मिलती हैं। गुरू घासीदास बाबा ने तात्कालीन समय में जब मानव-मानव में असमानता की भावना थी, उस समय ‘मनखे-मनखे एके बरोबर’ की भावना को जन-जन तक पहुंचाने का काम किए, पंथी नृत्य के माध्यम से गुरू घासीदास के संदेशों को दूर-दूर तक पहुंचाने का कार्य किया गया हैं। छत्तीसगढ़ी लोककला में लोकनृत्य संपूर्ण प्रमुख छत्तीसगढ़ के जनजीवन की सुन्दर झांकी है, राग-द्वेष, तनाव, पीड़ा से सैकड़ों कोस दूर आम जीवन की स्वच्छंदता व उत्फुल्लता के प्रतीक लोकनृत्य यहां की माटी के अलंकार हैं। छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य सुआ, करमा, पंथी नृत्य आदि है, छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य में यहां की लोककला का प्राणतत्व हैैं, यह मानवीय जीवन के उल्लास उमंग उत्साह के साथ परंपरा के पर्याय हैं, समस्त सामाजिक, धार्मिक व विविध अवसरों पर छत्तीसगढ़ वासियों द्वारा अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के ये प्रमुख उद्विलास हैं। ग्राम चारभाठा के प्रतिभागि साथियों ने सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास के संदेशों को नृत्य गीत के माध्यम से प्रस्तुत क़िया बेरा बखत के मोल ना समझो समय बड़ा बलवान है…अर्थात जीवन में समय का बड़ा महत्त्व होता हैैं, इस संदेश के साथ नृत्य की शानदार प्रस्तुति मांदर और झांझ की ताल, सामूहिक रूप से कलाकरों के पैरों की लय, कलाकरों के जोश और उनके करतबों ने पिरामिड बनाकर सलामी की प्रस्तुति ने दर्शकों को सहसा अपनी ओर आकर्षित किया। इस अवसर पर शकुंतला मंगत साहू अध्यक्ष नगर पालिका परिषद बेमेतरा, अवनीश राघव पूर्व अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी बेमेतरा, टीआर जनार्दन वरिष्ट उपाध्यक्ष, मनोज शर्मा सभापति, रश्मी मिश्रा सभापति, दीपक दिनकर, आरएस टंडन, हेमत चंदेल, प्रशांत तिवारी एल्डरमैन, चंदू शीतलानी एल्डमैन, धरम वर्मा पार्षद, गुरेंद्र वर्मा, गोकुल बंजारे, रोशन साहू, रामकुमार भारती, मोहन बंजारे, जगतारण भारती, राजकुमार मनहरे, नीतीश कुमार, अनिल, सतीश कुर्रे सहित बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं, सामाजिक पदाधिकारीगण, सदस्यगण, ग्रामवासी उपस्थित रहें।